वर्ष - 28
अंक - 37
31-08-2019

16 अगस्त को उनके पैतृक गांव देवडीह, बलिया (उप्र) में एक शोक सभा आयोजित कर पिछले दिनों दिवंगत हुए का. अनिल सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई की गई. पार्टी कार्यकत्ताओं व परिजनों समेत सैकड़ों लोगों ने इसमें शामिल होकर नम आंखों से उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किया और उनसे प्रेरणा लेकर उनके सपने को पूरा करने का संकल्प लिया. सभा में खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का. श्रीराम चौधरी, पार्टी के जिला सचिव का. लाल साहब, किसान महासभा के नेता मुन्नी सिंह, का. नियाज अहमद, खेग्रामस के नेता वशीष्ट राजभर, सोमरिया राजभर, जयराम चौहान, रामप्रवेश शर्मा, ऐपवा की नेत्री लीलावती देवी, रेखा पासवान, कमलावती देवी, इनौस के नेता भागवत विंद, राजू राजभर तथा राधेश्याम चौहान, नगेन्द्रकुमार, जनार्दन सिंह, का. राम प्रकाश, श्रीभगवान चौहान, अनिरुद्ध पासवान, पशुपति, राधामोहन राम, महेंद्र राम, विनय, जयप्रकाश शर्मा, जमाल अंसारी, गरीब राजभर, हरेंद्र राजभर आदि शामिल रहे. शोकसभा की अध्यक्षता का. मुन्नी सिंह तथा संचालन का. लाल साहब ने किया.

का. अनिल सिंह का जन्म ग्राम सभा देवडीह, जनपद बलिया, उत्तरप्रदेश में 1948 में हुआ था. वे एक बहन और तीन भाईयों में एक थे. जिनका. अनिल सिंह की प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा गांव के ही स्कूल में हुई. उन्होंने बासडीह से इंटरमीडियट व बलिया से पोलटेक्निक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वाराणसी के यूपी कालेज से बीए की डीग्री हासिल की. उसके बाद उनका पूरा परिवार उत्तर बंगाल के कुचबिहार चला गया. 80 के दशक में वहीं वे पार्टी के संपर्क में आए तथा इलाके में पार्टी का कामकाज करने लगे. उन्होंने कुचबिहार में जमीन दखल आंदोलन व असामाजिक तत्वों के खिलाफ आंदोलन में भागीदारी की. उन्होंने लंबे समय तक उत्तर बंगालं रिजनल कमेटी की अगुवाई की. वे हंसमुख, निर्भीक व साहस के धनी होने के कारण वे उत्तर बंगाल की जनता तथा पार्टी कतारों के काफी भरोसेमंद और लोकप्रिय साथी बन गए.

90 के दशक में का. अनिल सिंह अपने गृह जनपद बलिया वापस आए और आते ही तत्परता से पार्टी का निर्माण करने में लग गए. उन दिनों उन्होंने बलिया में सामंती उत्पीड़न की दर्जनों घटनाओं के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया. इस दौरान उनके ऊपर कई जानलेवा हमले हुए. लेकिन, वे कभी विचलित नहीं हुए. वे मजबूत इरादों वाले एक ऐसे साथी थे जो अपनी व्यक्तिगत जिम्मेवारी को सामूहिक विवेक के आधार पर पूरा करते थे. का. अनिल सिंह वर्ष 1990 से 1995 तक पार्टी के जिला प्रभारी तथा वर्ष 1996 से 2000 तक पार्टी के जिला सचिव रहे. भाकपा माले की जिला स्तरीय राजनीतिक पहचान बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. इसी बीच 2005 में वे लकवाग्रस्त हो गए. इसके बावजूद वे हमेशा राजनीतिक माहौल में रहते थे और अन्य कार्यकर्ताओं में उत्साह जगाते रहते थे. उनके अंदर कम्युनिस्ट गुण कूट-कूट कर भरे थे. विगत 3 अगस्त की सुबह हृदयगति रूकने से उनकी मृत्यु हो गई. यह खबर सुनते ही पार्टी कतारों व जनाधार के बीच शोक पसर गया. दर्जनों पार्टी कार्यकर्ता ‘का. अनिल को लाल सलाम’ तथा ‘का. अनिल अमर रहें’ के नारों के साथ उनकी शवयात्रा में शामिल हुए.

 


29 अगस्त को भारी बारिश और विपरीत मौसम को धता बताते हुए कोलकाता में ऐक्टू के बैनर तले राज्य कर्मचारी के रूप में मान्यता और सम्मान-जनक वेतन की मांग पर मध्यान्ह भोजन कर्मियों की रैली.