1995 में देवरिया (उप्र) के बलुअन ग्राम में सामंती वर्चस्व के खिलाफ भाकपा(माले) ने तीखा संघर्ष छेड़ रखा था. इसी क्रम में दबंगों की गोली से एक महिला और एक बच्चे की जान गई थी और भाकपा(माले) की राज्य समिति के सदस्य रामकिशोर वर्मा बुरी तरह घायल होकर मरणासन्न हो गए थे। किसी तरह से उनकी जान बची थी।
अब जब 29 साल बाद इस मामले में अदालत ने जो फैसला सुनाया है उसमें एक ओर जहां ग्रामीण गरीबों पर गोली चलाकर रामकिशोर वर्मा सहित कई अन्य को मरणासन्न करने और महिला व बच्चे की हत्या करने वाले चार दबंग अभियुक्तों में से तीन को बरी कर दिया गया है और मात्र एक को सजा दी गई है तो दूसरी ओर गरीबों के पक्ष के 40 लोगों को दोषी ठहराते हुए जेल भेज दिया गया है।
इस मामले में कुल 59 ग्रामीण गरीब लोग अभियुक्त बनाए गए थे, इनमें से 10 ग्रामीणों की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई थी जबकि 7 अभियुक्त नाबालिग थे। दोषी ठहराये गये 40 ग्रामीण गरीबों में से आधे से अधिक की उम्र 60 वर्ष के उपर है और लगभग सभी भूमिहीन एवं गरीब हैं।
विगत सोमवार को जनपद एवं सत्र न्यायालय, देवरिया द्वारा दिये गए फैसले में जिन 40 ग्रामीण गरीबों व भाकपा(माले) नेताओं को आइपीसी की धारा 395 व 397 के तहत सजा देते हुए जेल भेज दिया गया है उनमें राज्य कमेटी सदस्य व गरीबों के चर्चित नेता का. रामकिशोर वर्मा, जिला कमेटी सदस्य छोटेलाल कुशवाहा, खेग्रामस जिला संयोजक प्रभुनाथ पासवान व लोकल कमेटी सदस्य नथुनी शर्मा, राधाकिशुन व जलेसर पटेल सहित दर्जन भर पार्टी सदस्य शामिल हैं।
बलुअन गांव निवासी दुर्गेश व भीम ने बताया कि तब गांव में दबंग लाला परिवार का जंगल राज कायम था. वह अपराधियों के साथ मिलकर ग्रामीणों से जबरन बेगारी कराता था, सूदखोरी करता था और अन्य सामंती तौर-तरीकों से ग्रामीण गरीबों का शोषण व उत्पीड़न करता था. गरीब इससे मुक्ति के लिए लोकतांत्रिक तरीके से लड़ रहे थे।
अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी
भाकपा (माले) ने 29 साल पुराने एक मामले में पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं सहित 40 ग्रामीण गरीबों को दोषी ठहराने और दबंग सामंती हत्यारों को बरी करने के निर्णय को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा है कि जेल भेजकर गरीबों की आवाज को चुप कराने की कोशिश हो रही है. भाकपा(माले) इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ेगी।
पार्टी ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी शासित उत्तर प्रदेश में दबंग राज है और उक्त फैसला दबंगों का मनोबल बढ़ाने वाला है। गरीबों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है और भाजपा राज में उनका दमन हो रहा है। मामले में न्याय के लिए लड़ाई जारी रहेगी।
भाकपा(माले) राज्य कमेटी ने इस अन्यायपूर्ण फैसले के खिलाफ का आगामी 19 फरवरी 2024 का राज्यव्यापी प्रतिवाद का आह्वान किया है जिसकी पूरे राज्य में जोरदार तैयारी चल रही है.