- कुसुम वर्मा
(उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले के मड़िहान विधानसभा में पहाड़ी पर चढ़ते हुए पटेहरा गांव है जहां तमाम मिट्टी के कच्चे घरो में से एक घर जीरा भारती का है जो पिछले दो दशको से दलितों और आदिवासियों के हक में आवाज उठा रही हैं. इस संघर्ष में कई बार उन्हें गांव के दबंगो की मार झेलनी पड़ी है और प्रशासन द्वारा क़ई फर्जी मुकदमे भी उनके ऊपर लादे गए हैं. इस विधानसभा चुनाव में जीरा भारती अपने मड़िहान विधानसभा से भाकपा(माले) से उम्मीदवार हैं. उनके चुनावी प्रचार के दौरान उनके साथ बातचीत और अनुभव पर एक रिपोर्ट).
कैसे हुआ कम्युनिस्ट आंदोलन से जुड़ाव
जीरा भारती बताती है कि अपने गांव पटेहरा में वह अपने चार बच्चों के साथ खेतों में मजदूरी करके अपना जीवन यापन करती थीं. एक बार गांव के स्वर्ण सामंती ताकतों ने प्रशासन के साथ मिलकर कई सालों से अपनी जमीन पर बसे आदिवासियों को बेदखल कर उनकी जमीन हड़प का सरकारी अभियान चलाया. ऐसी परिस्थिति में लाल झंडे पर हंसुआ-हथौड़ा के निशान की पार्टी के लोग गांव में आये और आदिवासियों के साथ मिलकर गांव में जमीन हड़प के खिलाफ दीर्घकालिक लंबा धरना दिया. जीरा भारती ने बताया कि इस धरने में शामिल होकर उन्होंने महिलाओं का नेतृत्व किया. लाल झंडे और आदिवासियों की बड़ी भागेदारी की ताकत ने स्वर्ण सामन्ती ताकतों और प्रशासन को गांव से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इस आंदोलन का उन पर इतना बड़ा असर हुआ कि उन्होंने लाल झंडे की पार्टी भाकपा(माले) की सदस्यता ले ली और कम्युनिस्ट आंदोलन में शामिल हो गईं.
इसके बाद उन्होंने मिर्जापुर में गरीबों, दलितों और आदिवासियों की क़ई लड़ाईयों का नेतृत्व किया.
संघर्ष, आंदोलन, जीतें और फर्जी मुकदमे
पिछले दो दशकों में जीरा भारती ने ग्रामीणों के साथ मिलकर न केवल मजदूरी बढ़ाने, राशन व्यवस्था में कोटेदारों की मनमानी रोकने और मनरेगा में भ्रष्टाचार के खिलाफ कई लड़ाईयों का नेतृत्व किया है बल्कि वे महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के सवालों को भी वह मजबूती से उठाती रही हैं. गरीबों और महिलाओं के हक में प्रशासन और दबंगो से सीधे टकराने के कारण जीरा भारती को कई बार अपने ऊपर यौन हमले और जानलेवा हमले झेलने पड़े, कई फर्जी मुकदमें उनके ऊपर हैं. इतना ही नहीं उनके परिवार के सदस्यों के साथ भी दबंगो द्वारा हिंसा की गई और फर्जी मुकदमे लादे गए.
मिर्जापुर के तमाम भूमि संघर्षों की दास्तां हमने उनसे सुनी जिसमें वह 2018 के भूमि संघर्ष को रेखांकित करते हुए जरूर याद करती हैं. कोलहा गांव में दलितों पर बर्बर सामंती हमले का जिक्र करते हुए वे बताती हैं कि मोदी-योगी राज में भू-माफिया अंबिका प्रसाद पांडे ने प्रशासन की मिलीभगत के साथ दलितों को पट्टे पर देने वाली जमीन व खतियानी जमीन को अपने व परिवार के सदस्यों के नाम करा लिया. इस बात का दलित समाज के लोग शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे कि उनका गांव चकबंदी में है तो उसकी जमीन पर कब्जा नही हो सकता है. लेकिन भू माफियाओं के गुंडों ने निहत्थे आंदोलनरत गांववासियों (जिसमे क़ई महिलाएं भी शामिल थीं) के ऊपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया. गुंडों ने महिलाओं की बर्बर पिटाई भी की जिसमें चार महिलाएं बुरी तरह घायल हो गईं. एक गर्भवती महिला का गर्भपात भी हो गया था. इस मुठभेड़ में कई बुजर्गों को गम्भीर चोटे भी आईं. जीरा भारती बताती हैं कि दलितों पर इतना बड़ा हमला हुआ और उनका मुकदमा भी पुलिस ने दर्ज नहीं किया. एससी-एसटी एक्ट लगाने की बात तो दूर उल्टे 39 दलितों पर नामजद व सैकड़ों अज्ञात लोगों के ऊपर फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए गए. वह कहती हैं कि उत्तर प्रदेश में 2017 में योगी सरकार के आने के बाद से गांव में दलितों और आदिवासियों का उत्पीड़न बहुत बढ़ा है और सवर्ण सामंती भू-माफियाओं और प्रशासन का गठजोड़ मजबूत हुआ है.
उन्होंने बताया कि विगत पांच सालों में मिर्जापुर के तमाम इलाको में दलितों और आदिवासियो को उनकी पुश्तैनी जमीनों से बेदखल किया जा रहा है. खुद सरकारी अधिकारी कानून की अवेहलना करते हुए भू-माफियाओं के साथ मिलकर गरीबों की जमीनें अपने नाम लिखवा रहे हैं.
मड़िहान विधानसभा क्षेत्र में जीरा भारती के चुनावी प्रचार में मुझे उनके साथ कई गांवों में घूमने का मौका मिला. मिर्जापुर जिले में और अपने विधानसभा क्षेत्र में वह महिलाओं की चर्चित नेता है. गांव की महिलाओं की आंखों में मैने जीरा भारती के लिए सम्मान और समर्पण दोनों देखा. चुनाव प्रचार के लिए महिलाएं धान और अनाज दोनों जुटा रही हैं. पटेहरा गांव की आदिवासी महिला रन्नो से जीरा भारती और उनके चुनाव में खड़े होने के सम्बंध में हमने बात की तो उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया कि जीरा भारती हमारे दुख-सुख की साथी हैं, एक पुकार में वह हमारे साथ आकर खड़ी हो जाती हैं, हमारे लिए जेल जाती हैं, पुलिस की मार भी हमारी ही खातिर खाती हैं (बाकी नेता तो बरसाती मेढ़क की तरह चुनाव के समय में ही हमारे दरवाजे पर हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं). इसी तरह से रिक्साखुर्द गांव की दलित महिला सुकना ने कहा कि ‘हम तो हमेशा से लाल झंडे की नेता जीरा भारती के साथ ही हैं क्योंकि वह हम महिलाओं की ताकत हैं. वे हमारी लड़ाई को थाने से लेकर कचहरी तक लड़ती हैं इसलिए आज हम लोग मिलकर उनके चुनाव प्रचार के लिए पैसे इकट्ठे कर रहे रहे हैं ताकि हम महिलाओं की आवाज लखनऊ विधानसभा पहुंचा सकें’.
मड़िहान विधानसभा के बरसैंता गांव की 16 वर्षीय अराधना से चुनाव प्रचार के दौरान मुलाकात हुई. डाॅक्टर बनने का सपना देखने वाली आराधना कक्षा 8 के बाद आगे की पढ़ाई इसलिए नहीं कर सकी क्योकि उनके गांव में कोई हाईस्कूल नहीं था. अराधना जीरा भारती के साथ चुनाव प्रचार में साथ-साथ चल रही हैं. वह मजदूरों और महिलाओं की लड़ाई जिंदाबाद के नारे लगा रही हैं. अराधना का कहना है कि उनके गांव में बहुत सारी लड़कियों की पढ़ाई स्कूल-काॅलेज के अभाव में छूट जाती है. वे कहती हैं ‘मैं जीरा भारती के चुनावी कार्यक्रमों में इसलिए शामिल हो रही हूं ताकि लड़कियों की शिक्षा का सवाल विधानसभा पहुंचे.
मड़िहान विधानसभा क्षेत्र में कई राजनैतिक पार्टियों के रसूखदार नेताओं का कारवां कई दर्जन गाड़ियों के साथ चुनाव प्रचार कर रहा है. इसके विपरीत जीरा भारती गांव-गांव जाकर ग्रामीणों से मिल रही हैं और लोग खुद ब खुद उनके चुनावी कारवां में शामिल हातेे जा रहे हैं. महिलाएं हंसी-खुशी उनके लिए गाना गा रही हैं, नृत्य कर रही हैं, भोजन की व्यवस्था कर रही हैं.
यह पूछने पर कि मौजूदा चुनाव में जनता के कौन से सवाल प्रमुख हैं? इसके जवाब में जीरा भारती ने कहा कि भाजपा सरकार ने पिछले 5 सालों में विकास के नाम पर गरीब जनता का दमन ही किया है. आदिवासियों के सामने उनके अस्तित्व का संकट तो है ही, साथ ही जमीन से बेदखली भी बड़े पैमाने पर मौजूद है. इस सरकार में पंचायत स्तर तक लूट तंत्र व्याप्त है जिसके कारण योजनाओं का कोई भी लाभ गरीबों को नही मिल पाता है. सरकार की 5 किलो मुफ्त अनाज योजना गरीबी का मजाक बनाने वाली है. और, सबसे बड़ा सवाल तो महिला सुरक्षा का है जिसमें भाजपा सरकार और उसका पुलिस-प्रशासन खुद कटघरे में खड़ा है. उन्होंने कहा कि यदि वह चुनाव जीतती हैं तो गरीबों के हक में अपनी आवाज बुलंद करेंगी क्योंकि लाल झंडे की ताकत सिर्फ जनता है. वे कहती हैं ‘संघर्षाे के लिए हमें ऊर्जा भी जनता से मिलती है इसलिए हमारी असली पूंजी जनता ही है. इसीलिए मेरा सम्पूर्ण जीवन जनता की मुकम्मल लड़ाई के लिए समर्पित है’.
उत्तर प्रदेश विधानसभा के सातवें चरण के चुनाव के लिए भाकपा(माले) के दो प्रत्याशियों – गाजीपुर में जमानिया सीट से अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा और मिर्जापुर में मड़िहान सीट से अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य महिला नेता जीरा भारती ने 16 फरवरी 2022 को नामांकन पत्र दाखिल किया. भाकपा(माले) रोजगार, गैस, तेल व खाद्य वस्तुओं की महंगाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, भाजपा की नफरती राजनीति, दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों व कमजोर वर्गों की सुरक्षा, कानून का शासन, योगी के अहंकारी व दमनकारी राज से मुक्ति व लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है.