लोकसभा में 9 दिसम्बर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) पेश किये जाने और तुरत-फुरत में बहस के बाद बहुमत से पारित किये जाने के साथ ही देश भर में लोगों ने मोदी सरकार द्वारा भारत के संविधान पर किये इस घातक हमले के खिलाफ प्रतिवाद करना शुरू कर दिया. आने वाले सप्ताहों में ये प्रतिवाद जारी रहेंगे, क्योंकि बहुतेरे संगठनों ने इस विधेयक का डटकर विरोध करने का संकल्प घोषित किया है और अगर इस कानून को अंततः लागू किया जाता है तो इसके खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाने का फैसला किया है. कई संगठनों ने खुलेआम घोषणा की है कि अगर अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रीयता नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर (एनपीआर) को लागू किया जाता है तो वे उस प्रक्रिया का सम्पूर्णतः बहिष्कार करेंगे.
भाकपा(माले) ने मानवाध्किार दिवस को एनआरसी-सीएबी की साजिश और संविधान एवं जन अधिकारों तथा छात्रों एवं शिक्षकों व शैक्षणिक संस्थाओं, खासकर जेएनयू पर हो रहे हमलों के खिलाफ प्रतिवाद दिवस के बतौर मनाने का आह्वान किया था. मानवाधिकार दिवस पर भाकपा(माले) एवं उसके साथ सम्बद्ध संगठनों द्वारा सभी राज्यों में प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किये गये.
नागरिकता संशोधन विधेयक आरएसएस की हिंदू राष्ट्र की धारणा को पिछले दरवाजे से घुसाने की कोशिश है. इसका मकसद शरणार्थियों एवं उत्पीड़ित समुदायों को लाभ पहुंचाना नहीं बल्कि भारत की नागरिकता की परिभाषा से मुसलमानों को हटा देना है. मोदी-शाह की जोड़ी को उम्मीद है कि सीएबी के जरिये उस एकता को तोड़ा जा सकता है जो व्यापक जनता में एनआरसी के विरोध में कायम हो रही है.
एनआरसी, नागरिकता संशोधन बिल तथा देश में शिक्षा पर लगातार हो रहे हमले के खिलाफ 10 दिसंबर (मानवाधिकार दिवस) 2019 को पूरे राज्य में ‘शिक्षा अधिकार-नागरिकता अधिकार’ मार्च का आयोजन किया गया. राजधानी पटना में कारगिल चौक पर प्रतिरोध सभा आयोजित की गई. पटना के अलावा आरा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सिवान, जहानाबाद, अरवल, गोपालगंज, नालंदा, समस्तीपुर आदि जिला केंद्रों पर भी नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ प्रतिरोध मार्च निकाले गए.
पटना के कारगिल चैक पर आयोजित प्रतिवाद सभा को वरिष्ठ पार्टी नेताओं – अ. भा. खेग्रामस के महासचिव का. धीरेन्द्र झा और अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव का. राजाराम सिंह – ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि आज पूरे देश की जनता पर विभाजन की राजनीति थोपी जा रही है. एनआरसी, सीएबी और एनपीआर देश के संविधान पर हमला है. संसद में बहुमत पाकर अगर भाजपा यह समझती है कि वह देश के संविधान को रौंद देगी तो हम उसे बताना चाहते हैं कि पूरे देश की जनता एकताबद्ध होकर उसका मुकाबला करेगी.
नेताओं ने कहा कि नोटबंदी हो, जीएसटी हो या इस बार का सीएबी हो, रात के अंधेरे में किए गए ये सब काम देश के लिए खतरनाक साबित हुए हैं. आज पूरे देश में महिलाओं पर हमले तेज हो गए हैं. जेएनयू के छात्रा जब फीसवृद्धि का विरोध कर रहे हैं तो उन पर लाठियां चल रही हैं. बिहार के मजदूर यहां-वहां लगातार मर रहे हैं. दिल्ली-पटना की सरकारें इसके बारे में नहीं सोचती हैं. उलटे लगातार देश में फूट डालने का प्रयास कर रही है. हमारे बुनियादी अधिकारों और देश के बुनियादी ढांचे पर हमला और विरोध की आवाज अनसुना कर आरएसएस अपने हिन्दू राष्ट्र के एजेण्डा को लागू कराने की कोशिश कर रही है. लेकिन, ऐसा होने नहीं दिया जाएगा.
अन्य वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ नागरिकता के अधिकार पर हमला है, तो दूसरी ओर शिक्षा के अधिकार पर भी लगातार हमला किया जा रहा है. मोदी सरकार जेएनयू और अन्य विश्वविद्यालयों को लगातार निशाना बना रही है. जेएनयू में भारी फीस वृद्धि के खिलाफ देश भर में व्यापक आंदोलन उठ खड़ा हुआ. आज पूरे देश में ‘सस्ती शिक्षा-सबका अधिकार’ की मांग बुलंद हो रही है. दिल्ली विश्वविद्यालय के एडहाॅक शिक्षक भी विगत कई दिनों से आंदोलन की राह पर हैं. उन शिक्षकों को एक फरमान में सरकार ने हटा दिया है. यह उन शिक्षकों के साथ भद्दा मजाक नहीं तो और क्या है?
मोदी सरकार शिक्षा के मामले में अपनी संवैधानिक जवाबदेही से लगातार पीछे भाग रही है और उसे काॅरपोरेट घरानों के हवाले कर रही है. उसकी नई शिक्षा नीति 2019 अगर लागू हो गई तो देश में कार्यरत अभी तकरीबन 50 हजार शैक्षणिक संस्थाओं की संख्या 12 हजार पर पहुंच जाएगी. इसीलिए इसका देशव्यापी विरोध हो रहा है.
कार्यक्रम में भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता केडी यादव, पोलित ब्यूरो के सदस्य अमर, केंद्रीय कमिटी की सदस्य सरोज चौबे व शशि यादव, ऐक्टू नेता का. आरएन ठाकुर, रणविजय कुमार, अनिता सिन्हा, उमेश सिंह, समता राय, इंनौस के बिहार राज्य सचिव सुधीर कुमार सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन भाकपा(माले) की केंद्रीय कमिटी के सदस्य व पटना नगर के सचिव अभ्युदय ने किया.
दरभंगा के लहेरियासराय में भी ‘शिक्षा अधिकार-नागरिकता अधिकार मार्च’ निकाला गया. दरभंगा क्लब गेट से निकला यह मार्च कमिश्नरी, समाहरणालय होते हुए लहेरियासराय टाॅवर पहुंचा. वहां भाकपा(माले) के नगर सचिव का. सदीक भारती की अध्यक्षता में आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए का. आरके सहनी ने कहा कि देश की समस्त जनता सीएबी का पुरजोर विरोध कर रही है पर विरोध की आवाज को भाजपा अनसुना कर रही है. बिल में नागरिकता प्रदान करने का आधार धर्म व क्षेत्रीय पहचान को बनाया गया है. यह देश के संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ है. सभा को का. अभिषेक कुमार, का. लक्ष्मी पासवान, का. पप्पू पासवान, शिवन यादव, भोला पासवान, उमेश साह, सुमित्रा देवी आदि ने भी संबोधित किया.
भागलपुर में भाकपा(माले) व ऐक्टू से जुड़े सैकड़ों समर्थक व कार्यकर्ता ‘शिक्षा अधिकार-नागरिकता अधिकार’ की रक्षा के लिए संघर्ष मजबूत करने का ऐलान करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे. उन्होंने वहां ‘समान स्कूल प्रणाली लागू करो’, ‘सबके के लिए मुफ्त व वैज्ञानिक शिक्षा की गारंटी करो’, ‘छात्रों व अध्यापकों पर हमला बंद करो’, ‘नागरिकता संशोधन बिल व एनआरसी वापस लो’, ‘संविधान, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता पर हमला बंद करो’ आदि मांगों-नारों को बुलंद करते हुए जोरदार प्रदर्शन करते हुए केंद्र की मोदी सरकार का जबरदस्त प्रतिकार किया. कलेक्ट्रेट परिसर में पुलिस के भारी बंदोबस्ती की गई और दरवाजों को बंद करना पड़ा. प्रदर्शन का नेतृत्व भाकपा(माले) के नगर प्रभारी व ऐक्टू के राज्य सचिव का. मुकेश मुक्त ने की.
भाकपा(माले) नगर सचिव का. सुरेश प्रसाद साह की अध्यक्षता में हुई सभा को भाकपा(माले) के जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल, कहलगांव के प्रखंड सचिव व अभाकिम के जिला अध्यक्ष महेश प्र. यादव, ऐक्टू के जिला नेता अमर कुमार, राजेश कुमार व रितु देवी ने भी संबोधित किया.
उत्तराखंड के हलद्वानी में इस दिन बुद्ध पार्क में आयोजित प्रतिरोध धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हए भाकपा(माले) राज्य सचिव का. राजा बहुगुणा ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल को संसद से पास करवा कर मोदी सरकार ने देश के संविधान की हत्या करने की मंशा दिखा दी है. वह संविधान की धर्मनिरपेक्ष अवधारणा को नष्ट कर भारत को एक साम्प्रदायिक हिन्दू राष्ट्र में तब्दील कर देना चाहती है. उसके इस संविधान विरोधी कृत्य को राष्ट्र कभी स्वीकार नहीं करेगा और अब देश में एक नए असहयोग आन्दोलन को कोई नहीं रोक पाएगा.
भाकपा(माले) के नैनीताल जिला सचिव का. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि मोदी-शाह की सरकार देश की अर्थव्यवस्था में मौजूद भयानक मंदी, बेतहाशा महंगाई और घोर बेरोजगारी के सवाल से बचने के लिये जनता को तीखे साम्प्रदायिक विभाजन की आग में झोंकना चाहती है. किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं में फीस वृद्धि शिक्षा को निजीकरण की ओर धकेलने का कदम है.
धरना में भाकपा(माले) की केंद्रीय कमेटी के सदस्य संजय शर्मा, वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, अम्बेडकर मिशन के अध्यक्ष जीआर टम्टा, भुवन जोशी, आनन्द सिंह सिजवाली, गोविंद जीना, विमला रौथाण, मेहरून खातून, रूबी भारद्वाज आदि समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे.
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी प्रतिवाद कार्यक्रम हुए. फैजाबाद में भाकपा(माले), भाकपा, माकपा व रिहाई मंच ने संयुक्त धरना दिया. सीतापुर में माले जिला सचिव का. अर्जुनलाल के नेतृत्व में मार्च करने के बाद धरना देकर सीएबी तथा एनआरसी को रद्द करने की मांग की गई. मऊ में इन दोनों मुद्दों के अलावा जेएनयू के छात्रों पर लाठीचार्ज के विरोध में काला दिवस मनाते हुए मार्च निकाला गया, जिसका नेतृत्व जिला सचिव का. वसंत ने किया. गाजीपुर में जिला सचिव का. रामप्यारे के नेतृत्व में धरना देकर विरोध किया गया. पीलीभीत में सचिव का. देवाशीष राय के नेतृत्व में विरोध दिवस मनाते हुए ज्ञापन दिया गया. रायबरेली में आइसा की ओर से एनआरसी, सीएबी कानून को वापस लेने, जेएनयू छात्रों पर हुए पुलिस लाठीचार्ज तथा महिलाओं पर हिंसा के खिलाफ जुलूस निकाला गया. इन सभी जगहों पर हुई सभाओं में वक्ताओं ने सीएबी और एनआरसी को संविधान-विरोधी और गरीब-विरोधी व साम्प्रदायिक जहर घोलने की साजिश बताया और उसके खिलाफ देशव्यापी संघर्ष चलाने का आह्वान किया.
आंध्र प्रदेश में गुंटूर जिले के तेनाली में रैली और जनसभा आयोजित की गई. असम समेत समूचे उत्तर-पूर्व में एनआरसी और सीएबी के खिलाफ जोरदार आंदोलन चल रहा है. असम के डिब्रूगढ़ व तिंगखांग आदि जगहों में प्रतिवाद प्रदर्शन के साथ-साथ परचे भी बांटे गये. कार्बी आंग्लोंग के स्वायत्तशासी जिले के मुख्यालय दिफू में विशाल धरना आयोजित किया गया. ओड़िशा के रायागढ़ा और भुवनेश्वर जिलों समेत कई स्थानों पर प्रतिवाद मार्च आयोजित किये गये. हरियाणा के जींद जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करके राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. पुदुच्चेरी में करिकलम्पक्कम में एक प्रतिवाद प्रदर्शन संगठित किया गया. प्रतिवाद कार्यक्रम का नेतृत्व भाकपा(माले) के राज्य कमेटी सदस्य का. मुरुगम ने किया. पार्टी के केन्द्रीय कमेटी सदस्य का. बालसुब्रह्मण्यन, ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष का. मोतीलाल, अखिल भारतीय खेग्रामस के नेता का. पलनी और ऐपवा नेता का. मालिगा ने प्रर्शनकारियों को सम्बोधित किया. इसी किस्म के प्रतिवाद पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में भी आयोजित किये गये.