भाकपा(माले) का दो-दिवसीय उत्तर प्रदेश राज्य सम्मेलन 15-16 फरवरी 2025 को बलिया जिले के सिकंदरपुर में संपन्न हुआ. सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये 400 से अधिक प्रतिनिधियों और पर्यवेक्षकों ने हिस्सा लिया. उद्घाटन सत्र के शुरू में वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता मुख्तार अहमद ने झंडारोहण किया.
सम्मेलन की शुरुआत से पूर्व, नफरत की राजनीति व बुल्डोजर राज के खिलाफ सिकंदरपुर चौराहा के निकट गांधी आश्रम से सम्मेलन स्थल, नागरा रोड स्थित तुलसी पैलेस तक प्रतिवाद मार्च निकाला गया. इस मार्च में सैकड़ों की तादाद में शामिल महिला व पुरूष हाथों में लाल झंडे लेकर तनी हुई मुठ्ठियों के साथ मोदी-योगी सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे.
उदघाटन सत्र को भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य के साथ ही आरा (बिहार) के भाकपा(माले) सांसद का. सुदामा प्रसाद, बिहार विधानसभा में भाकपा(माले) विधायक दल के उपनेता का. सत्यदेव राम, लखनऊ से आईं सामाजिक कार्यकर्ता व लेखिका नाइस हसन, बिहार के वरिष्ठ भाकपा(माले) नेता व पूर्व विधयक का. अमरनाथ यादव और भाकपा के राज्य सचिव अरविंद राज स्वरूप ने भी संबोधित किया. इस दौरान मंच पर भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य रामजी राय, बिहार राज्य सचिव कुणाल, उत्तर प्रदेश राज्य सचिव सुधाकर यादव, केंद्रीय समिति सदस्य कृष्णा अधिकारी, ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा व बिहार के किसान नेता उमेश सिंह भी मौजूद रहे. उद्घाटन सत्र का संचालन पार्टी के बलिया जिला सचिव लाल साहब ने किया.
सम्मेलन के दूसरे दिन की कार्यवाही नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदौड़ में हुई मौतों पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए एक प्रस्ताव लेने के साथ शुरू हुई. पार्टी ने कहा कि मोदी-योगी सरकार द्वारा जनता की आस्था के बल पर आयोजित महाकुंभ आम जनता के लिए मौत का सबब बनता जा रहा है. रेल मंत्री द्वारा एक उच्च स्तरीय जांच की घोषणा के बावजूद ट्रेन हादसों में जनता की लगातार हो रही मौतें रेल विभाग की लचर व्यवस्था का गवाह हैं. प्रस्ताव में रेलमंत्री के इस्तीफे की भी मांग की गई.
राज्य सम्मेलन में दूसरे दिन रविवार को सचिव द्वारा पिछले तीन साल के कामकाज की पेश की गई रिपोर्ट पर बहस जारी रही. 45 पृष्ठों की रिपोर्ट पर 57 प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी. सुझावों व संशोधनों को शामिल करते हुए रिपोर्ट सर्वसम्मति से पारित की गई. बाद में सम्मेलन से राजनीतिक प्रस्ताव पारित किये गए.
एक प्रस्ताव में अमेरिका से हथकड़ियों और जंजीरों में वापस भेजे गए प्रवासी भारतीयों के साथ अमेरिकी सरकार के क्रूर अपराधियों जैसे व्यवहार और मोदी सरकार द्वारा ट्रम्प प्रशासन के शर्मनाक बचाव की घोर निंदा की गई. प्रस्ताव में कहा गया कि इस घटना ने औपनिवेशिक गुलामी और ब्रिटिश शासन के आगे संघ परिवार के आत्मसमर्पण की याद ताजा कर दी. प्रस्ताव में मांग की गई कि केंद्र सरकार भारतीय नागरिकों के साथ इस दुर्व्यवहार का अमेरिकी सरकार से कड़ा विरोध दर्ज कराए और उनकी गरिमापूर्ण वापसी सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उचित कार्रवाई करे. एक अन्य प्रस्ताव में केंद्रीय गृह मंत्रा अमित शाह द्वारा शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में डॉ.. बीआर अंबेडकर का अपमान करने वाली टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हुए इसके लिए उन्हें पद से हटाने की मांग की गई.
एक प्रस्ताव में प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से हुई मौतों के लिए योगी-मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने, दोषियों को दंडित करने के साथ मौतों व घायलों की वास्तविक संख्या बताने की पुरजोर मांग की गई.
एक प्रस्ताव में बिजली के निजीकरण पर फौरन रोक लगाने की मांग करते हुए अनाप-शनाप, बढ़े हुए फर्जी बिजली बिल भेजने, उसे न चुकाने पर कनेक्शन काटने व उपभोक्ताओं के उत्पीड़न पर रोक लगाने और स्मार्ट मीटर योजना वापस लेने, 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने और कर्मचारियों के आंदोलन का दमन करने को लागू किये गए ‘एस्मा’ को हटाने की मांग की गई.
एक अन्य प्रस्ताव में योगी सरकार के कार्यकाल में एनकाउंटर में की गई हत्याओं और हिरासती मौतों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की गई.
नफरती व गैरकानूनी बुल्डोजर ध्वस्तीकरण, गरीबों, दलितों, आदिवासियों व किसानों के सरकारी व वन भूमि से विस्थापन पर तत्काल रोक लगाने और लखनऊ के अकबरनगर सहित प्रदेश भर में जबरिया विस्थापन के शिकार परिवारों के उचित पुनर्वास व मुआवजा, किसानों के लिए कानूनी गारंटी के साथ एमएसपी देने, मजदूर-विरोधी चार लेबर कोड वापस लेने, 33 प्रतिशत महिला आरक्षण शीघ्र लागू करने, नई शिक्षा नीति रद्द करने और रोजगार को मौलिक अधिकार घोषित करने सहित बेरोजगारों को सम्मानजनक बेरोजगारी भत्ता देने की मांग भी की गई.
एक प्रस्ताव में आईआईटी-बीएचयू गैंगरेप कांड में पीड़िता को जल्द न्याय देने और दोषियों को कड़ी सजा देने, मनरेगा में काम के दिन व मजदूरी दर बढ़ाने के साथ आवंटन बढ़ाने, शहरी गरीबों के लिए भी मनरेगा जैसी योजना लागू करने और न्यूनतम मजदूरी दर 35,000 रु. प्रति माह तय करने, 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले के खिलाफ आंदोलनरत अभ्यर्थियों सहित लंबे समय से संघर्षरत स्कीम वर्करों की मांगें पर सकारात्मक रूप से विचार करने की मांग की गई.
एक प्रस्ताव में सभी गरीबों के माइक्रोफाइनेंस कर्ज समेत किसानों के कर्ज माफ करने, माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा कर्जग्रस्त परिवारों के उत्पीड़न पर फौरन रोक लगाने, उत्पीड़न व कर्ज के दबाव में आत्महत्या कर लेने वालों के परिवारों को मुआवजा देने, कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने और स्वयं सहायता समूहों के लिए प्रोत्साहन व उनके उत्पादों के लिए सुरक्षित बाजार देने की मांग की गई.
एक अन्य प्रस्ताव में संभल में राज्य प्रायोजित और बहराइच में सत्ता संरक्षित मुस्लिम-विरोधी हिंसा के असल गुनाहगारों को सामने लाने, उन्हें दंडित करने, हिंसा की आड़ में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर रोक लगाने व उन्हें हुए नुकसान की भरपाई करने, उपासना स्थल अधिनियम, 1991 का कड़ाई से अनुपालन करने की मांग की गई.
एक प्रस्ताव में जातीय जनगणना को राष्ट्रीय स्तर पर कराने और उसके अनुरुप आरक्षण की सीमा का विस्तार कर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने, दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों सहित कमजोर वर्गा के उत्पीड़न पर प्रभावी रोक लगाने, वनाधिकार कानून गंभीरता से लागू करने, शिक्षा व स्वास्थ्य पर बजट आवंटन बढ़ाने, ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने और ‘एक देश एक चुनाव विधेयक’ वापस लेने, लोकतांत्रिक आंदोलनों के दमन, जनता की मांगों को उठाने पर नेताओं-कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न पर रोक लगाने, जन प्रतिवादों पर अलोकतांत्रिक प्रतिबंधों को हटाने, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को रिहा करने सहित उन पर लगाये गए फर्जी मुकदमे रद्द करने और असहमति के अधिकार का सम्मान करने की मांग की गई.
सम्मेलन में बुल्डोजर न्याय, भूमि अधिग्रहण व विस्थापन, बिजली निजीकरण, माइक्रोफाइनेंस के कर्ज, वनाधिकार कानून आदि मुद्दों पर राज्य स्तरीय आंदोलन खड़ा करने का निर्णय लिया गया.
सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि मोदी-योगी की डबल इंजन की सरकार हर स्तर पर संवेदनहीन व बेनकाब हो चुकी है. भगवा ब्रिगेड के खिलाफ पार्टी तमाम जनवादी व संघर्षशील ताकतों के साथ एकता की पहल बढ़ायेगी. सम्मेलन को पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रभारी व पोलित ब्यूरो सदस्य का. कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य का. रामजी राय, राज्य सचिव सुधाकर यादव ने प्रमुख रूप से संबोधित किया.
अंत में 65 सदस्यीय नई राज्य कमेटी का पैनल बिदाई राज्य कमेटी द्वारा पेश किया गया, जो निर्विरोध चुनी गई. सुधाकर यादव पुनः सर्वसम्मति से राज्य सचिव चुने गए. सम्मेलन कम्युनिस्ट इंटरनेशनल गान के साथ और जोशपूर्ण नारों के साथ समाप्त हुआ.
सम्मेलन स्थल को का. बैजनाथ शर्मा नगर नाम दिया गया था जबकि सभागार को का. मीना राय और मंच को का. मदन सिंह, का. अनिल सिंह और सत्यनारायण सिंह बाबा के नाम समर्पित किया गया था. शहीद का. राजकुमार बाघ और सुरेमन राम के नाम पर तोरण द्वार बनाये गये थे.
– का. दीपंकर भट्टाचार्य
14वें राज्य सम्मेलन के खुले उद्घाटन सत्र को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि अमरीका द्वारा हथकड़ी लगाकर 104 भारतीयों को अपने सैनिक जहाज से वापस भेजना भारत की जनता और उसके राष्ट्रीय स्वाभिमान पर हमला है. एक ओर जहां कोलंबिया जैसे छोटे देश इस अपमानजनक व्यवहार का विरोध कर रहे है, वहीं भारत के प्रधनमत्री मोदी अमरीका में जाकर इस कदम को मानव तस्करी की वैश्विक व्यवस्था को ध्वस्त करने की नीति से रूप में अपना समर्थन दे आते हैं. गुजरात वह राज्य है, जहां मोदी मॉडल ने इस मानव तस्करी को अपने तीन दशक के शासन काल में बढ़ाया है.
कामरेड दीपंकर ने मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान हुए समझौतों का जिक्र किया और कहा कि जब भारत का रुपया 87 रु प्रति डॉलर पहुंच गया तब ट्रंप के दबाव के आगे रूस से तेल व्यापार रोकने की चेतावनी सुनकर मोदी वापस लौट आए. इससे ब्रिक्स देशों की एकता और डॉलर के खिलाफ एकजुटता को गहरी चोट पहुंची है.
का दीपंकर ने कहा कि एक लाख रुपए मासिक आय वालों को आयकर से मुक्त करने पर मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. जबकि सच्चाई यह है कि जीएसटी का बोझ जनता के हर तबके की कमर तोड़ रहा है. बजट में स्कीम वर्करों, जैसे आशा, आंगनवाड़ी, रसोइया आदि की कोई चर्चा नहीं की गई है, जिनकी आय बहुत ही कम है. उत्तर प्रदेश में मिड डे मील रसोइया को 1650 रु. प्रति माह मानदेय मिलता है, जबकि केरल व तमिलनाडु में उन्हें क्रमशः 12 हजार व 10 हजार रु. प्रतिमाह दिया जाता है.
का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि दिल्ली के चुनाव ने दिखाया कि कैसे एक विपक्षी पार्टी के नेताओं को जेल भेजकर सरकार को काम नहीं करने दिया गया. राज्य सरकार के अधिकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट जब खड़ा हुआ तो मोदी सरकार ने विशेष कानून बनाकर आप सरकार के पर कतरे. आने वाले दिनों में बिहार के चुनाव हैं, जहां यह कोशिश करनी होगी कि देश हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के रास्ते न बढ़कर, झारखंड और उत्तर प्रदेश, जहां क्रमशः विधानसभा और लोकसभा चुनाव के उत्साहवर्धक परिणाम आये थे, के रास्ते आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि जनता के विभिन्न हिस्सों की भागीदारी को मजबूत करने के लिए पटना में दो मार्च को ‘बदलो बिहार महाजुटान’ का आयोजन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आगामी तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव – इस साल बिहार में, अगले साल बंगाल में और 2027 में उत्तर प्रदेश में होनेवाले चुनाव – कोई मामूली चुनाव नहीं, बल्कि देश का भविष्य तय करने वाले चुनाव होंगे. ये संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण चुनाव होंगे.
उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत के हाल के उस वक्तव्य की आलोचना की जिसमें भागवत ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक का दिन (22 जनवरी 2024) भारत की सच्ची आजादी की स्थापना का दिन है. उन्होंने कहा कि भागवत का यह वक्तव्य भारत की आजादी और संविधान को खारिज करता है. इसी तरह गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में भारत के संविधान के प्रणेता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी की. यह निंदनीय है. उन्होंने कहा कि संविधान-विरोधी लोगों के हाथों में बढ़िया से बढ़िया संविधान भी दे दिया जाए तो वे उसका खराब उपयोग ही करेंगे. यही हाल इस समय अपने देश का है. देश और उत्तर प्रदेश की सत्ता पर संविधान-विरोधी लोग काबिज हैं.
भाकपा(माले) महासचिव ने कहा कि हिन्दू राष्ट्र की परियोजना कारपोरेट की मदद से आगे बढ़ रही है. अडानी जैसों को इसमें शामिल कर लिया गया है. जंगल और जमीन से लेकर खदान, नदी, बंदरगाह, हवाई अउ्डा सब कुछ कारपोरेट के हवाले किया जा रहा है. भाजपा सरकार ने हिन्दू-हिन्दू कहकर महाकुंभ में लोगों को बुलाया, लेकिन भगदड़ में मारे लोगों की वास्तविक संख्या सरकार आज तक नहीं बता सकी है.
उन्होंने कहा कि फासीवाद के खिलाफ लड़ाई सौ साल पुरानी है. देश में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना का यह सौवां साल है. आरआरएस के बने भी सौ साल हो रहे हैं. फासीवाद के खिलाफ लड़ाई की जिम्मेदारी आज के कम्युनिस्टों पर ही है. बाबा साहब के संविधान को बचाने के लिए बड़ी एकता की जरूरत है. आज की लड़ाई निर्णायक है. उन्होंने कहा कि हिटलरशाही जब नहीं चली, तो मोदीशाही की हार भी निश्चित है.
1. राज्य में मौजूदा पार्टी सदस्यों की संख्या 14,000$ को बढ़ाते हुए 15वें राज्य सम्मेलन तक 25,000 तक पहुंचाया जाए. इसे संभव बनाने के लिए खास तौर से प्रत्येक जिला कमेटी को भागीदारी करनी होगी और हर साल अपनी कुल सदस्यता में पिछले साल की तुलना में न्यूनतम 200 सदस्यों की शुद्ध वृद्धि करनी होगी. समर्थन आधार से नए सदस्यों की भर्ती के लिए लक्षित प्रयास करना होगा. साथ ही, सदस्यता खारिज दर को न्यूनतम स्तर पर लाना होगा.
2. प्रदेश में पार्टी सदस्यता में महिलाओं की वर्तमान संख्या 20 प्रतिशत को बढाकर 40 प्रतिशत से अधिक किया जाये. महिलाओं और युवाओं को सदस्य बनाने के लिए विशेष अभियान चलाये जायें.
3. ब्रांचों में संगठित सदस्यों के मौजूदा लगभग 45% को बढ़ाकर अगले राज्य सम्मेलन तक 100% किया जाये. इस साल 22 अप्रैल पार्टी स्थापना दिवस तक इसे 60% तक पहुंचाया जाये.
4. हर जिले में सभी ब्रांचों को सक्रिय किया जाए. ब्रांच की बैठकों में सदस्यों की भागीदारी बढ़ाई जाए. वर्तमान में ब्रांचों की बैठकों में 20% सदस्यों की भागीदारी का औसत है. निष्क्रिय सदस्यों को सक्रिय करने पर ध्यान दिया जाये. हर ब्रांच हर साल कम-से-कम 5 महिला व 5 युवा सदस्य भर्ती करे.
5. संगठन सेल को सक्रिय कर नियमित बैठकें की जायें और उसे अपनी भूमिका में खड़ा किया जाये.
6. ब्रांचों का पुनर्गठन, लोकल, ब्लॉक व एरिया कमेटियों के वार्षिक सम्मेलन हर साल नियमित रुप से किये जायें. संगठन के एजेंडे पर जिला सचिवों की साल में दो बार राज्य स्तरीय बैठक हो. जिला कमेटियां लोकल, ब्लॉक व एरिया सचिवों की साल में दो बार बैठकें करें. ब्रांच सचिवों की साल में चार बार तय समयानुसार बैठकें हों. हर कमेटी सदस्य की जवाबदेही तय हो, राज्य कमेटी सदस्य एरिया स्तर पर निचली कमेटी के कामकाज से सीधे तौर पर जुड़ें.
7. हर जिला कमेटी न्यूनतम 60 लोकयुद्ध मंगाये और इस न्यूनतम संख्या को हर साल बरकरार रखे. हर ब्रांच में एक लोकयुद्ध मंगाने की शर्त को चरणबद्ध तरीके से पूरा कराने की ओर बढ़ा जाए.
8. जिले में शिक्षण शिविर आयोजित करना नियमित किया जाये.
9. हर चिन्हित विधानसभा क्षेत्र में बूथ प्रबंधन और चुनाव मशीनरी तैयार करने पर विशेष जोर दिया जाए. विधानसभा क्षेत्र को कामकाज के लिहाज से केंद्रित किया जाये. अधिक-से-अधिक बूथों पर अपनी सांगठनिक उपस्थिति बढ़ाई जाये. बूथ आधारित ब्रांचों का निर्माण किया जाये. हर बूथ पर न्यूनतम दस पार्टी सदस्य भर्ती करने के लक्ष्य के साथ बढ़ा जाये.
10. समाज के सबसे उत्पीड़ित तबकों – दलितों, महिलाओं व अल्पसंख्यकों – की एकता व गोलबंदी बढ़ाने पर जोर किया जाये, क्योंकि फासीवाद के खिलाफ लड़ाई में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है.