वर्ष - 28
अंक - 45
26-10-2019

भाकपा(माले) के उत्तराखंड राज्य के ब्रांच सचिवों तथा अग्रणी कार्यकर्ताओं की एकदिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन 13 अक्टूबर 2019 को सामुदायिक भवन, राजीवनगर, बिंदुखत्ता (नैनीताल) में किया गया. इस राज्यस्तरीय एकदिवसीय कार्यकर्ता कार्यशाला का आयोजन मुख्य रूप से संगठन निर्माण पर केंद्रित रहा.  

कार्यशाला को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए माले के उत्तराखंड राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि वर्गीय एकता व आपसी भाईचारे के अभियान को आर्थिक संघर्षों के साथ मिलाकर चलाने से ही कारपोरेट परस्त साम्प्रदायिक राजनीति का जवाब दिया जा सकता है. आर्थिक मंदी ने आम जनता की जिन्दगी को संकट में डाल दिया है. यह सब मोदी सरकार की नोटबंदी, अतार्किक जीएसटी व कारपोरेटपरस्त नीतियों का नतीजा है. उन्होंने कहा यह मंदी पूर्णतया मोदी मेड है.

कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि मोदी सरकार आज कश्मीर व एनआरसी के मुद्दे का इस्तेमाल हिन्दू-मुस्लिम विभाजन के लिए कर रही है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में लोकतंत्र व संविधान की हत्या कर राष्ट्रीय एकता को चोट पहुंचाने वाली मोदी सरकार 370 व 35 ए अनुच्छेद पर उठाए गए कदम को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बता रही है. गृह मंत्री अमित शाह ‘एक राष्ट्र एक भाषा’, ‘एक पार्टी एक सरकार’ व सिटीजन एमेण्डमेंट बिल (सीएबी) के नाम पर सांप्रदायिक विभाजन भड़का कर मुस्लिम विरोध को बढ़ावा दे रहे हैं और हिंदू राष्ट्र की वकालत कर रहे हैं जो कि सीधे सीधे भारतीय संविधान को नकारना है.

उत्तराखंड राज्य के परिप्रेक्ष्य में कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड सरकार पलायन, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाओं व शिक्षा क्षेत्र की बदहाली से मुंह मोड़े हुए है और उसका पूरा ध्यान शराब व जमीन के कारोबारियों की सेवा करने में लगा हुआ है. उन्होंने प्रदेश सरकार को निकम्मा बताते हुए कहा कि वह प्रदेश में डेंगू पर नियंत्रण करने की जगह हास्यास्पद बयान दे रही है.

इस कार्यशाला में भाकपा(माले) के राज्य भर के ब्रांच सचिवों व नेतृत्वकारी कार्यकर्ताओं ने शिरकत की व अपने अनुभवों को साझा किया. मौजूदा दौर में पार्टी का कैसे विस्तार किया जाय और किस प्रकार से संगठन को मजबूत किया जाय इस पर व्यापक विचार विमर्श किया गया. यह बात भी सामने आई कि मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ समूचा संसदीय विपक्ष कोई चुनौती पेश करने में असफल हो चुका है. पूरे देश में लाल झंडा ही सड़कों पर लड़ाई लड़ते हुए मोदी सरकार को वास्तविक चुनौती पेश कर रहा है. अतः इस राजनीतिक परिस्थिति में वामपंथ के द्वारा जनसंघर्षों को आगे बढ़ाते हुए विकल्प के रूप में आगे आने की संभावना बढ़ गई है. इस परिस्थिति में कम्युनिस्टों को जनता के सवालों को और तेजी से उठाना होगा. कार्यशाला में संगठन को मजबूत करने और संगठन के बल पर संघर्ष को तेज करने की रूपरेखा तैयार की गई.

कार्यशाला में महसूस किया गया कि उत्तराखंड बनने के बाद के उन्नीस सालों में हुई राज्य की बदहाली के खिलाफ जनमुद्दों को केंद्र में रखते हुए उत्तराखंड में वाम एवं लोकतांत्रिक पार्टियों का राज्य स्तरीय साझा मंच बनाया जाना समय की मांग है. इसके लिए भाकपा माले कटिबद्ध है और इस हेतु गंभीरतापूर्वक प्रयास करती रहेगी. राज्य स्तरीय कार्यशाला में मुख्य रूप से इन्द्रेश मैखुरी, केके बोरा, बहादुर सिंह जंगी, आनन्द सिंह नेगी, राजेंद्र जोशी, गोविन्द कफलिया, विमला रौथाण, निशान सिंह, भुवन जोशी, हेमंत खाती, ललित मटियाली मौजूद थे. संचालन डा. कैलाश पाण्डेय ने किया.