लखनऊ में गन्ना संस्थान पर प्रदर्शनअखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में कुशीनगर से लखनऊ आये गन्ना किसानों ने 16 सितंबर को गन्ना आयुक्त के कार्यालय ‘गन्ना संस्थान’ के समक्ष प्रर्दशन कर उन्हें अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में जीपीएस द्वारा गन्ने की पड़ताल की जगह खतौनी के आधार पर स्थलीय भौतिक सत्यापन से गन्ना पर्ची जारी करने, बकाया गन्ना मूल्य का अविलंब ब्याज सहित भुगतान करने, सहकारी गन्ना समितियों की पर्ची कंप्यूटर से जारी करने, छोटे व बटाईदार किसानों की गन्ना पर्ची प्राथमिकता के आधार पर जारी करने, पेराई सत्रा पूरा होने के साथ ही समस्त भुगतान सुनिश्चित करने, गन्ना सेंटर से मिल गेट तक बिचौलियों पर रोक लगाने, घटतौली पर रोक लगाने आदि सहित कई मांगें शामिल थीं. आयुक्त ने किसान नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया और उनका ज्ञापन लेकर मांगों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया.
गन्ना संस्थान पर किसानों को संबोधित करते हुए अ.भा. किसान महासभा के प्रदेश महासचिव का. ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि मोदी-योगी सरकार खेती का कारपोरेटीकरण कर रही है. तमाम सरकारी दावों के बावजूद किसानों का अरबों रुपया अभी बकाया है. उन्होंने बिजनौर के गन्ना किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार किसानों के धैर्य को उनकी कमजोरी न समझे. सरकार कृषि के बजट में लगातार कटौती कर रही है, ऐसे में किसानों की आमदनी को दुगना करने की बात एकदम छलावा है. उन्होंने कहा कि कृषि की उपेक्षा व किसानों की घटती क्रयशक्ति के कारण देश में मंदी है. मोदी-योगी सरकार किसानों में नफरत व विभाजन पैदा कर रही है. उन्होंने प्रदेश सरकार से बटाईदार किसानों से फसल खरीदने की नीति स्पष्ट करने की मांग की. प्रर्दशन का नेतृत्व भाकपा(माले) राज्य कमेटी सदस्य का. राधेश्याम मौर्य व कुशीनगर के जिला प्रभारी परमहंस सिंह ने किया.
बिजनौर में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शनउत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के कलेक्ट्रेट में 10 सितंबर 2019 को गन्ना की बकाया राशि के भुगतान सहित अनेक मांगों को लेकर किसानों नेे प्रदर्शन किया. राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के बैनर तले किसानों ने सुबह ही कलेक्ट्रेट में पहुंचकर प्रदर्शन करने के बाद एक दिन का धरना शुरू किया. किसानों की मुख्य मांग बकाया गन्ना खरीद की बकाया राशि के भुगतान की थी. किसानों का आरोप है कि सरकार किसानों के बारे में कुछ नहीं सोच रही है. मिलों ने गन्ना किसानों का भुगतान नहीं किया है. अभी भी 1,561 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है. किसानों ने बढ़ी बिजली दरों को वापस लेने समेत कई और भी मांग रखी. दिन भर सरकार विरोधी नारेबाजी की गई. मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन भी जिलाधिकारी को सौंपा गया. किसानों का कहना था कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश की दौराला मिल के अलावा सभी मिलों ने किसानों का पैसा दबाकर रखा हुआ है. किसानों को दूसरी फसल तैयार करने लिए ब्याज पर पैसा लेना पड़ रहा है.
गौरतलब है कि मेरठ और सहारनपुर मंडल की मिलों को पेराई सत्र 2018-19 के लिए 31 अगस्त तक किसानों को कुल 4573.50 करोड़ रुपये भुगतान करना चाहिए था, जबकि मिलों ने अभी तक 3011.65 करोड़ ही किया. मिलों पर 1561.86 करोड़ रुपये बाकी हैं. किनौनी, सिभावली, मोदीनगर, बृजनाथपुर, बुलंदशहर चीनी मिलों द्वारा भुगतान की स्थिति सबसे खराब है.
मोदीनगर मिल ने किसानों को सबसे कम, मात्र 19.87 प्रतिशत राशि का भुगतान किया है. मवाना मिल ने 66.94, किनौनी ने 49.63, नंगलामल ने 78.52, सकौती 92.95, मोहिउमद्दीनपुर ने 78.58, सिभावली ने 29.97, बृजनाथपुर ने 34.84, मलकपुर ने 57.25, बागपत ने 76.35, रमाला ने 83.33, साबितगढ़ ने 92.12, अगौता ने 80.14, बुलंदशहर ने 42.89, अनूपशहर ने 86.16 प्रतिशत भुगतान किया है. इस तरह मात्र 65.85 प्रतिशत राशि का ही किया गया है.
अंबाला में जल सत्याग्रह हरियाणा में छः विधानसभा क्षेत्रों के करीब 400 गांवों के हजारों गन्ना किसानों ने अपनी बकाया राशि 110 करोड़ रुपये की मांग करते हुए अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह में अंबाला की बेगना नदी में जल सत्याग्रह आयोजित किया. अखिल भारतीय किसान महासभा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने गन्ना किसानों का समर्थन करते हुए हरियाणा की राज्य सरकार से किसानों की बकाया राशि का नगद भुगतान तत्काल सुनिश्चित करने की मांग की. नारायणगढ़ शक्कर कारखाने के 5000 से अधिक गन्ना किसानों का कारखाना प्रबंधन पर 110 करोड़ रुपया बकाया है.
महासभा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नारायणगढ़ शक्कर कारखाने पर 5000 से अधिक गन्ना किसानों का 110 करोड़ रुपया बकाया होने से यह आभास होता है कि भाजपा सरकार मिल मालिकों को संरक्षण दे रही है. कारखाने के मालिकोंं के द्वारा किसानों को अगले वर्ष के चेक दिए जा रहे हैं, जिससे किसानों में भारी असंतोष है. अखिल भारतीय किसान महासभा ने आंदोलकारी किसानों को आश्वासन दिया कि हमारा संगठन आप की इस लड़ाई में सदैव आपके साथ खड़ा मिलेगा. 212 किसान संगठनों के मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने एक बयान जारी कर सत्याग्रहियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित किया.