14 नवंबर 2018 को भोजपुर जिले के दो महान किसान योद्धाओं का. जीउत व सहतू की शहादत की 34वीं बरसी पर बिहार में सामाजिक बदलाव के महानायक का. रामनरेश राम के नाम समर्पित का. रामनरेश राम नगर (पीरो) में भाकपा(माले) का 12वां जिला सम्मेलन शुरू हुआ. सम्मेलन का उद्घाटन शहीद मुजाहिद खान स्टेडियम (पड़ाव मैदान, पीरो) में ‘संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ के नारे के साथ आयोजित जन एकता रैली से हुआ. का. जीउत-सहतू के नाम पर बने मंच से भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य समेत अन्य वरिष्ठ माले नेताओं ने जिले के कोने-कोने से आए हजारों की तादाद में मजदूर-किसानों, छात्र-नौजवानों, महिलाओं और बुद्धिजीवियों को संबोधित किया.
रैली के पूर्व छात्र-नौजवानों ने सैकड़ों की संख्या में भाकपा(माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य को फतेहपुर में स्वागत करते हुए मोटरसाइकिल जुलूस के साथ पीरो के पड़ाव मैदान लाया. जहां तमाम शहीद-मृत साथियों के शहीद वेदी पर भाकपा(माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य सहित सभी प्रमुख नेताओं ने माल्यार्पण किया. रैली की शुरूआत अपने तमाम शहीदों की याद में दो मिनट के मौन पालन और जनकवि निर्माेही के द्वारा शहीद गीत की प्रस्तुति के साथ हुई. रैली का संचालन व जिले के चर्चित किसान नेता व पूर्व विधायक का. चन्द्रदीप सिंह ने किया.
रैली मंच पर का. दीपंकर भट्टाचार्य के साथ ही पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य व वरिष्ठ नेता का. स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव का. कुणाल, आरा के पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, वरिष्ट नेता का. केडी यादव, विधायक दल नेता का. महबूब आलम, जिला सचिव का. जवाहरलाल सिंह, सम्मेलन के पर्यवेक्षक व माले अरवल जिला सचिव का. महानन्द, तरारी क्षेत्र के विधायक व पार्टी नेता का. सुदामा प्रसाद, इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का. मनोज मंज़िल, इंसाफ मंच राज्य सचिव का. क्यामुद्दीन अंसारी, इनौस राज्य अध्यक्ष अजित कुशवाहा, बक्सर जिला सचिव का. मनोहर, पीरो प्रखंड सचिव का. संजय, भाकपा जिला सचिव का. प्रमोद यादव, माकपा के जिला सचिव शिवकेश्वर राय सहित कई प्रमुख नेता मौजूद थे.
रैली को मुख्य वक्ता के बतौर संबोधित करते हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले, कश्मीर में लोकतंत्र के हनन, एनआरसी, देश में छायी आर्थिक मंदी और छात्र-नौजवानों के रोजगार व शिक्षा अधिकार और दलित-गरीबों, किसान-मजदूरों व महिलाओं के अधिकारों पर मादी सरकार के हमलों व उसके खिलाफ देश में जारी प्रतिरोध पर विस्तृत चर्चा की.
भाकपा(माले) विधायक दल नेता का. महबूब आलम ने कहा कि जनता के बुनियादी मुद्दों पर जमीनी लड़ाई तेज करना जरूरी है. हम लोगों ने बीपीएल का मुद्दा उठाया तो सभी बीपीएल कार्डधारकों को पेंशन देना पड़ा. हमने बिहार में हो रहे माॅब लिंचिंग पर भी सरकार को घेरा और इस पर रोक लगाने की मांग की. लेकिन, सरकार चुप्पी साधे रही. बिहार में दंगा हो और हम बोलें भी नहीं – ऐसा कैसे होगा? इसीलिए हमारी पार्टी ने ‘एकजुट रहो और मुकाबला करो’ का नारा दिया है और इसी संघर्ष के बदौलत बिहार और हिंदुस्तान बीजेपी के लिए कब्रिस्तान बनेगा. उन्होंने कहा कि तमाम गरीब संघर्ष के आधार एकजुटता बनाते हुए नया गठबंधन कायम करेंगे और भाजपा से मोर्चा लेंगे.
सभा को का. केडी यादव, का. रामेश्वर प्रसाद, का. सुदामा प्रसाद, का. प्रमोद यादव (भाकपा), का. शिवकेश्वर यादव आदि समेत कई नेताओं ने संबोधित किया. रैली के बाद शहीद का. फागू सिंह सभागार (नगर भवन) में सम्मेलन के प्रतिनिधि सत्र की शुरूआत हुई.
आज देश कठिन दौर से गुजर रहा है. भाजपा अर्थव्यवस्था की मंदी दूर करने के बजाय मंदिर दिखा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्वीकार किया और कहा कि अयोध्या में 1949 में रात में चोरी-छिपे मूर्ति रखा जाना और 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराना दोनों अपराध थे. लेकिन मस्जिद गिराने वालों को आजतक कोई सजा नहीं दी गई, उल्टे उन्हें ही जमीन दे दी गई. भाजपा वालों ने हिंदू-मुस्लिम का एक चश्मा बना दिया है और अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपना कर हमारे बीच की एकता को तोड़ना चाहते हैं. भाजपा एक ऐसी पार्टी है जिसकी देश आजादी की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं थी. वे लोग तो अंग्रेज साम्राज्यवादियों की खुलेआम दलाली करते थे.
कश्मीर एक राज्य था उसको केंद्र शासित बना दिया गया. जबकि देश में नए राज्य व नए जिले बनते हैं. जम्मू-कश्मीर में हिंदू हो या मुस्लिम सभी कह रहे हैं कि हमारे साथ अन्याय हुआ है. आज वहां लोकतंत्रा खत्म हो गया है. जेलें अवैध गिरफ्तारियों से भरी हुई हैं, वहां से लोगों को आगरा व आसपास की जेलों में भेजा जा रहा है और मोदी जी पूरी दुनिया को बता रहे हें कि कश्मीर में सब कुछ ‘ठीक-ठाक’ है. भाजपा ने एनआरसी के नाम पर असम में 20 लाख नागरिकों को विदेशी बना दिया. वह उनसे 1951 के कागजात मांग रही है और कह रही है कि असम तो बस झांकी है, अभी तो पूरा हिंदुस्तान बाकी है.
नोटबंदी के तीन साल पूरे हो गए. इन तीन सालों के भीती नोटबंदी से बैंकबंदी हो गई और बैंकबंदी से रोजगारबंदी हो गई. इसलिए लोग कह रहे हैं मोदी है तो मंदी है. सभी सरकारी उपक्रमों का निजीकरण किया जा रहा है. सासाराम के छात्र-नौजवान जब निजीकरण के खिलाफ और रोजगार की लड़ाई लड़ रहे हैं तो उन्हें जेलों में बंद किया जा रहा है. छात्र-नौजवान मोदी सरकार से रोजगार मांग रहे हैं, मंदिर नहीं.
लोग रोजी-रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, की मांग कर रहे हैं, तुम मंदिर की बात कर रहे हो. देश आगे पढ़ना चाहता है. छात्र-नौजवान, किसान मजदूर-बुद्धिजीवी आगे बढ़ना चाहते हैं तो सरकार उन्हें पीछे धकेल रही है. भोजपुर आज जमीन, शिक्षा, मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा पेंशन की लड़ाई लड़ रहा है. बिहार में सभी स्कूलों में एक समान शिक्षा लागू हो. सभी स्कूलों में शिक्षक हों, किताबें हों, बुनियादी सुविधाएं हों, इसको एजेंडा बनाकर हम लड़ रहे हैं. और आज आप देख रहे हैं कि हमारे बीच से कुछ छात्र पढ़ना चाहते हैं, उनकी फीस बढ़ा कर उन्हें वहां से हटाना चाहते हैं. इलाज के लिए मोदी जी 5 लाख रु. का कार्ड दे रहे हैं, जबकि जनता को इलाज के लिए तत्काल डाॅक्टर और अस्पतालों की जरूरत है.
इस दौर में जन एकता की जरूरत है. हमने लोकसभा चुनावा में इसकी कोशिश की. लेकिन, कुछ कमी रह गई. इसलिए हम आगामी विधानसभा चुनावा में तरारी, अगिआंव, जगदीशपुर, संदेश, आरा सहित सभी क्षेत्रों में इस एकजुटता को जाहिर करेंगे और इसे आगे बढ़ायेंगे.