वर्ष - 28
अंक - 47
09-11-2019

विगत 3 नवंबर 2019 को जन संस्कृति मंच की ओर से जनगीतकार और कथाकार विजेंद्र अनिल के 12वें स्मृति दिवस पर आरा के एएसएल इंगलिश क्लासेज, पकड़ी में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ. इसकी अध्यक्षता कवि-आलोचक जितेंद्र कुमार, प्रो. बलिराज ठाकुर और रंगकर्मी अंजनी शर्मा ने की और संचालन सुधीर सुमन ने किया.

इस मौके पर जितेंद्र कुमार ने कहा कि विजेंद्र अनिल संविधान में दिए गए अधिकारों के लिए ही लिख रहे थे. समाजवाद के लिये उन्होंने रचनात्मक लड़ाई लड़ी. भूमि सुधार के संदर्भ में उनकी कहानियों को देखा जाना चाहिए. उन्होंने भूमिहीनों को नायक बनाया. परिवर्तनकारी संघर्षशील चेतना के विकास की दृष्टि से उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं. विजेंद्र अनिल के सहपाठी प्रो. बलिराज ठाकुर ने छात्र जीवन के संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि वे उसी समय से विद्रोही और क्रांतिकारी थे. वे समाजवाद के पक्षधर थे. देखने में वे दुबले-पुतले थे, पर उनका मिजाज इस्पाती था.

 कवि सुनील चौधरी ने कहा कि वे लेखन और जनता के संघर्ष दोनों में शामिल थे. स्वतंत्र पत्रकार आशुतोष कुमार पांडेय ने कहा कि विजेंद्र अनिल एक्टिविस्ट रचनाकार थे. अंजनी शर्मा ने कहा कि उनके गीत जनता की आवाज हैं. विजेंद्र अनिल के पुत्र सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने परिवार में प्रचलित अंधविश्वास को तोड़ते हुए मैट्रिक की परीक्षा पास की थी और पूरे बिहार में 11वां स्थान प्राप्त किया. उन्होंने सत्ता के जनविरोधी चरित्र का विरोध किया. जनांदोलन को उनके गीतों से बल मिला और आंदोलनों से उनके गीतों को धार मिली. चित्रकार राकेश दिवाकर ने कहा कि भोजपुर में चल रहे किसान आंदोलन से उनका रचनात्मक जुड़ाव था. आज राज्य सत्ता और पूंजीवाद का गठजोड़ जिस तरह जनता को तबाह कर रहा है उससे मुकाबले की दृष्टि भी विजेंद्र अनिल की रचनाओं से मिलती है.

इस अवसर पर युवानीति के सूर्य प्रकाश, अमन राज, आलोक रंजन, अंकित कुमार, मनीष कुमार, अतुल कुमार चौधरी, अमित मेहता ने उनके एक लोकप्रिय गीत ‘बदलीं जा देसवा के खाका’ को गाकर सुनाया. सुजीत कुमार ने उनकी गजल ‘अंधेरी रात है दीपक जलाने दो’ और संचालक सुधीर सुमन ने ‘मेरे हमदम मेरी आवाज को जिंदा रखना’ को सुनाया.  धन्यवाद ज्ञापन डा. किशोर कुमार ने किया. इस अवसर पर शिवजी राम, अरविंद कुमार, शिव प्रकाश रंजन, दिलराज प्रीतम, अजीत कुशवाहा, मनीष कुमार आदि भी मौजूद थे.

– सुधीर सुमन