पूर्वी चंपारण के सुगौली में विगत दिनों घटित भीषण बाॅयलर विस्फोट की जांच में दिनांक 17 नवंबर को भाकपा-माले की एक उच्चस्तरीय जांच टीम सुगौली पहुंची और घटना के विभिन्न पहलुओं की जांच की. जांच टीम ने इसके लिए राज्य सरकार, जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और एनजीओ को सम्मिलित रूप से जिम्मेवार ठहराया. नीतीश राज में विभिन्न संस्थानों में एनजीओ के व्यापक हस्तक्षेप से इस प्रकार की घटनाएं लगातार बढ़ते जा रही हैं. एनजीओ के मार्फत सरकारी विद्यालयों में भोजन बनाने के निर्णय से छात्रों का तो भला नहीं हो रहा है, लेकिन इन संस्थानों की चांदी है. लूट व लापरवाही चरम पर है.
भाकपा माले की उच्चस्तरीय जांच टीम ने घटना स्थल, स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और मोतिहारी सदर अस्पताल का दौरा किया. टीम में भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो के सदस्य का. धीरेन्द्र झा, भाकपा(माले) विधायक का. सत्यदेव राम, पार्टी के पूर्वी चंपारण जिला सचिव का. प्रभुदेव यादव व पार्टी नेता का. विष्णुदेव यादव आदि शामिल थे. जांच टीम की रिपोर्ट और निष्कर्ष निम्नलिखित हैं.
सुगौली बाजार से पहले ही बंगरा गांव में भाजपा नेता रामगोपाल खण्डेवाल का रोड किनारे गोदाम है; जिसमें चावल, यूरिया आदि का भंडारण होता था. इसी कैंपस में पिछले महीने 16 अक्टूबर को केंद्रीकृत किचेन का उद्घाटन जिला शिक्षा पदाधिकारी और बीडीओ ने किया. केंद्रीकृत किचेन का ठेका ‘नवप्रयास’ नामक एनजीओ को दिया गया था, जिसके संचालक नरेंद्र कुमार सिंह थे. 57 स्कूलों के 11000 बच्चों को मिड डे मिल पहुंचाने का ठेका मिला था. बड़ा बायलर मुख्य सड़क से जीरो दूरी पर कच्चे बुनियाद पर खड़ा किया गया था. लेकिन इसकी सुरक्षा अथवा अन्य मानकों का अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं लिया गया था. कोयला झोंककर स्टीम तैयार किया जाता था और उस स्टीम से भोजन बनता था. 13 मजदूर बाॅयलर चलाने, भोजन बनाने और अन्य कार्य में लगे थे जो दिन-रात यहीं रहते थे. भोजन बन जाने पर अन्य मजदूर और वाहन ड्राइवर आते थे जो स्कूलों में भोजन पहुंचाते थे.
16 अक्टूबर की सुबह सभी मजदूर अपने काम मे लग गए. सब्जी, दाल और चावल की व्यवस्था होने लगी. बाॅयलर चलाने वाले मजदूर ने कहा कि बायलर चालू हो रहा है, आपलोग अपना काम शुरू कर दो. तकरीबन 4.50 में महाविस्फोट हुआ. पूरा इलाका थर्रा गया. बायलर का हजारों किलो का ऊपरी हिस्सा उड़कर रोड के उस पार 100 मीटर की दूरी पर गिरा. बगल के मकान तक की दीवार ध्वस्त हो गई. लाश का चिथड़ा चिथड़ा उड़कर रोड और धान के खेत में चला गया. चीख-पुकार सुनकर अगल-बगल के लोग दौड़े और लोगों ने ईंट के तले दबे लोगों को निकाला और उन्हें अस्पताल भिजवाया. तीन मजदूरों की मौत तो घटनास्थल पर ही हो गयी और एक ने अस्पताल जाने के क्रम में दम तोड़ दिया. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि 6 से ज्यादा मजदूर मरे हैं. 13 मजदूर जो उस रात वहां थे, की पूरी रिपोर्ट आने पर ही स्थिति साफ होगी. प्रशासन और एनजीओ की इस मामले में चुप्पी बनी हुई है और इतने बड़े हादसे पर मुख्यमंत्री अथवा बयानवीर उपमुख्यमंत्री का कोई बयान तक नहीं आया है.
मजदूर स्थानीय नहीं थे, अगल बगल के प्रखंडों के थे, इसलिये भी पूरी स्थिति साफ नहीं हुई है. ज्यादातर मजदूर 20 से 30 साल के थे. मृतक परिवारों, जिनकी पहचान हो चुकी है, को अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला है. मोतिहारी सदर अस्पताल में गुड्डू और नवीन कुमार का इलाज चल रहा है. उन्हें बेड तक नहीं मिला था. सीरियस हेड इंज्यूरी रहने के बावजूद 17 नवंबर की रात तक स्कैन भी नहीं हुआ था. इलाजरत मजदूर नवीन कुमार की मां मालती देवी ने कहा कि अभी तक कोई हाकिम देखने भी नहीं आया है. हमलोग पैंचा उधार लेकर ईलाज करवा रहे हैं. अन्य लापता मजदूरों की खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है. सरकार और प्रशासन मामले को दबाने में लगा है.
भाकपा(माले) ने इस घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराने, केंद्रीकृत किचेन-एनजीओ के प्रबंधन पर रोक लगाने, स्कूल आधारित मध्यान्ह भोजन व्यवस्था को मजबूत बनाने और प्लांट में कार्यरत मजदूरों की स्थिति, श्रम विभाग के निबंधन, बाॅयलर आदि की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार से बिहार की जनता को रिपोर्ट देने की मांग की है.
पूर्वी चंपारण के सुगौली कांड, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य मजूदर बुरी तरह घायल हो गए, के खिलाफ विगत 19 नवंबर को बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ, ऐक्टू, ऐपवा व भाकपा(माले) के बैनर तले राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रतिवाद हुआ. पटना में मध्यान्ह भोजन योजना समिति के कार्यालय के समक्ष जुझारू प्रदर्शन किया गया और उसके डायरेक्टर को मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया. मांग पत्र में सुगौली कांड के दोषियों को अविलंब गिरफ्तार करने, घटना की न्यायिक जांच कराने, नवप्रयास एनजीओ को स्थाई रूप से प्रतिबंधित करने, मृतक मजदूरों के परिजनों को 10-10 लाख रु. मुआवजा देने, हर एक परिवार से एक सदस्य को नौकरी देने आदि मांगें शामिल थीं. कार्यक्रम का नेतृत्व रसोइया संघ की महासचिव सरोज चौबे, ऐक्टू के बिहार राज्य महासचिव आर एन ठाकुर, ऐक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार, ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव, बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ की राज्य सचिव सोना देवी व रसोइया संघ की कोषाध्यक्ष राखी मेहता, राज्य पार्षद रीता देवी, पटना जिला सचिव माधुरी गुप्ता, दमयंती सिन्हा, मधु आदि ने किया. इसके पूर्व पटना स्टेशन स्थित बुद्ध स्मृति पार्क से प्रदर्शन निकला था और डाकबंगला, कोतवाली होते हुए मध्यान्ह भोजन समिति के दफ्तर पहुंचा था.
पटना के अलावा मोतिहारी, अरवल, कटिहार, जहानाबाद, आरा आदि केंद्रों पर भी प्रदर्शन आयोजित किए गए. अरवल में माले कार्यालय से मार्च निकला और एनएच 83 व एनएच 110 होत हुए प्रखंड परिसर में सभा में तब्दील हो गया. इसका नेतृत्व ऐपवा नेता लीला वर्मा, चंद्रप्रभा देवी, प्यारी देवी, गुंजन देवी, कुंती देवी आदि कर रही थीं. कटिहार में प्रदर्शन का नेतृत्व रसोइया संघ की नेता जूही महबूबा ने किया. भोजपुर में इस जघन्य कांड के खिलाफ ऐपवा व रसोइया संघ ने प्रतिवाद मार्च निकाला और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला फूंका.