अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) के 29 वें स्थापना दिवस के अवसर पर विगत 12 फरवरी 2022 को बिहार के कई जिलों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुए. महिलाओं ने ऐपवा के बैनर तले प्रखंड व जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन किया. कई जगहों पर गोष्ठी व सभा भी आयोजित हुई.
ऐपवा स्थापना दिवस के मौके पर महिलाओं ने गायघाट रिमांड होम कांड की न्यायिक जांच कराने, महंगाई पर रोक लगाने, रसोई गैस की कीमत प्रति सिलेंडर 500 रु. निर्धरित करने और सभी स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी घोषित करने समेत अपनी कई मांगों को बुलंद किया.
अरवल में महिलाओं ने भाकपा(माले) कार्यालय से शहर के विभिन्न मार्ग से होते हुए मार्च निकाला और प्रखंड मुख्यालय पर सभा आयोजित की. सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा जिला सचिव लीला वर्मा ने कहा कि देश में महिलाओं के ऊपर अत्याचार काफी बढ़ गया है. महंगाई, बेरोजगारी, पढ़ाई, इलाज जैसे ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा-आरएसएस महिलाओं को निशाना बना रही है. कर्नाटक में मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने पर बवाल और पटना के गायघाट शेल्टर होम में लाचार महिलाओं पर अत्याचार इसकी बानगी है. भाजपा-जदयू सरकारों ने अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है. आज महिलाओं को अपने अधिकार के लिए लड़ने की जरूरत है. ऐपवा नेत्री चंद्रप्रभा देवी ने कहा कि रसोई गैस की बढ़ती कीमत से महिलाओं की घर चलाने में भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. बिहार में सरकारी अस्पतालों में स्त्री विशेषज्ञ डाॅक्टर नहीं है. भाजपा सरकार निजीकरण करने पर उतारू है जिससे किसी को भी नौकरी नहीं मिल रही. पढ़ लिख कर भी महिलाएं व नौजवान दर-दर की ठोकर खा रहे हैं.
इस मौके पर किरण देवी, गुंजन देवी, फुलवंती देवी एवं पुष्पा देवी के अलावे ऐपवा के कई कार्यकर्ता मौजूद थे.
समस्तीपुर जिले के ताजपुर नगर परिषद क्षेत्र के बहादुरनगर दलित बस्ती में महिलाओं ने ऐपवा के बैनर तले बैठक कर अपना 29वां स्थापना दिवस मनाया. इस दौरान शहीद महिला आंदोलनकारियों की याद में दो मिनट का मौन श्रद्धांजलि देने के पश्चात झंडोत्तोलन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता ऐपवा नेत्री नीलम देवी ने किया.
बतौर अतिथि बैठक को संबोधित करते हुए ऐपवा जिला अध्यक्ष बंदना सिंह ने कहा कि महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक समझने के खिलाफ न्याय, आजादी और बराबरी के लिए संघर्ष तेज करने को लेकर 12 फरवरी 1994 को महिला संगठन ऐपवा का गठन किया गया था. तब से लेकर आज तक ऐपवा के बैनर तले संघर्ष जारी है.
अंत में महिलाओं के रोजी-रोटी-रोजगार-सम्मान की गारंटी करने, पटना रिमांड होम कांड की न्यायिक जांच कराने, गैस सिलेंडर का दाम 5 सौ रूपये फिक्स करने, 3 सौ यूनिट बिजली निःशुल्क देने, हर स्त्री के लिए शिक्षा-स्वास्थ्य की गारंटी करने समेत महिला हित के अन्य मांगों को लेकर जुलूस निकाला गया जो एनएच-28 का भ्रमण करते लाईन होटल चौक पर पहुंचा. वहां आयोजित सभा को रजनी देवी, रजिया देवी, रूबी देवी, काला देवी, पूनम देवी, रामपरी देवी, कुशमा देवी, लक्ष्मी देवी, सुमित्रा देवी समेत अन्य महिलाओं ने संबोधित किया.
भभुआ (कैमूर) में ऐपवा द्वारा जिला पदाधिकारी के समक्ष एकदिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया. महिलाओं ने कहा कि महिलाओं पर हमला लगातार बढ रहा है. यहां तक कि सरकारी संस्थानों में भी लड़कियां-महिलायें सुरक्षित नही है. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड की घटना हम अभी भूले नहीं कि पटना का गायघाट रिमांड होम कांड सामने है जिले में ककरी कुंडी गांव निवासी अनीता देवी का नवजात बच्चा चैनपुर के सरकारी अस्पताल से गायब होने की घटना सामने आई है और पुलिस थाना व अस्पताल मिलीभगत कर इस घटना को झूठा साबित करने की साजिश रच रहे हैं.
धरना-प्रदर्शन के माध्यम से अन्य मांगों के अलावा अनिता देवी का बच्चा गायब मामले में संलिप्त अस्पताल कर्मियों पर कार्रवाई करने की भी मांग की गई.
कार्यक्रम में भाकपा(माले) जिला सचिव विजय यादव, कार्यालय सचिव मोरधवज सिंह, लुटावन प्रसाद, सिंगासन राम, महेंद्र सिंह, शकुंतला देवी, गीता देवी, अनीता दास, लालबहादुर पासी, रमाशंकर राम आदि शामिल थे.
राजधानी पटना के रामजीचक इलाके में कार्यक्रम किया गया. बक्सर में ऐपवा का स्थापना दिवस केे मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संध्या पाल व सरिता देवी ने संबोधित किया. गया में भी ऐपवा का स्थापना दिवस पर कार्यक्रम आयोजित हुआ. जहानाबाद के काको और मखदुमपुर में प्रखंड मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया. काको प्रखंड कार्यालय कैम्पस में आयोजित धरना-प्रदर्शन में घोसी विधायक का. रामबली सिंह यादव, भाकपा(माले) प्रखंड सचिव का. विनोद कुमार भारती व ऐपवा नेत्री का. रेणु देवी आदि शामिल रहे.
मुजफ्फरपुर में ऐपवा के द्वारा जिला कार्यालय, हरिसभा चौक पर झंडोत्तोलन करने के बाद पटना रिमांड होम कांड की न्यायिक जांच कराने, गैस सिलेंडर का दाम 500 रूपए फिक्स करने, हिजाब के नाम पर महिलाओं के मौलिक अधिकार पर हमला बंद करने तथा धर्म संसद के नाम पर हिंसा और नफरत फैलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग के नारों के साथ मार्च निकाला गया.
इस मौके पर मौजूद महिला कार्यकताओं को संबोधित करते हुए ऐपवा की जिलाध्यक्ष शारदा देवी ने कहा कि पटना रिमांड होम की घटना शर्मसार कर देने वाली है, हम सरकार से मांग करते हैं कि पुरे घटना की न्यायिक जांच कराई जाए. उपाध्यक्ष प्रो. भवानी रानी दास ने अपने सम्बोधन में पटना रिमांड होम की महिलाओं व कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के साथ हो रहे बदसलूकी की निंदा करते हुए इसके दोषियों को कड़ी सजा दने की मांग की.
मार्च में प्रो.भवानी रानी दास, निर्मला देवी, शारदा देवी, शर्मिला देवी, रेहाना खातुन, नाजरीन खातुन, समशी खातुन, फरीदा खातुन, जमीला खातुन, गुड़िया बेगम, रूखसाना खातुन, नजरा खातुन, रसीदन खातुन, अंजु देवी, सैयदा खातुन, शहनाज खातुन आदि शामिल थीं.
नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ में हास्पीटल मोड़ पर ऐपवा जिलाअध्यक्ष का. गिरजा देवी व ऐपवा नेत्री रेणु देवी के नेतृत्व में विरोध् प्रदर्शन किया गया.
गया के डोभी में सैकड़ों महिलाओं ने देश में बेतहाशा बढ़ती महंगाई, गायघाट रिमांड होम की घटना सहित अन्य ज्वलन्त मुद्दे को लेकर सड़कों पर प्रतिवाद प्रदर्शन किया और प्रखंड कार्यालय पहुंचकर शीला देवी, रूबी देवी, उर्मिला देवी, पारो देवी, चिंता देवी के प्रतिनिधि मंडल ने बीडीओ को मांग पत्र सौपा.
झारखंड के गिरिडीह में ऐपवा के 29वें स्थापना दिवस पर मार्च निकाला गया और सरकार से केजी से लेकर पीजी तक की मुफ्त शिक्षा देने की मांग की गई.
वेलेंटाइन डे के मौके पर महिलाओं-पुरूषों को अपमानित व परेशान करने वालों, खासतौर पर दक्षिणपंथी संगठनों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने के बाबत अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा), भिलाई-दुर्ग द्वारा एक ज्ञापन 11फरवरी को दुर्ग के कलेक्टर तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया.
ज्ञापन में कहा गया है कि बीते कई वर्षों से दक्षिणपंथी संगठनों के द्वारा वेलेंटाइन डे के अवसर पर नैतिक पुलिसिंग के नाम पर महिला-पुरूषों को उत्पीड़ित व परेशान किया जाता है.जोकि संविधान प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकारों पर खुला हमला है.
इनके द्वारा कानून को अपने हाथ में लेते हुए महिला-पुरूषों को विभिन्न तरीके से अपमानित किया जाता है और उनके साथ मारपीट की जाती है. वेलेंटाइन डे के बारे में सामाग्री बेचने वाले दुकानदारों को धमकाया जाता है व दुकानों में तोड़-फोड़ भी की जाती है.
ज्ञापन मे उक्त तथ्यों के मद्देनजर मांग की गई कि (1) नैतिक पुलिसिंग के नाम पर कानून को अपने हाथ में लेने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाये. (2) पुलिस-प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि असामाजिक तत्वों का जनता मे खौफ न हो. (3) महिलाओं-पुरूषों के संवैधानिक व लोकतांत्रिक अधिकारों की गांरटी की जाये. (4) सार्वजनिक स्थानों और सुनसान जगहों पर बेहतर लाइटिंग व सुरक्षा की व्यवस्था की जाये. (5) जगह-जगह पर सार्वजनिक शौचालयों की संख्या बढ़ायी जाये.