अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में ‘इन्द्रपुरी जलाशय निर्माण किसान संघर्ष यात्रा’ 20 जनवरी 2010 को सहार में गरीबों के महानायक का. राम नरेश राम के स्मारक पर माल्यार्पण व श्रद्धांजलि देकर शुरू हुई. यहां सभा को तरारी से भाकपा(माले) के विधयक का. सुदामा प्रसाद ने संबोधित किया.
इसके बाद भोजपुर के किरकिरी, संदेश, पवना में सभाएं हुईं. तत्पश्चात वहां से चलकर यह यात्रा पीरो पहुंची, जहां डाक्टर राम मनोहर लोहिया के स्मारक पर माल्यार्पण किया गया और सभा हुई. वहां से यात्रा जगदीशपुर पहुंची जहां स्वतंत्रता सेनानी बाबू वीर कुंवर सिंह के स्मारक पर माल्यार्पण किया गया और फिर एक सभा को संबोधित किया गया. वहां से यात्रा आगे बढते हुए उतरदाहा गांव पहुंची जहां ग्रामीण सभा हुई.
हर जगह लोगों ने उत्साह के साथ अपने किसान नेताओं का माला पहनाकर स्वागत किया और केंद्र व राज्य की किसान-विरोधी सरकारों के खिलाफ नारे लगाए. पहले दिन लगभग 120 किलोमीटर की यात्रा की गई. यात्रा का नेतृत्व किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, राज्य अध्यक्ष बिशेश्वर यादव, राज्य सचिव रामाधार सिंह, राज्य सहसचिव कृपा नारायण सिंह, राजेन्द्र पटेल, विधायक सुदामा प्रसाद, पूर्व विधायक व किसान नेता चन्द्रदीप सिंह और अरुण सिंह कर रहे थे. सभाओं को भी इन नेताओं ने संबोधित किया.
अपने संबोधन में नेताओं ने कहा कि केंद्र व बिहार की सरकारें किसानों, बेरोजगारी, शिक्षा व स्वास्थ्य पर चुप्पी साधे हुई हैं. और, इन बुनियादी मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए वे कभी काश्मीर-पुलवामा, तो कभी राम मंदिर, और कभी नागरिकों का रजिस्टर बनाने तथा नागरिकता संशोधन कानून लागू करने का राग अलाप रही हैं.
नेताओं ने आगे कहा कि बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश जी जल-जीवन-हरियाली की बात कर करोड़ों रुपये बर्बाद कर रहे हैं. इससे काफी कम लागत में कदवन डैम का निर्माण हो सकता है, किन्तु इस दिशा में नीतीश जी नहीं सोच रहे हैं. कदवन डैम का निर्माण होता है, तो जल-जीवन-हरियाली की रक्षा भी होगी और किसानों की खुशहाली भी आएगी. नेताओं ने सीएए, एनआरसी और एनआरपी की भी विस्तार से चर्चा करते हुए इस प्रोजेक्ट को गरीब-विरोधी, संविधान-विरोधी बताते हुए उसे तत्काल वापस लेने की मांग उठाई और इस लड़ाई को आगे बढाने का भी संकल्प लिया.
इन किसान नेताओं ने नीतीश कुमार पर बिहार की जनता को गुमराह करने का भी आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ सदन में वोट देकर सीएए को पारित करते हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि बिहार में हम इसे लागू नहीं करेंगे. सुशील मोदी समेत भाजपा के तमाम नेता कहते हैं कि जब यह कानून बन गया है तो यहां भी लागू होगा, किन्तु इस पर नीतीश जी कुछ नहीं बोलते. उनकी यह चालाकी यहां नहीं चलेगी. इसलिए आप किसानों को भी आज सड़क पर आना होगा. हमें यह नारा बुलंद करना होगा: “खेती बचाओ-किसान बचाओ, गांव बचाओ-देश बचाओ, संविधान बचाओ और कारपोरेट लूट का राज मिटाओ.”
यह किसान संघर्ष यात्रा अपने दूसरे दिन 21 जनवरी को उत्तरदाहा से निकलकर बक्सर जिला के ब्रह्मपुर प्रखंड के बराढ़ गांव पहुंची, जहां 17 मोटरसाइकिल के काफिले के साथ लोगों ने किसान नेताओं की अगवानी की और माला पहनाकर स्वागत किया. वहां एक सभा हुई. वहां से यात्रा आगे बढ़ी और बगेन गोला में नुक्कड़ को संबोधित किया गया. आगे डुमरांव प्रखंड के चौगाईं व कोरान सराय में नुक्कड़ सभाएं हुईं. फिर केसठ में बेहतरीन सभा हुई, जहां 500 से ज्यादा लोगों की भागीदारी थी. यात्रा वहां से आगे बढ़ते हुए नवानगर पहुंची जहां सभा की गई, और फिर रोहतास जिला के मलियाबाग में भी नुक्कड़ सभा हुई.
का. सुदामा प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा कि नीतीश कुमार का जल-जीवन-हरियाली मुहिम की दिशा ही गरीब-विरोधी है. इसके जरिए वे गरीबों को उजाड़ने में लगे हुए हैं. जहां सरकारी जमीन पर बड़े लोगों का कब्जा है, वहां उन्हें कोई नोटिस नहीं भेजी जा रही है, जबकि अबतक लगभग दस हजार गरीबों को जमीन खाली करने का नोटिस जारी कर दिया गया है. पटना सिटी में नाला पर बड़े लोगों का अतिक्रमण है, फलतः किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं. कई बार आन्दोलन हुए, किन्तु कोई सुनवाई नहीं. उन्होंने आगे कहा कि जल-जीवन-हरियाली में 24524 करोड़ रुपया खर्च हो रहा है, जबकि कदवन डैम के निर्माण में मात्र 4500 करोड़ रुपया ही खर्च होगा. इसके बावजूद नीतीश कुमार डैम निर्माण की दिशा में नहीं सोच रहे हैं. जल संरक्षण की सबसे बड़ी परियोजना है इन्द्रपुरी जलाशय का निर्माण. इससे जल का लेयर भी बढ़ेगा, पूरे बिहार को भोजन भी मिलेगा और हरियाली व पर्यावरण की भी रक्षा होगी.
का. राजाराम सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार किसान, मजदूर और देश का भविष्य युवाओं को ठगने का प्रयास कर रहे हैं. वे सिंचाई, स्वास्थ्य, बेरोजगारी पर सोचने के बजाय घूम-घूम कर नौटंकी कर रहे हैं. वे लिफ्ट इरिगेशन के जरिए गंगा का पानी पटना से गया ले जाने की बात कर रहे हैं, जो कि पूरी तरह बकवास है. पटना से गया 59 मीटर ऊंचा है, जबकि कदवन से गया 31 मीटर नीचे है. कदवन में डैम बनता है तो आसानी से गया पानी पहुंच सकता है.
यात्रा के दौरान आम किसानों से आह्नान किया गया कि सब को मिलकर सबसे पुरानी सिचाई परियोजना को बचाने के लिए लड़ना होगा. उन सब को 5 मार्च को पटना विधान सभा के समक्ष किसान महाधरना में शामिल होने का न्योता दिया. साथ ही, उनसे सीएए, एनसरआर, एनपीए पैकेज के खिलाफ भाकपा(माले) द्वारा 24 फरवरी को आहूत विधान सभा मार्च में भी पटना चलने का आह्नान किया.