सोनभद्र के उम्भा आदिवासी नरसंहार के खिलाफ जमीन के प्रश्न को केंद्र कर और पीड़ित परिवारों समेत आदिवासी-गरीबों को उनका हक दिलाने के लिए तीन जिलों – सोनभद्र, मिर्जापुर व चंदौली – में भाकपा(माले) के राज्य सचिव का. सुधाकर यादव के नेतृत्व में ‘आदिवासी अधिकार एवं न्याय यात्रा’ चलाई जा रही है. विगत 9 अगस्त को उम्भा गांव (सोनभद्र) से यात्रा की शुरुआत हुई. यात्रा में पार्टी राज्य कमेटी के सदस्य और इलाके के कई कार्यकर्ता भी मोटरसाइकिलों पर सवार होकर चल रहे हैं. एक पर्चा भी वितरित किया जा रहा है. यह यात्रा पूरे अगस्त माह में चलेगी और तीनों जिलों के गांव-गांव से गुजरती हुई 7 सितंबर को सोनभद्र के जिला मुख्यालय राॅबर्ट्सगंज पहुंचेगी.
20 अगस्त को मिर्जापुर जिले के लालगंज तहसील से यात्रा के दूसरे चरण की शुरूआत हुई. इसमें एक चौपहिया वाहन को भी शामिल किया गया. यह यात्रा 20 अगस्त को लालगंज (मिर्जापुर), 21 अगस्त को पटेहरा-राजगढ़ (मिर्जापुर), 22 अगस्त को घोरावल, 23 अगस्त को रॉबर्ट्सगंज, 24 अगस्त को चतरा-नगवां, 25 अगस्त को दुद्धी (सोनभद्र), 26 अगसत को जमालपुर-नारायणपुर, 27 अगस्त को सक्तेशगढ़, 28 अगस्त को मड़िहान और 29 अगस्त को नौगढ़ (चंदौली) के विभिन्न इलाकों से गुजरेगी. 7 सितंबर को सोनभद्र के जिला मुख्यालय राबट्र्सगंज में आदिवासी अधिकार रैली होगी जिसे भाकपा(माले) के महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य संबोधित करेंगे.
चौथे दिन यह यात्रा सोनभद्र जिले के मगरदहां, पुरैनिया, निकारिका, बागपोखर, गुरेठ, खिरेटा, कुसिनिब्स, सिद्धि, बिच्छी पड़ाव, सुकृत गांव में पहुंची. वहां पर लोगों ने जोरदार स्वागत किया, उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए का. सुधाकर यादव ने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है. भाजपा आदिवासी समाज के साथ दुश्मनों जैसा सलूक करती है. सोनभद्र जिले के उम्भा गांव के आदिवासियों का जनसंहार भूमाफियाओं व जिला प्रशासन की साजिश का परिणाम है. केंद्र व प्रदेश में सरकार होने के बावजूद भाजपा आदिवासियों की विभिन्न जातियों को जनजाति की मान्यता नहीं दे रही है. भारतीय वन कानून 1927 का प्रस्तावित संशोधन विधेयक तो आदिवासी जीवन को ही तहस-नहस करने वाला साबित होगा. सरकार आदिवासी समाज को हक देने के बजाय उसे पुश्तैनी जमीन से जबरिया उजाड़ने में ही लगी है. भाकपा(माले) आदिवासियों को उजाड़ने के खिलाफ उनके हक-अधिकार की लड़ाई को आगे बढ़ाएगी. यात्रा में भाकपा(माले) की राज्य कमेटी के सदस्य व इंकलाबी नौजवान सभा के राज्य सचिव का. सुनील मौर्य, राज्य कमेटी के सदस्य का. सुरेश कोल, जीरा भारती व धर्मराज कोल, आइसा राज्य कमेटी के सदस्य रणविजय सिंह व कमलेश कोल आदि शामिल थे.
पांचवें दिन यह यात्रा हरैया, चरकोनवा, सुकृत, तकिया व घघरी गांव में पहुंची. चरकोनवां में का. इंद्रावती ने सभा का आयोजन किया, वहां पहले से कुछ झंडे लगे थे. उपस्थित ललगभग 70 साथियों में महिलाओं की संख्या ही अधिक थी. कई साथियों के अलावा का. इंद्रावती ने भी अपनी बातें रखीं. उन्होंने बताया कि किस तरह से बड़े लोग गरीबों के जमीन व खेत पर जबरन कब्जा करना चाहते है. बड़े लोग जंगल की जमीन की ट्रैक्टर से जुताई कर लेते हैं लेकिन गरीब लोग ऐसा नहीं कर सकते. यदि करते हैं तो वन विभाग वाले मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार भी कर लेते है. सभा व जुलुस की समाप्ति के बाद जब आगे की यात्रा को चलाने के लिए सहयोग की अपील की गई तो सबने यथासंभव – दस रु. से सौ रु. तक – सहयोग किया. एक बोलने में अक्षम नौजवान ने भी जो सभा व जुलूस में शामिल था, आगे आकर अपना सहयोग दिया. जुलूस को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरकार जल-जंगल-जमीन पर आदिवासियों का अधिकार नहीं छीन सकती. गरीबों-आदिवासियों की जमीन के कागजात में हेरा-फेरी करके गरीब आदिवासियों की जिन जमीनों को ट्रस्ट, सोसाइटी और मठ के नाम करके छीन लिया गया है, वह उन्हें वापस लौटानी होगी. वक्ताओं ने यह भी कहा कि भाजपा समाज को हिंदू-मुस्लिम के आधार पर बांटकर नफरत की राजनीति कर रही है. इसके खिलाफ गरीब समाज को एकजुट होकर लड़ाई लड़ना होगी. भाकपा(माले) राज्य कमेटी के सदस्य शशिकांत कुशवाहा, ऐपवा नेत्री इंद्रावती, हीरावती व शांति तथा शिव कुमार, सोम्मर, दिनेश राजवाड़ा, कल्लू पटेल, दीना, मोहन कोल, बुधिराम कोल, राजू, नोहर भारती, बीगन आदि समेत कई अन्य नेता-कार्यकर्ता भी उस दिन यात्रा में शामिल रहे.
छठवें दिन यह यात्रा घघरीगांव, बघाड़ू, महुली, खजूरी, पकरी,बरहपान, होते हुए दुद्धी पहुंची. वहां पर दुद्धी को अलग जिला बनाने का आंदोलन चला रहे एडवोकेट प्रभु सिंह समेत अन्य लोगों ने यात्रा का स्वागत किया और जुलूस निकाला. यहां भी लोगों ने जुलूस निकालकर जोरदार स्वागत किया. जुलूस में ‘गरीब-गरीब, भाई भाई, लड़कर लेगा पाई-पाई’, ‘जान दे देंगे-जमीन के नहीं देंगे’, ‘आदिवासियों की हत्यारी योगी सरकार मुर्दाबाद’ तथा ‘आदिवासियों को जल, जंगल, जमींन का अधिकार दो’ आदि नारे गुंजते रहे.
यात्रा के दौरान जिन मांगों को प्रमुखता से प्रचारित किया जा रहा है, वे मांगे हैं – 1. ऊम्भा गांव की संपूर्ण विवादित भूमि को आदिवासियों के कानूनी हक में विनियमित करो. 2. मिर्जापुर , सोनभद्र एवं नौगढ़ क्षेत्र में राजस्व अभिलेखों में हेर-फेरी करके सोसाइटी या न्यासों, ट्रस्टों, मठों व अन्य नामों से अर्जित सभी भूमि को सरकारी कब्जे में लेकर उसे आदिवासियों व गरीबों के बीच वितरित करने का अभियान चलाओ. 3. गरीबों-आदिवासियों के भूमि विवाद के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित करो. 4. क्षेत्र के आदिवासी जातियों को जनजाति के दर्जा देने के लिए केंद्रीय कानून में संशोधन करो. 5. भारतीय वन कानून 1927 में प्रस्तावित संशोधन वापस लो. 6. आदिवासियों के विकास व सामाजिक सुरक्षा के लिए विशेष आर्थिक पैकेज घोषित करो. 7. वन विभाग द्वारा आदिवासियों पर दर्ज कराए गए सभी मुकदमें वापस लो. 8. भूमि आयोग का गठन करो.