3 अक्टूबर को पूरे भारत में घोषित राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ के अवसर पर कश्मीर की बंदी के 60 दिन, बंदी कश्मीर को रिहा करो’ नारे के साथ बुद्ध पार्क हल्द्वानी में एकदिवसीय धरना दिया गया.
‘मोदी सरकार अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त कर कश्मीर के भारत के साथ एकीकरण का जो ढोल पीट रही थी उसकी कलई खुल चुकी है. आज सारी दुनिया में इस बात की चर्चा है कि मोदी सरकार ने लोकतंत्र का गला घोटकर समूचे कश्मीर को एक खुली जेल में तब्दील कर दिया है और कश्मीरी जनता के भारत से अलगाव को खतरनाक बिंदु तक पहुंचा दिया है.’ यह बात भाकपा(माले) राज्य सचिव का. राजा बहुगुणा ने धरने को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कश्मीरियत पर ही नहीं बल्कि भारत की विविधता में एकता वाली पहचान पर प्रहार किया है.
उन्होंने कहा कि संघ परिवार सोची समझी चाल के तहत भारत को हिन्दू राष्ट्र में तब्दील करना चाहता है. अमित शाह का ‘एक राष्ट्र, एक भाषा’ और ‘एक दल, एक शासन’ का नारा इसका ठोस उदाहरण है. उन्होंने कहा कि भाजपा कश्मीर और एनआरसी को हिन्दू-मुस्लिम विभाजन के लिए एक औजार के बतौर प्रयोग कर रही है। ऐसे में संघीय व लोकतांत्रिक भारत की पक्षधर शक्तियों को राष्ट्रीय एकता व संविधान की रक्षा के लिए आगे आना होगा और फासीवाद को पराजित करना ही होगा.
भाकपा माले नैनीताल जिला सचिव का. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि दो माह पूरे हो गए हैं पर अपने ही देश के एक राज्य कश्मीर के लोगों के साथ शत्रुओं सा व्यवहार जारी है. अभी भी कश्मीरी जनता के संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों को बहाल करना तो दूर रहा, वहां की जनता को बुनियादी आवश्यकता की चीजों के लिए भी मोहताज होना पड़ रहा है. और यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाने वाले देश भारत की चुनी हुई सरकार के द्वारा किया जा रहा है. यह बेहद शर्मनाक है। दुनिया में ‘युद्ध नहीं बुद्ध’ का ढिंढोरा पीटने वाले मोदी ने अपने देश के एक राज्य की जनता के खिलाफ अघोषित युद्ध छेड़ा हुआ है. यह लोकतंत्र और संविधान को खुलेआम ताक पर रखकर किया जा रहा है.
ऐक्टू प्रदेश महामंत्री केके बोरा ने कहा कि मोदी-शाह की सरकार के कश्मीर में शांति व्यवस्था के दावे पूरी तरह खोखले साबित हो चुके हैं इसीलिए कश्मीर को सबके लिए बंद कर दिया गया है ताकि सच्चाई सामने न आ सके. लेकिन धीरे धीरे ही सही पर यह बात सामने आ चुकी है कि मोदी सरकार कश्मीर की जनता का बर्बर दमन करने पर आमादा है.
अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी ने कहा कि कश्मीर पर तानाशाही लादकर मोदी सरकार देश में साम्प्रदायिक विभाजन पैदा कर रही है। देश के भीतर लगातार तनाव का माहौल बनाया जा रहा है. पूरे देश के हर शहर-गांव को कश्मीर बनाया जा रहा है जो देश के भविष्य के लिए बहुत खतरनाक साबित होगा.
धरने के माध्यम से भाकपा(माले) ने कश्मीरी जनता के पक्ष में मांग की – बंदी कश्मीर को रिहा करो, सामान्य हालात बहाल करो, डिटेन्शन और यातना बंद करो, हजारों बच्चे गिरफ्तार क्यों, जवाब दो, सभी बंदी राजनेताओं को रिहा करो, मोबाइल, इंटरनेट और सभी संचार सेवाएं बहाल करो, जनता के लोकतांत्रिक अधिकार बहाल करो, मोदी-शाह, कश्मीर पर झूठ बोलना बंद करो. धरने में मुख्य तौर पर वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, अम्बेडकर मिशन एन्ड फाउंडेशन के अध्यक्ष जीआर टम्टा, इस्लाम हुसैन, ललित मटियाली, किशन बघरी, गोविंद सिंह जीना आदि उपस्थित रहे.
3 अक्टूबर को बंदी कश्मीर के 60 दिन पूरे होने पर राष्ट्र व्यापी अभियान के तहत भाकपा(माले), भाकपा, माकपा व छमुमो द्वारा कश्मीर एकजुटता दिवस के अवसर पर घड़ी चौक (सुपेला, भिलाई) में प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन जिलाधिकारी दुर्ग को सौंपा गया जिसमें बंदी कश्मीर को रिहा करने, कश्मीर में सामान्य हालात बहाल करने, सभी बंदी राजनेताओं व गिरफ्तार हजारों बच्चों को रिहा करने, जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को बहाल करने और मोबाइल, इटरनेट व सभी संचार सेवाओं को बहाल करने तथा डिटेंशन व यातना बंद करने की मांग की गई.
ज्ञापन में कहा गया है कि 2 माह पूरे होने पर अपने ही देश के एक राज्य कश्मीर के लोगों के साथ शत्रुता-सा व्यवहार जारी है. अभी भी कश्मीरी जनता के संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों को बहाल करना तो दूर, उसकी बुनियादी आवश्यकता की चीजों के लिए भी मोहताज रखा जा रहा है. यह बेहद शर्मनाक है. मोदी सरकार के कश्मीर में शांति व्यवस्था के दावे पूरी तरह खोखले साबित हो चुके हैं.
प्रदर्शन को भाकपा के विनोद कुमार सोनी, माकपा के डी.व्ही. एस. रेड्डी, भाकपा(माले) के श्यामलाल साहू, छमुमो के कलादास डहरिया, छ. ग. स्वाभिमान मंच के राज कुमार गुप्ता, लोइमू के सुरेन्द्र मोहंती, जन संस्कृति मंच के वासुकी प्रसाद उन्मत तथा अर्शिया आलम ने संबोधित किया. प्रदर्शन का संचालन का. बृजेन्द्र तिवारी ने किया. प्रदर्शन में मोदी सरकार की जन विरोधी, विभाजनकारी और उन्माद की राजनीति का विरोध किया गया. जोरदार नारों के साथ प्रदर्शन का समापन हुआ.