वर्ष - 28
अंक - 47
09-11-2019

मोदी-2 शासन में रेलवे के निजीकरण और नौकरियों को लगातार खत्म किए जाने के खिलाफ अंततः छात्र-युवाओं का लंबे समय से संचित हो रहा आक्रोश फूट पड़ा. विगत 25 अक्टूबर को सासाराम में लगभग तीन हजार छात्रों ने उग्र आंदोलन किया. 11 बजे दिन से शुरू हुए आंदोलन के दौरान छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती गई. छात्रों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े गए. फिर भी छात्र रेलवे ट्रैक पर जमे रहे. इस दौरान गया-मुगलसराय रेलखंड पर पांच घंटे तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप रहा. सासाराम के अलावा नवादा, सीतामढ़ी व अन्य केंद्रों पर भी रेलवे के निजीकरण के खिलाफ बड़ी संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए थे. इसमें सोशल मीडिया ने बड़ी भूमिका निभाई और छात्रों को एकत्रित करने का एक सशक्त माध्यम बनी.

सासाराम में छात्रों ने सबसे पहले जीटी रोड, सासाराम के पोस्ट आफिस चौक और धर्मशाला चौक को जाम किया. उसके बाद रेलवे स्टेशन पहुंचकर रेलवे ट्रैक को भी जाम कर दिया. ‘केंद्र सरकार रेलवे का निजीकरण बंद करो’ नारे के तहत निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने जमकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए. रेलवे स्टेशन पर छात्रों को समझाने के लिए पहुंचे एसडीओ राजकुमार गुप्ता व एएसपी हृदयकांत को भी पीछे हटना पड़ा. छात्रों के उग्र तेवर को देखकर आरपीएफ, जीआरपी, नगर थाना, मुफस्सिल थाना व अगरेर थानों की पुलिस को भी स्टेशन पर बुलाया गया. इसके अलावा पुलिस लाइन से भी फोर्स मंगाया गया. एसडीओ व एएसपी ने छात्रों से वार्ता की. उनकी मांग व पीड़ा को केंद्र सरकार तक पहुंचाने के लिए वादा किया. हालांकि इस दौरान कई बार पुलिस से नोक-झोंक भी हुई. छात्रों के उग्र प्रदर्शन को देखकर रेलवे के अधिकारी भी अपने कार्यालयों तक सिमटे रहे. उनका मांग पत्र स्वीकार करके उसे सरकार तक भेजने का आश्वासन के बाद ही छात्र व युवाओं ने रोड व रेलवे ट्रैक को खाली किया.

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छात्र-युवाओं की मांगों पर गंभीरता से विचार करने की बजाय प्रशासन ने छात्रों से किए गए वादों से कुछ ही देर बाद विश्वासघात करते हुए भयानक दमनचक्र चलाना आरंभ कर दिया. रेल पुलिस ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से आंदोलनकारियों पर कई प्रकार के फर्जी मुकदमे थोप दिए और 18 लोगों को गिरफ्तार कर गया जेल भेज दिया. अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए अगले पांच दिनों तक प्रशासन का लगातार दमनचक्र चलता रहा.

मेनस्ट्रीम की मीडिया ने इसका जो कुछ भी कवरेज दिया उसमें अधिकांश इसका निगेटिव चरित्र चित्रण करता रहा. इसे छात्रों की अराजक कार्रवाई बताया गया. तोड़-फोड़ को प्रधान विषय बनाया गया. कुछेक चैनलों ने ही छात्रों की मांगों को उभारकर सामने रखा. क्योंकि हिंदू-मुस्लिम डिबेट चलाने वाले चैनलों को छात्र-युवाओं की इस प्रकार की एकता आखिर क्यों रास आती? फिर भी आंदोलन की गर्मी सत्ता के शीर्ष पर बैठे नेताओं तक पहुंची और उन्हें बयान देना पड़ा कि रेलवे की नौकरियों में कोई कटौती नहीं की जा रही है. हालांकि यह सरासर झूठ है.

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आइसा-इनौस की पहलकदमी

भाकपा;मालेद्ध ने छात्रा-युवाओं के आंदोलन के दमन के लिए सरकार की कड़ी भत्र्सना की. इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का. मनोज मंजिल, भोजपुर जिला संयोजक का. शिवप्रकाश रंजन और आइसा के बिहार राज्य सचिव सबीर कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने 29 अक्टूबर को सासाराम का दौरा किया और आंदोलनकारियों से मुलाकात की. जांच टीम ने पाया कि प्रशासन ने सासाराम में आतंक की स्थिति पैदा कर रखी है. लाॅजों में लगातार छापेमारी की जा रही है और हर कोचिंग सेंटर पर पुलिस का पहरा बिठा दिया गया है. स्थान के अभाव के कारण सासाराम रेलवे स्टेशन पर हजारों छात्र शाम में बैठकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी किया करते थे. प्रशासन के आतंक की वजह से छात्र पढ़ाई छोड़कर घर भागने को मजबूर हो गए हैं. 30 अक्टूबर को आइसा-इनौस के नेताओं ने गया जेल का दौरा किया और जेल में बंद छात्रों से मुलाकात की.

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31 अक्टूबर को रेलवे परिसर में धरना-प्रदर्शन

सासाराम में छात्र-युवाओं के दमन, गिरफ्तार छात्रों की अविलंब रिहाई, रेलवे के निजीकरण पर रोक, रेलवे में रिक्त पदों पर अविलंब बहाली, पुलिस दमन के जिम्मेवार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई आदि मांगों के साथ31 अक्टूबर को आइसा-इनौस के आह्वान पर आरा, पटना, समस्तीपुर, बेगूसराय आदि जिला केंद्रों पर रेलवे परिसर में धरना-प्रदर्शन किया गया. आरा में आयोजित कार्यक्रम का नेतृत्व इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल, भाकपा(माले) की केंद्रीय कमेटी के सदस्य राजू यादव, इनौस के बिहार राज्य अध्यक्ष अजीत कुशवाहा, आइसा के बिहार राज्य सचिव सबीर कुमार, इनौस के जिला संयोजक शिवप्रकाश रंजन आदि नेताओं ने किया. पटना में आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष मोख्तार व इनौस के राज्य सचिव सुधीर कुमार के नेतृत्व में बुद्ध स्मृति पार्क से पटना रेलवे स्टेशन परिसर तक मार्च निकाला गया. नेताओं ने पटना स्टेशन प्रबंधक को अपना ज्ञापन सौंपा और रेलवे के निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की. बेगूसराय में आइसा के राज्य उपाध्यक्ष वतन कुमार के नेतृत्व में आइसा-इनौस ने बेगूसराय रेलवे स्टेशन पर प्रधानमंत्री का पुतला फूंका. कार्यक्रम में आइसा के जिला अध्यक्ष अजय कुमार, अविनाश कुमार आदि शामिल थे. समस्तीपुर में शहर के मालगोदाम चैक स्थित भाकपा-माले कार्यालय से जुलूस निकला और स्टेशन चैक पर सभा हुई. सभा की अध्यक्षता इनौस के जिला सचिव रामकुमार ने की. नेताओं ने समस्तीपुर डीआरएम को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा.

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