आजादी के 75 साल: जन अभियान की एक महत्वपूर्ण बैठक गया में विगत 13 फरवरी 2022 को आयोजित हुई. रेड क्राॅस भवन के पास ‘बागीचा - द पार्टी लाॅन’ में आयोजित बैठक में शहर के नागरिक समाज, बुद्धिजीवी, लेखक सहित राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए.
बैठक में 1857 से लेकर 1947 तक आजादी की लड़ाई में गया जिले की भूमिका को सामने लाने पर चर्चा हुई. बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता फैयाज हाली ने की.
अंग्रेजों के खिलाफ 1857 की लड़ाई में गया शहर एक बड़ा केंद्र था. ग्रैंड ट्रैक रोड इस शहर से सटे दक्षिण से ही गुजरता है. अंग्रेजों और क्रांतिकारियों के बीच इस रोड पर कब्जे के लिए लगातार लड़ाई चली. जिसका रोड पर कब्जा उसका शहर पर भी. चूंकि कलकत्ता तक यह सड़क सीधे पहुंचती थी, इसलिए उसका सामरिक महत्व था. पटना जिला 1825 में बना. उसके पहले पूरा मगध जिला बेहार कहलाता था और गया ही उसका केंद्र था.
1857 में गया शहर की भूमिका इतिहास के पन्नों पर अभी तक गौण है. वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत जी ने इसकी चर्चा की है – 10 दिन जब गया हिल उठा. गया शहर, वजीरगंज, शेरघाटी, बराबर की पहाड़ियों के नीचे के गांव बगावत के केंद्र थे. गया में कई दफा जेल तोड़ा गया. 1857 में कई लोगों को कालापानी की सजा हुई. यदि पुराने गया जिले की बात कर लें तो अरवल के खमैनी से घोषी के लखावर, औरंगाबाद के कसमा, नवादा और पलामू तक क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को खदेड़ बाहर किया था. गया का मजिस्ट्रेट मनी को आनन-फानन में भागना पड़ा था.
1942 के आंदोलन में भी गया शहर सहित पूरा जिला एक बड़ा केंद्र था. कई लोगों की शहादत हुई. श्यामचरण भरथुहार 21 वर्षों तक अंडमान की जेल में रहे.
इस गौरवशाली इतिहास व गुमनाम नायकों को सामने लाने के लिए और आजादी के 75वें साल में स्वतंत्रता आंदोलन के तमाम मूल्यों व सपनों – लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, भाईचारा, सामाजिक न्याय व समाजवाद पर हो रहे हमले के खिलाफ जनअभियान को जिले में मजबूती से चलाने का निर्णय लिया गया.
कार्यक्रम में भाकपा(माले) के जिला सचिव निरंजन कुमार, जनअभियान के कुमार परवेज़, इनौस के राज्य उपाध्यक्ष तारिक अनवर, आइसा से आमिर तुफ़ैल, वरिष्ठ अधिवक्ता फैयाज हाली, विनोद कुमार, रामनरेश चौधरी, उर्दू लेखक अहमद सगीर, संस्कृतिकर्मी हरेंद्र गिरी ‘शाद’, प्रो. पिंटू कुमार, रामचंद्र प्रसाद, शम्भू राम, रामानंद सिंह, शोधार्थी अरीब रिजवी, अधिवक्ता आमिर सुब्हानी शामिल हुए.
आजादी के आंदोलन के 75 वें साल में किसान आंदोलन के प्रखर नेता सहजानंद सरस्वती की 134वीं जयंती पर महाशिवरात्रि यानी 1 मार्च को समारोह का आयोजन किया जाएगा. विगत 15 फरवरी को पालीगंज के अब्दुल कलाम कृषि भवन में बुद्धिजीवियों व किसान कार्यकत्र्ताओं की बैठक में यह तय हुआ. चर्चित किसान नेता रामानन्द तिवारी की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में आजादी के आंदोलन के शहीदों के परिजनों को भी सम्मानित करने की योजना बनी.
बैठक में मुख्य रूप से चर्चित किसान नेता व चिकित्सक श्यामनंदन शर्मा, भाकपा(माले) के जिला सचिव अमर, एआईपीएफ के राज्य संयोजक डाॅ. कमलेश शर्मा, जन अभियान के संयोजक कुमार परवेज़, सामाजिक कार्यकर्ता अशोक यादव, महाबलीपुर पंचायत के मुखिया निकेश कुमार, भाकपा(माले) नेता अनवर हुसैन, राजदेव यादव, रमेश पंडित, उमेश मांझी, चंद्रसेन वर्मा, रामएकबाल सिंह सहित कई लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम को लेकर तैयारी समिति का गठन किया गया.
नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार आजादी के 75 साल को अमृत काल बता रही है. यह कैसा अमृत काल है जिसमें किसानों के ऊपर थोप दिए गए तीन कानूनों की वापसी के लिए 700 किसानों की कुर्बानी देनी पड़ती है. किसानों को गाड़ियों से कुचल दिया जाता है. आजादी के बाद किसानों को जो भी अधिकार मिले थे उसे उल्टा जा रहा है. किसानों की हालत दिन-प्रतिदिन खराब होते जा रही है. हर कोई जानता है कि आजादी के आंदोलन की मुख्य कड़ी किसान थे, लेकिन उन्हें ही उनके अधिकार से बाहर रखा जा रहा है. भाजपा के लोग वर्तमान तो बिगाड़ ही रहे हैं, अतीत की भी अपने तरह से व्याख्या करके असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हिन्दू-मुसलमानों को झगड़े में उलझा रही है. प्रधानमंत्री की अगुआई में दक्षिणपंथी खेमा अमृत महोत्सव की आड़ में देश पर फासीवादी एजेंडा थोपने की कोशिश जोर-शोर से कर रही है. कहा कि पालीगंज-विक्रम का इलाका जो 1857 केे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम और किसान आंदोलन का प्रमुख इलाका रहा है, किसानों के अधिकार की रक्षा, आजादी आंदोलन की विरासत को बचाने और नए भारत के निर्माण में भी आगे रहेगा.