दिल्ली के जेएनयू के छात्र होस्टल की फीस में भारी वृद्धि और नए होस्टल मैन्युअल के खिलाफ पिछले एक महीने से ज्यादा से संघर्ष कर रहे है. लेकिन अब यह फीस वृद्धि का सवाल सिर्फ जेएनयू का नहीं बल्कि देश के तमाम विश्विद्यालयों का सवाल बन गया है. सभी के लिए सरकारी मुफ्त शिक्षा की मांग और उच्च शिक्षा पर हो रहे हमलों के खिलाफ देश भर के छात्र संगठनों ने साझा मंच ‘आल इंडिया नेशनल फोरम टू सेव पब्लिक एजुकेशन’ बनाया है. मंगलवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में एसएफआई, आइसा, एनएसयूआई, एआईएसएफ के साथ कई अन्य छात्र संगठनों (आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी को छोड़कर) के नेता इकट्ठा हुए. एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने सभी के लिए सरकारी मुफ्त शिक्षा की मांग को लेकर छात्रों ने एक साझा मंच ‘आल इंडिया नेशनल फोरम टू सेव पब्लिक एजुकेशन’ के गठन का एलान किया.
जेएनयू छात्रसंघ, एमएयू छात्रसंघ, एयूडी छात्रसंघ के नेताओं ने भी इस प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित किया. एचसीयू छात्रसंघ और पीयू छात्र संघ समेत अन्य छात्र संघों ने भी इस साझे मंच का समर्थन किया है. सभी ने देश में उच्च शिक्षा पर हो रहे हमलों के खिलाफ एक साझे संघर्ष पर जोर दिया. उत्तराखंड के आयुर्वेदिक विज्ञान के छात्र, दिल्ली आईआइएमसी, एआईआईएमएस, आईाअईटी और एयूडी के छात्र भी फीस में वृद्धि के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. इन सभी प्रदर्शनों में सरकारों द्वारा छात्रों की वास्तविक मांगों पर या तो उदासीनता दिखाई जाने या पुलिस के माध्यम से आंदोलन का दबाने का प्रयास कर रही है. इसका हालिया उदहारण दिल्ली पुलिस द्वारा जेएनयू के छात्रों के विरोध और उत्तराखंड में आयुर्वेद मेडिकल कालेजों के छात्रों पर किए गए लाठी चार्ज हैं.
छात्र नेताओं ने कहा कि वर्तमान सरकार छात्र यूनियनों को खत्म करके छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला कर रही है. जेएनयू प्रशासन द्वारा जेएनयूएसयू को मान्यता नहीं देना इसी का परिचायक है. इसके आलावा जामिया, एचपीयू, एसएयू आदि के छात्रों द्वारा छात्रसंघ की मांग लगामार ठुकरायी जा रही है. यह कैंपसों के लोकतांत्रिक वातावरण को नष्ट करने का ही प्रयास है. इसके साथ ही कैंपसों में सामाजिक न्याय और प्रगतिशील संस्थानों जैसे कि जीएस-कैश को खत्म किया जा रहा है. इस परिदृश्य में, यह जरूरी है कि छात्रों के आंदोलनों और संगठनों की एक राष्ट्रीय समन्वय समिति देश के युवाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के लिए संघर्ष करे. संगठनों और विश्वविद्यालय छात्रा संघों का यह साझा मंच सार्वजनिक वित्त पोषित शिक्षा के बचाने के संघर्ष को तेज करेगा.
प्रेस कांफ्रेंस को एसफआई के महासचिव मयूख विश्वास, आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन साईं बालाजी, एनएसयूआई के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विकास यादव, भगत सिंह अंबेडकर स्टूडेंट आर्गनाइजेशन की नेता अपेक्षा प्रियदर्शी, जेएनयूएसयू की अध्यक्ष अशीई घोष व डीएसएफ की सारिका चौधरी ने संबोधित किया. अंत में इन सभी मुद्दों को लेकर आल इंडिया नेशनल फ़ोरम टू सेव पब्लिक एजुकेशन के बैनर तले 8 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया. 26 जनवरी को पूरे देश में संविधान की प्रस्तावना पढ़ी जाएगी और मानव शृंखला बनाई जाएगी.
9 दिसम्बर 2019 को जेएनयू के छात्रों पर दिल्ली पुलिस ने फिर से बर्बर लाठीचार्ज किया, जिसमें कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए. यह घटना उस समय हुई जब हजारों की संख्या में छात्र परिसर में इकठ्ठा होकर उन्होंने राष्ट्रपति भवन की ओर मार्च कर रहे थे. ये सभी राष्ट्रपति से मुलाकात करना चाहते थे. उनका कहना था कि चूंकि देश के राष्ट्रपति विश्वविद्यालय के विजिटर हैं लिहाजा छात्र मिलकर उनसे फीस वृद्धि मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करना चाहते हैं.
मार्च से पहले विश्वविद्यालय के आस-पास की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी थी. संसद के आस-पास जेएनयू, उन्नाव और हैदराबाद समेत कई प्रदर्शनों को देखते हुए उद्योग भवन, लोक कल्याण मार्ग और सेंट्रल सेक्रेटरिएट मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया गया था. इसके साथ ही जेएनयू जाने वाली सड़क पर भी आवाजाही पर रोक लगा दी गयी थी. जेएनयू को जाने वाले बाबा गंगनाथ मार्ग को भी बंद कर दिया गया था.
पुलिस ने छात्रों के जुलूस पर लाठीचार्ज बीका जी कामा के पास किया. वहां पुलिस ने बैरिकेड लगा रखा था लेकिन जब छात्र उसकी भी परवाह किए बगैर आगे बढ़े तो उसने लाठीचार्ज कर दिया. यहां तक कि छात्रों को पुलिस ने दौड़ा दौड़ा कर पीटा. पुलिस ने छात्राओं को भी नहीं बख्शा. बताया जा रहा है कि कई छात्रों को फैक्चर हो गया है.