भाकपा(माले) के छठे मधुबनी जिला सम्मेलन के मौके पर 18 जनवरी 2020 को टाउन क्लब मैदान में आयोजित ‘संविधान बचाओ रैली’ को सम्बोधित करते हुए पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भारत के संविधान को खत्म कर संघी हिटलरी शासन थोपना मोदी-अमित शाह का एजेंडा है. इसके लिए वे मनमाफिक नागरिकता चुनने के लिए सीएए, एनसीआर और एनपीआर लेकर सामने आ रहे हैं. हम सरकार को नागरिकता चुनने का अधिकार नहीं देंगे, संविधान को बदलने का अधिकार नहीं देंगे. इसके खिलाफ पूरे देश में छात्र-नौजवानों, महिलाओं और अकलियतों के संघर्ष को सलाम करते हुए उन्होंने कहा कि देश में राष्ट्रीय जागरण का दौर आया है. दिल्ली का शाहीनबाग पूरे देश मे फैल गया है. सरकार आपातकालीन कानूनों के प्रावधानों के आधार पर आंदोलनों को दबाना चाहती है. पूरे देश की जागृति दमन के फौज-फाटे को उखाड़ फेंकेगी. जनता नहीं डर रही है, बल्कि मोदी-अमित शाह को असम, बंगाल सहित देश के अन्य हिस्सों में जाने से डर लगने लगा है. एनआरसी के खेल को देश की जनता समझ गयी है, असम एनआरसी इसका उदाहरण है. असम एनआरसी में 19 लाख लोगों को नागरिकता-विहीन बना दिया गया है जिसमे बड़ी संख्या में हिन्दू हैं और बिहार के 55 हजार परिवार भी हैं. हर सर्वे में अभिवंचना के शिकार दलित, आदिवासी और गरीब इस बात को समझ रहे हैं कि हमें इसका शिकार बनाया जाएगा. इसलिये एनआरसी-एनपीआर-सीएए के खिलाफ आन्दोलनों में गरीबों की हिस्सेदारी हो रही है. इस भागीदारी को भाकपा(माले) और मजबूत बनाएगी.
उन्होंने नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि छल, कपट और होशियारी छोड़िये और एनपीआर पर बिहार में रोक लगाइए. आगे उन्होंने कहा कि मोदी-अमित शाह की सरकार न केवल संविधान को तहस-नहस कर रही है, उसने बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को आइसीयू में पहुंचा दिया है. इतनी मंहगाई और बेकारी देश ने कभी नहीं देखा था. मजदूरों की ऐसी हकमारी ऐसा कभी नहीं हुई थी. बिना मजदूरी दिएये रसोइयों, ‘आशाओं’ से काम लिया जा रहा है. लोगों को उजाड़ा जा रहा है. पटना-दिल्ली की ऐसी सरकार को उखाड़ फेंकना होगा और इसमें लाल झंडे को मजबूत बनाना होगा.
सभा को सम्बोधित करते हुए पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य सह मिथिलांचल प्रभारी धीरेंद्र झा ने कहा कि नीतीश जी का मानव श्रृंखला आयोजन ढकोसला है, यह गरीबों को उजाड़ने वाला कार्यक्रम है. सरकार लाखों रसोइयों, आशाओं, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं सहित अन्य कामगारों का रोजी-रोजगार छीन लेना और मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी से वंचित करना चाहती है. इसलिए उन्होंने सरकारी मानव श्रृंखला का बहिष्कार करने और पार्टी द्वारा आहूत 25 जनवरी के मानव श्रृंखला कार्यक्रम को सफल बनाने का आह्वान किया.
सभा में मुख्य अतिथि के बतौर बोलते हुए भाकपा(माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि हमने बिहार की सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि एनपीआर पर तत्काल रोक लगे. अगर सरकार इस दिशा में कदम नहीं उठाती है तो ‘गद्दी छोड़ो’ आंदोलन पूरे बिहार में तेज किया जाएगा. विधान सभा में हमारे प्रश्नों का जवाब मुख्यमंत्री को देना पड़ा और घोषणा करनी पड़ी कि वैकल्पिक व्यवस्था के बिना किसी गरीब को नहीं उजाड़ा जाएगा. हमने कहा है कि केवल घोषणा से बात नहीं बनेगी, इसके लिए सरकार इस नोटिस को वापस ले और वास-आवास कानून बनाए.
सभा की अध्यक्षता करते हुए जिला सचिव ध्रुवनारायण कर्ण ने कहा कि मधुबनी जिला में वामपंथ एकबार फिर मजबूत हो रहा है. भूमि आवास आंदोलन सब जगह तेज हो रहा है. हमारे आंदोलन ने दलितों-गरीबों और मजदूरों-किसानों में नया विश्वास पैदा किया है. संविधान बचाओ रैली को लक्ष्मण राय, उत्तीम पासवान, प्रेम कुमार झा, अनिल कुमार सिंह, श्याम पंडित, बेचन राम, भूषण सिंह, दानी लाल यादव, योगनाथ मंडल, विजय कुमार दास, मदन चंद्र झा ने भी संबोधित किया.
रैली के बाद वाटसन उच्च विद्यालय के क्रीड़ा भवन (उदित कामत सभागार) में 6ठे जिला सम्मेलन की शुरूआत वरिष्ठ नेता का. लक्ष्मण राय द्वारा झंडोत्तोलन से हुई. संचालन के लिए पांच-सदस्यीय अध्यक्षमंडल गठित हुआ और राज्य कमेटी सदस्य का. उमेश राय सम्मेलन के पर्यवेक्षक थे.
विदाई जिला कमेटी की ओर से जिला सचिव ध्रुवनारायण कर्ण ने कामकाज की रिपोर्ट पेश की जिसमें पार्टी व विभिन्न जन संगठनों के द्वारा संचालित आन्दोलनों, उपलब्धियों और आगामी कार्यभारों का जिक्र था. इसके साथ ही, रिपोर्ट में पार्टी संगठन के विस्तार और खेग्रामस व किसान महासभा के विभिन्न प्रखंडों में सम्मेलन और आइसा, इनौस, ऐक्टू व ऐपवा के ढांचा-निर्माण तथा इनके द्वारा ली गई उल्लेखनीय पहलकदमियों की भी चर्चा की गई थी.
प्रतिनिधियों के कुछ सुझावों को स्वीकार करने के बाद रिपोर्ट को सर्वसम्मति से पारित किया गया. अंत में में राज्य पर्यवेक्षक की देखरेख में नई 23-सदस्यीय जिला कमेटी का सर्वसम्मत निर्वाचन किया गया. नव-निर्वाचित जिला कमेटी ने सर्वसम्मति से ध्रुवनारायण कर्ण को पुनः अपना सचिव चुना.