वर्ष - 33
अंक - 37
07-09-2024

2024 के चुनाव नतीजों से हताश मोदी सरकार और संघ-भाजपा गठजोड़ ने जनता के बीच बढ़ते विरोध का मुकाबला करने के लिए बहुमुखी रणनीति अपनाई है. बजट सत्र के दौरान मोदी सरकार को कुछ हद तक रक्षात्मक रवैया भी अख्तियार करना पड़ा. सरकार को प्रस्तावित वक्फ बोर्ड विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को वापस भेजना पड़ा और सोशल मीडिया को नियंत्रित करने की योजना को भी स्थगित करना पड़ा. यहां तक कि यूपीएससी को केंद्रीय नौकरशाही में लेटरल एंट्री भर्ती को वापस लेने का सर्कुलर जारी करना पड़ा. लेकिन इन रणनीतिक वापसियों या तात्कालिक स्थगन पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए, और न ही राज्यों में नफरत और दमन के तीव्र अभियान को नजरअंदाज करना चाहिए.

जैसे-जैसे हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे भाजपा मशीनरी एक बार फिर मुस्लिम विरोधी सांप्रदायिक ध्रुंवीकरण, जातिगत इंजीनियरिंग और जबरन राजनीतिक दल-बदल की अपनी आजमाई-परखी रणनीति पर काम कर रही है. यह रणनीति सिपर्फ आगामी चुनाव वाले राज्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि संघ ब्रिगेड की प्रयोगशाला गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम जैसे राज्यों में भी इसे सालों  से अंजाम दिया जा रहा है. ये प्रयोगशालाएं सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ाने के लिए अनवरत काम कर रही है, जिसमें कांवड़ यात्रा जैसे पारंपरिक उत्सव का इस्तेमाल मुस्लिम विरोधी नफरत फैलाने में करना से लेकर मुस्लिम समुदाय को आतंकित करने और निशाना बनाने के नए-नए तरीके इजाद करना है. यह बिलकुल स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश में बिखराव और विभाजन को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भाजपा के नफरत भरे विभाजनकारी अभियान का एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरे हैं. हाल ही में जब भारी बारिश के दौरान गौहाटी में बाढ़ आई, तो उन्होंने असम के करीमगंज जिले के एक मुस्लिम महबूबुल हक के स्वामित्व वाले मेघालय के एक निजी विश्वविद्यालय पर ‘असम के खिलाफ बाढ़ जिहाद’ में शामिल होने का आरोप लगाया. यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इस तरह के भड़काऊ बयान दिए हैं. पिछले साल, उन्होंने असम में मुस्लिम सब्जी उत्पादकों पर अत्यधिक रासायनिक खाद के उपयोग के जरिए हिंदू उपभोक्ताओं के खिलाफ ‘उर्वरक जिहाद’ करने का आरोप लगाया था. उन्होंने ऊपरी असम के निवासियों को निचले असम के बंगाली भाषी मुसलमानों के लिए कहा जाने वाला अपमानजनक ‘मिया’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए मुसलमानों द्वारा उत्पादित मछली खाने से बचने की भी सलाह दी है. असम के नौगांव जिले में एक नाबालिग लड़की के बलात्कार की दुखद घटना के बाद, उन्होंने इसके लिए ‘मिया’ मुसलमानों द्वारा ऊपरी असम पर आक्रमण को जिम्मेदार ठहराया. उनका यह बयान कि ‘हम मिया मुसलमानों को ऊपरी असम पर कब्जा नहीं करने देंगे’ न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि खतरनाक रूप से भड़काऊ भी है. राज्य सरकार के निर्वाचित नेता के रूप में उनके शब्दों का बहुत महत्व है, और सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने का इससे अधिक स्पष्ट उदाहरण और क्या हो सकता है?

इस बीच हरियाणा में हाल ही में एक घटना में, चरखी दादरी में गौरक्षकों के गिरोह ने पश्चिम बंगाल के एक प्रवासी मजदूर साबिर मलिक की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी. हिंसा के इस बर्बर घुटना की निंदा करने के बजाय, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इसे जायज ठहराते हुए कहा कि यह गायों की रक्षा के लिए राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. सैनी के अनुसार, हरियाणा के लोग गायों को बहुत सम्मान देते हैं और उनकी रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. यह विकृत तर्क न केवल मुसलमानों का अमानवीयकरण करता  है, बल्कि गौरक्षकों और सांप्रदायिक नफरत के खतरनाक मुहिम को और भी बढ़ावा देता है. हरियाणा कृषि के कॉरपोरेट अधिग्रहण के खिलाफ किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन का अगुआ राज्य रहा है, और अग्निवीर योजना, और हरियाणा की महिला पहलवानों के साथ हुए अन्याय और अपमान पर भी किसानों ने रोषपूर्ण प्रतिक्रिया जाहिर की है. भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा किसान आंदोलन के खिलाफ की गई हालिया भड़काऊ टिप्पणियों ने आग में घी डालने का काम किया है. सता  पर फिर से कब्जा के लिए हताश भाजपा अब गौरक्षकों और मुस्लिम विरोधी सांप्रदायिक नफरत के संदर्भ में हरियाणा के गौरव को फिर से परिभाषित करने की पुरजोर कोशिश कर रही है.

खनिज संसाधनों से भरपूर छत्तीसगढ़ और ओडिशा में जीत के बाद झारखंड जीतने को बेताब भाजपा की रणनीति अडानी को राज्य के खनिज संसाधनों तक निर्बाध पहुंच प्रदान करने की उसकी इच्छा से प्रेरित है. भाजपा असंतुष्ट झामुमो नेताओं को पार्टी में शामिल करने पर दांव लगा रही है. झामुमो के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बाद एक और असंतुष्ट झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है.

अडानी समूह को पहले ही अन्य राज्यों में भाजपा की नीतियों से लाभ मिल चुका है, जैसे कि बांग्लादेश को बिजली निर्यात करने के लिए अडानी को कई रियायतों के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र के बतौर नामित गोड्डा बिजली संयंत्र का उपहार में दिया जाना. गोड्डा पावर प्लांट में ऊंची दरों पर आस्ट्रेलिया में अडानी की कारमाइकल खदान से प्राप्त कोयले का प्रयोग किया रहा है, और अब जबकि शेख हसीना शासन के पतन के बाद बांग्लादेश के साथ बिजली समझौते का भविष्य अनिश्चितता में पड़ गया है, तो मोदी सरकार ने फौरन अडानी समूह को गोड्डा की बिजली भारत  के घरेलू ग्रिड के लिए बेचने की अनुमति देकर समूह को फायदा पहुंचाया है.

पश्चिम बंगाल में भाजपा कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक युवा स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए भयानक बलात्कार और हत्या के बाद जनता में पैदा हुए आक्रोश का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है. नारीवादी आंदोलन और प्रगतिशील नागरिक समाज ‘आरजी कर के लिए न्याय’ अभियान में सबसे आगे रहे हैं, वहीं भाजपा ने ‘पश्चिम बंगाल के छात्र समुदाय’ के काल्पनिक बैनर तले आंदोलन को अपने पक्ष में करने की कोशिश की, और बाद में पुलिस मनमानी के खिलाफ ‘बंगाल बंद’ का आह्वान किया. भाजपा का महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने वालों को राजनीतिक संरक्षण देने के मामले में सबसे खराब रिकॉर्ड रहा है. जब पार्टी पश्चिम बंगाल में बलात्कार विरोधी जनाक्रोश को राजनीतिक स्वार्थ के अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रही थी, तब उत्तर प्रदेश में पार्टी आइआइटी (बीएचयू) की छात्रा पर यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा आईटी सेल के आयोजकों को जमानत पर रिहा होने पर सम्मानित कर रही थी. पश्चिम बंगाल के लोग भाजपाई  पाखंड को अच्छी तरह समझते हैं, और ‘आरजी कर के लिए न्याय’ आंदोलन को हाईजैक करने और पटरी से उतारने के उनकी कोशिशों  को लगातार नाकाम करते  रहे हैं.

मौजूदा दौर में भारत में लोकतंत्र की लड़ाई को भाजपा की बहुआयामी रणनीति के खिलाफ निर्णायक रूप से आगे बढ़ाना होगा. हमें समावेशी न्याय के लिए उठती मांग का साहसपूर्वक समर्थन करने के साथ सभी के लिए संवैधानिक अधिकारों की गारंटी सुनिश्चित करना होगा, चाहे हमारे सामने कितनी भी चुनौतियां क्यों न हों.