25 जनवरी को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में श्रीरामपुर में सीएए-एनआरसी-एनआरपी के खिलाफ प्रतिवाद आयोजित किया गया जिसे जेएनयू छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी और जामिया मिलिया के काचंदा यादव ने संबोधित किया.
28 जनवरी को दरभंगा में छात्रों ने सड़क जाम कर दिया और विश्वविद्यालय में होने वाले दीक्षांत समारोह में राज्यपाल को जाने से रोक दिया. आइसा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कंवलप्रीत कौर और राज्य अध्यक्ष मोख्तार ने वहां विशाल जन समूह को संबोधित किया. कबीरपुर (नाथनगर, भागलपुर) में चल रहे अनिश्चितकालीन धरने को पार्टी की केंद्रीय कमेटी सदस्य सरोज चौबे और जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल ने संबोधित किया. यह धरना पिछले 25 दिनों से चल रहा है और इसमें खासकर शाम के वक्त काफी संख्या में लोगों की भागीदारी हो रही है. जाले प्रखंड (दरभंगा) के देउरा-बंधैली में एक जन सभा आयोजित की गई. खगड़िया के मांदेर और भोजपुर के पीरो में भी धरना चल रहे हैं.
25 जनवरी को सीएए-एनआरसी-एनआरपी के खिलाफ पंजाब के मानसा में भाकपा(माले) समेत कई अन्य संगठनों ने मिलकर एक धरना संगठित किया. शहीद सेवा सिंह ठिकारीवाला चौक पर आयोजित इस धरने को राजविंदर सिंह राणा, सुखदर्शन नत्थ, गुरसेवक सिंह, सुखबीर कारा, केवल सिंह आदि कई नेताओं ने संबोधित किया.
आंध्र प्रदेश के तेनाली, ओडिशा के गुनुपुर रायगडा, बोकारो और अहमदाबाद के अमरावाडी में भी सभाएं व धरने आयोजित किए गए.
दिल्ली में भाकपा(माले) की नेता सुचेता डे ने उत्तरी दिल्ली के हौजरानी में एक प्रतिवाद धरना को संबोधित किया. मंडावली में स्थानीय निवासियों के द्वारा एक दूसरा धरना शुरू किया गया है जिसे जेएनयू छात्र संघ के महासचिव सतीश यादव और भाकपा(माले) के श्यामकिशोर यादव ने संबोधित किया. राष्ट्रीय राजधानी के शाहीनबाग, इंदरलोक, सीलमपुर और कई अन्य जगहों पर चल रहे धरनों में हर दिन लोगों की भागीदारी बढ़ती जा रही है; हालांकि वहां के चुनावी भाषणों में भाजपा नेताओं के द्वारा इन शांतिपूर्ण प्रतिवादों को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है और इन प्रतिवादों में शामिल होने वाले लोगों को बदनाम करने की कोशिशें भी की जा रही हैं.