भाकपा(माले) की पश्चिम चंपारण जिला कमेटी ने 21 जनवरी 2020 को सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ उच्च विद्यालय, रमपुरवा (मैनाटाड़) खेल मैदान में ‘संविधान बचाओ-नागरिकता बचाओ जन एकता रैली’ का आयोजन किया. इस रैली में तमाम समुदायों के मजदूरों-किसानों की भारी संख्या में भागीदारी हुई – करीब दस हजार से भी अधिक लोग रैली में शामिल हुए. इस इलाके में पार्टी द्वारा कब्जा की गई बेनामी जमीन पर गरीब लोग खेती कर रहे हैं. प्रशासन के सहयोग से एक भूमि चोर और अपराधी गुट इन गरीबों को जमीन से बेदखल करने की कोशिश चला रहा है. दूसरी तरफ देश की जिस तरह की सांप्रदायिक-फासीवादी राजनीति हावी हो रही है, उसे देखते हुए पार्टी ने सीएए-एनपीआर-एनसीआर के खिलाफ यह जन एकता रैली का कार्यक्रम लिया. इसकी तैयारी के लिए सभी समुदायों के बीच कार्यकर्ताओं ने सघन प्रचार चलाया. नतीजे के तौर पर यह रैली ऐतिहासिक साबित हुई.
इस ऐतिहासिक रैली को संबोधित करते हुए पार्टी के पोलितब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा ने कहा कि भारत के संविधान को खत्म कर हिटलरी शासन थोपना मोदी-अमित शाह का एजेंडा है. इसके लिए वे मनमाफिक नागरिकता चुनने के लिए सीएए-एनपीआर-एनसीआर का पैकेज लेकर आए हैं. लेकिन हम सरकार को नागरिकता चुनने का अधिकार नहीं देंगे, संविधान को बदलने का अधिकार नही देंगे. इस पैकेज के खिलाफ पूरे देश में उठ रहे छात्रों-नौजवानों, महिलाओं और अकलियतों के संघर्ष को सलाम करते हुए उन्होंने कहा कि देश में एक बार फिर राष्ट्रीय जागरण का दौर आया है. दिल्ली का शाहीनबाग पूरे देश में फैल गया है. सरकार आपातकालीन कानूनों के प्रावधानों के आधार पर दमन के 1 - 7 जनवरी 2010 समकालीन लोकयुद्ध: 9 जरिये इन आंदोलनों को दबाना चाहती है. लेकिन पूरे देश में आ रही जन जागृति दमन के फौजफाटे को उखाड़ फेंकेगी. अब जनता नहीं डर रही है, बल्कि मोदी-अमित शाह को असम, बंगाल सहित दूसरे हिस्सों में जाने से डर लगने लगा है. एनआरसी के खेल को देश की जनता समझ गयी है. असम एनआरसी में 19 लाख 60 हजार लोगों को नागरिकता-विहीन बना दिया गया है, जिसमें बड़ी संख्या में हिन्दू हैं और बिहार के 55 हजार मजदूर परिवार भी हैं.
भाकपा(माले) के केन्द्रीय कमेटी सदस्य सह इंसाफ मंच के राज्य प्रभारी नैमुदीन अंसारी ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कर रहे हैं. यह देश की साझी संस्कृति और लोतांत्रिक संविधान पर हमला है, यहां की बहुलतावादी सभ्यता और गंगा-जमुनी तहजीब के खिलाफ है. यह सभी धर्मों के लोगों का अपमान है, जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में साथ-साथ कुरबानी दी है. देश की जनता मोदी सरकार से इस अपमान का बदला लेगी.
उन्होंने आगे कहा कि नीतीश जी संविधान व धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों की रक्षा का दावा करते हैं, लेकिन उनका यह दावा पूरी तरह तार-तार हो चुका है. सीएए-एनआरसी-एनपीआर एक ही पैकेज प्रोग्राम है. यह नहीं चल सकता कि आप एनआरसी के खिलाफ हों और सीएए का समर्थन कर रहे हों. बिहार की जनता उनसे जवाब चाहती है कि आखिर उन्होंने संसद में सीएए का समर्थन क्यों किया? बिहार विधानसभा से पहलकदमी लेते हुए नीतीश जी सीएए-एनआरसी-एनपीआर को लागू न करने का प्रस्ताव पारित करवाएं. भाकपा(माले) के केन्द्रीय कमेटी सदस्य वीरेन्द्र गुप्ता ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी-अमित शाह की सरकार न केवल संविधान को तहस-नहस कर रही है, बल्कि उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को आइसीयू में पहुंचा दिया है. इतनी मंहगाई और बेकारी देश ने कभी नहीं देखा था. मजदूरों की ऐसी हकमारी कभी नहीं हुई थी. उन्होंने कहा कि देश का संविधान बचाने की जिम्मेदारी हर नागरिक का काम है. इसलिए उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि मोदी-शाह के फासिस्ट हमला का मुकम्मल जवाब भाकपा(माले) और अन्य वामपंथी शक्तियां ही कर सकती हैं; इसीलिए सभी लोग लाल झंडा को मजबूत करें – लाल झंडा जितना ही मजबूत होगा, उतनी ही हमारी लड़ाई भी मजबूत होगी.
इनके अलावा खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के जिला अध्यक्ष संजय राम, आइसा नेता मिजान ऐमाम, आइसा जिला संयोजक रेहान खान, इनौस जिला संयोजक फरहान राजा, किसान महासभा के जिला संयोजक सुनील कुमार राव, इंद्रदेव कुशवाहा, भाकपा(माले) के प्रखंड सचिव अच्छेलाल राम, जिला कमेटी सदस्य सीताराम राम, शेख भानू, पूर्व मुखिया शेख वकील, मुखिया इकबाल, विनोद कुमार यादव, शेख मुस्ताक, डाकमरुज्जमा, इंसाफ मंच के जिला संयोजक मोहम्मद अली, अफाक हैदर, प्रोफेसर अफाक आलम, आमिलाल राम आदि ने भी सभा को संबोधित किया.
– सुनील यादव