12 नवम्बर 2019 को सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जन्मवार्षिकी है, जिसे प्रकाश वर्ष भी कहा जाता है. इस अवसर पर पंजाब में हो रहे विभिन्न धार्मिक समारोहों के बीच भाकपा(माले)-लिबरेशन ने मानसा में गत 10 नवम्बर 2019 को ‘नानक दर्शन – ऐतिहासिकता एवं समकालीन प्रासंगिकता’ विषय पर स्थानीय बचत भवन में एक गोष्ठी का आयोजन किया.
गोष्ठी के अध्यक्षमंडल में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य प्रोफेसर बावा सिंह, ‘जागो इंटरनेशनल’ के सम्पादक भगवंत सिंह, डा. श्याम सुंदर दीप्ति, डा. कुलदीप सिंह, भाकपा(माले) के बुजुर्ग नेता कामरेड कृपाल सिंह वीर भी मौजूद थे. गोष्ठी का संचालन कामरेड सुखदरशन नत्त ने किया.
गोष्ठी में सार रूप में विचार आये कि बाबा नानक समूची मानवता के पथ-प्रदर्शक थे, उनको केवल सिखों के गुरु तक सीमित करना उचित नहीं. चिंता की बात यह है कि जिन कर्मकांडों में फंसने का बाबा नानक ने घोर विरोध किया था, आज उनके नाम पर लोग उन्हीं कर्मकांडों में फंसते नजर आ रहे हैं. चिंतन और व्यवहार की एकरूपता नानक के दार्शनिक विचारों का मूल है. इस शिक्षा का हमारे समकालीन जीवन में भी बहुत महत्व है.
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए विचारक और मनोवैज्ञानिक डा. श्याम सुंदर दीप्ति ने कहा कि बाबा नानक ऐसे अनोखे दार्शनिक थे जिन्होंने पन्द्रहवीं सदी के सामंती-साम्प्रदायिक माहौल में न सिर्फ तर्क के आधार पर कर्मकांडों एवं ब्राह्मणवादी जातिगत विभाजन को खारिज किया था बल्कि शांति-सौहार्द में रहने और बांट कर खाने के मानवीय गुणों का भी गुणगान किया था. उन्होंने अपने मानवतावादी दर्शन को दूर-दूर की जगहों पर ले जाकर जाकर रोशनी फैलाई थी और अत्याचारियों को सीधे ललकारने का काम किया था.
भगवंत सिंह ने लोगों से नानक की बानी के असली संदेश को आत्मसात करने का आह्वान किया. डा. कुलदीप सिंह ने बाबा नानक के 550वें प्रकाश वर्ष को किसी कारपोरेट ग्लोबल जश्न में सीमित नहीं किया जाना चाहिये बल्कि उसके अपने सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में अमल में उतारा जाना चाहिये. प्रो. बावा सिंह ने कहा कि सिख मत और मार्क्सवाद दो महान क्रांतिकारी दर्शन हैं परन्तु दोनों अपने आशय में सफल नहीं हो सके. बाबा नानक एशिया में उभरे भक्ति आंदोलन और पुनर्जागरण की लहर के सबसे बड़े प्रतिनिधि चिंतक थे.
किसान नेता का. रुल्दू सिंह एवं का. कृपाल सिंह वीर ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाबरी मस्जिद के बारे में सुनाये गये फैसले की तीव्र आलोचना करते हुए कहा कि यह न्याय नहीं बल्कि फासीवादी दबाव के तहत न्यायपालिका द्वारा मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ पक्षपाती फैसला है.
गोष्ठी में करतारपुर साहिब का रास्ता खोलने और इसके जरिये भारत व पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने का माहौल बनाने का स्वागत करते हुए भारत सरकार से मांग की गई कि वह पाकिस्तान के पंजाबियों को भारत के अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिये सीधे जमीनी रास्ते से पंजाब में आने में वीजा सुगम बनाये. गोष्ठी में भाकपा(माले) के का. राजविंदर सिंह राणा, भगवंत सिंह समाओं, का. नछत्तर सिंह खीवा, कहानीकार जसवीर ढंड, दर्शन जोगा, पंजाब मुस्लिम फ्रंट के अध्यक्ष हंस राज मोफर, रिटायर्ड प्रिंसिपल दर्शन सिंह ढिल्लों, उपन्यासकार सुखदेव सिंह मान, बलविंदर सिंह चहल, महिला नेता का. जसवीर कौर नत्त, सिमरनजीत कौर सिम्मी एवं अन्य उपस्थित थे.