भागलपुर में 20 नवम्बर 2019 को बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन (बिरानिमयू) के बैनर तले निर्माण मजदूरों ने उपश्रमायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना दिया. झंडे-बैनर व मांग पट्टिकाओं से लैस सैकड़ों महिला-पुरुष मजदूरों ने केंद्र-राज्य सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ रोषपूर्ण नारे लगाते हुए जबरदस्त विरोध जताया और केंद्र-राज्य सरकारों को कड़ी चेतावनी दी. यह ध्रना आॅल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन (एआइसीडब्लूएफ) और ऐक्टू के आह्वान पर 21 नवम्बर 2019 को ‘आॅल इण्डिया प्रोटेस्ट डे’ के अवसर पर आयोजित था.
धरना का नेतृत्व एआइसीडब्लूएफ के राष्ट्रीय महासचिव व ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एसके शर्मा और ऐक्टू व बिरानिमयू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त ने किया. धरना को संबोधित करते हुए एसके शर्मा ने केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर विरोधी-जन विरोधी कारनामों की विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि मोदी सरकार का 4 लेबर कोड बिल गुलामी का दस्तावेज है जिसे भारत का मजदूर वर्ग किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा. इसके खिलाफ 8 जनवरी को देश भर में मजदूर सड़कों पर उतर कर हड़ताल करेंगे. मुकेश मुक्त ने कहा कि राज्य की नीतीश-भाजपा की सरकार कल्याण बोर्ड के सामाजिक सुरक्षा फंड को लूट खाने की नीतियों पर काम कर रही है. मजदूरों के ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमला किए जा रहा है. इसके खिलाफ 28 नवम्बर को राज्य भर के निर्माण मजदूर पटना में मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन करेंगे.
का. मुकेश मुक्त के नेतृत्व में एक प्रतिनिधमंडल ने मजदूरों की समस्याओं व मांगों से संबंधित ज्ञापन उपश्रमायुक्त, भागलपुर को सौंपा और उनसे सभी मांगों पर वार्त्ता की. ज्ञापन में अन्य मांगों के अलावा न्यूनतम मजदूरी 1000 रु. प्रतिदिन घोषित करने व स्वास्थ्य अनुदान को बढ़ाकर 10000 रु. प्रतिवर्ष करने, सभी मजदूर परिवारों के लिए मुफ्त आवास, चिकित्सा, मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करने, घर मरम्मती अनुदान के लिए जमीन के कागजात व औजार अनुदान के लिए कौशल विकास प्रमाण पत्र की बाध्यता खत्म करने आदि की मांगें शामिल थीं. उपश्रमायुक्त ने स्थानीय समस्याओं व मांगों पर त्वरित कार्यवाही का आश्वासन दिया. धरना में शामिल सभी मजदूरों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर जेएनयू के आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं के साथ एकजुटता जाहिर की और पूर्वी चंपारण के सुगौली बाॅयलर कांड में रसोइयों की हुई वीभत्स मौत पर गहरा शोक प्रकट करते हुए घटना के लिए जिम्मेदार एनजीओ को आजीवन बैन कर इसके संचालक को गिरफ्तार करने व मृतकों के आश्रितों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की.
धरना को भाकपा(माले) के जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल, ऐक्टू राज्य परिषद सदस्य सुरेश प्रसाद साह, बिरानिमयू जिला उपाध्यक्ष सिकंदर तांती व अमित कुमार ने भी संबोधित किया.