वर्ष - 34
अंक - 4
15-02-2025

[ बिहार में बदलाव के संकल्प के साथ पिछले 18 जनवरी 2025 से आयोजित हुए बदलो बिहार समागमों ने आगामी 2 मार्च 2025 को बिहार की राजधानी पटना में आयोजित होनेवाली ‘बदलो बिहार महाजुटान’ में जन मुद्दों-जन आंदोलनों की ऐतिहासिक गोलबंदी का संकल्प लिया. यहां प्रस्तुत है अंतिम तीन बदलो बिहार समागमों की ण्क संक्षिप्त रिपोर्ट ]

बेतिया समागम : जनांदोलनों का महाऐलान

9 फरवरी 2025 को बेतिया में आयोजित हुए ‘बदलो बिहार समागम’ में आगामी 2 मार्च 2025 को राजधानी पटना के गांधी मैदान में आयोजित होनेवाले महाजुटान को बिहार में संघर्षरत ताकतों का साझा मंच बना देने का आह्वान किया रगया ताकि पटना से यह संदेश दिल्ली तक चला जाए, भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने समागम को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है, इसलिए बिहार संविधान और लोकतंत्र को खत्म करने वाली ताकतों को बर्दाश्त नहीं करेगा. समागम में 40 से अधिक  संगठनों के नेताओं-कार्यकर्ताओं समेत सैकड़ों की तादाद में लोगों ने शिरकत की. यह समागम बड़ा रमना मैदान स्थित बापू सभागार (ऑडिटोरियम) में संपन्न हुआ.

का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार आज बदलाव की मुहाने पर खड़ा है. पर्दे के पीछे से शासन कर रही इस बदलाव को हड़प लेना चाहती है जिसे हमें रोकना होगा.

उन्होंने कहा कि बिहार में भाजपा-जदयू सरकार का 20 साल का शासन विफलताओं और जनता से विश्वासघात का ही शासन रहा है. बिहार की जनता अपने को ठगा महसूस कर रही है और बदलाव चाहती है. तमाम तबके इस बदलाव को जनपक्षीय-लोकतांत्रिक दिशा में ले जाने की जदोजहद कर रहे हैं. इसके लिए ऐसी सभी ताकतें एक मंच पर लामबंद हो रही है. इन ताकतों के एकताबद्ध प्रयास से ही बिहार बदलेगा और जब बिहार बदलेगा, तभी देश भी बदलेगा. उन्होंने बरसों तक राजधानी पटना के धरनास्थल गर्दनीबाग में अपने-अपने सवालों को लेकर अलग-अलग बैनर तले अपनी मांगों पर धरना-प्रदर्शन करनेवाले सभी संगठनों से पटना के गांधी मैदान में 2 मार्च को आयोजित हो रहे ‘बदलो बिहार महाजुटान’ में आने का आह्वान किया.

उन्होंने कहा कि यह महाजुटान इसलिए भी आयोजित हो रहा है कि बिहार की जनता के जो सवाल हैं वे ही आगामी बिहार विधानसभा चुनाव का विमर्श और एजेण्डा बनें. दिल्ली का चुनाव परिणाम भले भाजपा के पक्ष में रहा हो, इसका सबक यही है कि हमें इन जन आंदोलनों को और तीखा बनाना होगा.

समागम की अध्यक्षता इंसाफ मंच के जिला संरक्षक अफसर इमाम तथा संचालन किसान महासभा के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार राव ने किया. सिकटा के विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, विद्यालय रसोईया संघ की राज्य महासचिव सरोज चौबे, पूर्वी चम्पारण जिले की ऐपवा नेत्री शबनम खातून, आशा कार्यकर्ता संघ की पश्चिम चम्पारण जिला सचिव प्रतिमा कुमारी, आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन की नेता संगीता कुमारी, बिहार गृह रक्षा वाहिनी संघ के जिला अध्यक्ष नीतीश मिश्रा, प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष नर्बादय ठाकुर, शिक्षक एकता मंच के संयोजक विपिन यादव, एससी-एसटी कर्मचारी संघ के नेता आरएस बैठा, रेलवे कर्मचारी संघ के नेता टुनटून कुमार, इंसाफ मंच के नेता डा. मोतिउर रहमान, मदरसा टीचर संघ के जिला अध्यक्ष मो. जैनुल साहब, लोक संघर्ष समिति नेता अनिल मंडल, निर्माण मजदूर यूनियन के जिला अध्यक्ष जवाहर प्रसाद, आरवाइए के जिला अध्यक्ष फरहान राजा, ओपीएस आंदोलन के नेता अजित कुमार भगत, आदिवासी संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष नन्दकिशोर महतो, थारू कल्याण महासंघ के जिला नेता तेज प्रताप काजी, बिहार विद्यालय रात्रि प्रहरी संघ के जिला अध्यक्ष निशू, सिकरहना तटबंध रोको संघर्ष मोर्चा के जिला संयोजक डा. अजय यादव, ग्रामीण चिकित्सक संघ के जिला अध्यक्ष डा. अजय कुमार यादव, स्थानीय निकाय सफाई कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष गनपत राउत, अधिवक्ता संघ के जिला अध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, अधिवक्ता राघव साह, विद्यालय रसोईया संघ के पूर्वी चंपारण जिला अध्यक्ष दिनेश कुशवाहा, बेतिया राज भूमि अधिकार संघर्ष मोर्चा के संयोजक संजय यादव आदि समेत ऑटो चालकों व वीमा कर्मचारियों, सहारा इंडिया भुगतान मोर्चा, फुटपाथ दुकानदार संघ, ततवां संघ, बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ सहित कई संगठनों के नेताओं ने समागम को संबोधित किया.

समागम में शामिल सभी संगठनों के बीच संघर्षशील एकता कायम कर साझा संघर्ष छेड़ने, अमेरिका द्वारा प्रवासी भारतीय मजदूरों व अन्य तबकों के साथ दुर्व्यवहार का प्रतिवाद, मोदी सरकार की ट्रम्प की चाटुकारिता की राजनीति का विरोध, वक्फ संसोधन बिल 2024 का विरोध, गृह मंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. भीम राव अंबेडकर के अपमान, विधायक गोपाल रविदास (फुलवारी) और सासंद मनोज राम (सासाराम) के साथ भाजपा नेताओं-कार्यकत्ताओं द्वारा किये गये दुर्व्यवहार, बेतिया राज की जमीन पर बसे हुए लोगों को उजाड़ने के बजाय उनके नाम जमीन की बंदोबस्ती, सिकरहना नदी के दक्षिणी तट पर बनाये जा रहे विनाशकारी बांध के निर्माण कार्य पर रोक लगाने, सभी पर्चेधारियों को जमीन पर अधिकार बहाल करने, आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी, जीविका, साक्षरता मिशन, सफाई कर्मचारी, खेत मजदूर किसान, ग्रामीण डाक्टर, फुटपाथी दुकानदार, मौसमी सिचाई मजदूरों और अन्य सभी तबकों के लम्बित मांगों को पूरा करने, बिजली कम्पनियों की लूट बंद करने गरीबो का बिजली बिल माफ करने और 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने, विधवा, वृद्धा, विकलांग पेंशन में बढ़ोत्तरी, माइक्रो फाइनेंस के कर्ज की मंसूखी, चम्पारण के आदिवासी थारू उरांव बहुल पंचायतों को संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल करने, 65% आरक्षण देने के प्रस्ताव को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने, बिहार जातीय गणना के दौरान सर्वेक्षित सभी 6 हजार से कम अमदनी वाले 95 लाख परिवारों को 2-2 लाख रूपया देने तथा पुरानी पेंशन योजना को  लागू करने संबंधी प्रस्ताव पारित किये.

भागलपुर समागम : अंग प्रदेश की नई अंगड़ाई

सामाजिक समानता और साम्प्रदायिक सद्भाव का झंडा बुलन्द करने के आह्वान के साथ जनमुद्दों-जनआंदोलनों का भागलपुर प्रमंडल स्तरीय बदलो बिहार समागम 6 फरवरी 2025 को वृंदावन विवाह भवन में सम्पन्न हुआ. भाकपा(माले) के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य समागम के मुख्य वक्ता थे. समागम की अध्यक्षता भाकपा(माले) के जिला सचिव विदेश्वरी मंडल व बांका लीडिंग टीम के सचिव रामचंद्र दास ने संयुक्त रुप से की और इसका संचालन ऐक्टू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त ने किया.

समागम को सम्बोधित करते हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि 20 वर्षों से नीतीश कुमार सरकार में है. उन्होंने नारे बहुत अच्छे दिए थे – न्याय के साथ विकास और सुशासन के. लेकिन, आज पूरे बिहार में सुशासन की जगह प्रशासन व पुलिस का दबदबा चलता है. बिहार में विकास के नाम पर गरीबी, महंगाई और भ्रष्टाचार का बोलबाला बढ़ता जा रहा है. सामाजिक गणना में जब यह खुलासा हुआ था कि बिहार में 94 लाख से अधिक परिवारों के एक महीने की कमाई 6 हजार रुपए से कम है तब नीतीश सरकार ने ऐसे सभी गरीब परिवारों को 2 लाख रूपये देने का वादा किया था. इस वादे को एक साल पूरे होने को है लेकिन किसी को एक पैसा नहीं मिला. ऐसे गरीब परिवार जब आय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए प्रखंड कार्यालयों में जा रहे हैं तो उनको 1 लाख रूपये सलाना आमदनी का आय प्रमाण थमा दिया जा रहा है.

उन्होंने कहा अभी नीतीश कुमार प्रगति यात्रा कर हे हैं. लोग उनको अपनी मांगों का ज्ञापन देना चाहते हैं लेकिन उन्हें मिलने से रोक दिया जा रहा है. जहां कहीं उनकी यात्रा हो रही है, भाकपा(माले) नेताओं को गिरफ्तार और नजरबंद किया जा रहा है. लोग अपनी मांगों का ज्ञापन भाकपा(माले) को देरहे हैं क्योकि उनको उम्मीद है कि भाकपा(माले) विधायक उनकी मांगों को विधानसभा में उठाएंगे.

उन्होंने कहा कि बिहार में बदलाव की मांग जोर पकड़ रही है. भाजपा इस मांग को हड़प लेना चाहती है जैसा कि उसने उड़ीसा, महाराष्ट्र व दिल्ली के चुनावों में किया. नीतीश कुमार का हश्र भी एकनाथ शिंदे (महाराष्ट्र) व नवीन पटनायक (उड़ीसा) की तरह होने वाला है.

उन्होंने भाजपा के सांप्रदायिक नफरती अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि यह कैसी विडंबना है कि देश में अब लोगों को पहनावे से पहचान के लिए उकसाया जाता है और छात्र जब शिक्षा मांग रहे हैं तो भाजपा-आरएसएस के लोग उनके बीच त्रिशूल बांट रहे हैं.

एआइसीडब्ल्यूएफ के राष्ट्रीय महासचिव एसके शर्मा ने कहा कि लेबर कोड को लागू कर गुलामी प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है और काम के घंटों को बढ़ाकर 12 घंटे करने का माहौल बनाया जा रहा है.

समागम की शुरुआत करते हुए खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा ने कहा कि अभी जमीन का सर्वे कराने के नाम पर लोगों को डराया जा रहा है. विभिन्न प्रदेशों में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों का बिजली बिल माफ कर दिया गया, लेकिन बिहार जैसे पिछड़े राज्य में लोगों को सबसे अधिक बिजली बिल देना पड़ रहा है.

सभी वक्ताओं ने सामूहिक तौर पर सम्मान, अधिकार और न्याय के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर व भगत सिंह के रास्ते बिहार में बदलाव का संकल्प लेते हुए 2 मार्च को पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘बदलो बिहार महाजुटान’ में बड़ी संख्या में शिरकत करने का आह्वान किया.

समागम को ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन (एआईएसडब्ल्यूएफ) की राष्ट्रीय महासचिव विधान पार्षद शशि यादव, ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, घोषी के विधायक रामबली सिंह यादव, सामाजिक न्याय आंदोलन के राज्य अध्यक्ष रामानंद पासवान, उपाध्यक्ष एसएन ठाकुर व सहसचिव अर्जुन शर्मा, बुनकर संघर्ष समिति के अध्यक्ष नेजाहत अंसारी, पीयूसीएल के मो. जावेद, चर्चित लेखक डॉ. शाम्बे, बिहार प्रोविंशियल बैंक इम्पलाईज एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष एपी सिंह, आइलाज के अरुणाभ शेखर, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (गोपगुट) के राज्य सचिव गोपाल कुमार पासवान, बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की जिला अध्यक्ष आशा वर्मा, जीविका संघ की नेता मनोरमा देवी, बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष सोनम राव आदि ने भी सम्बोधित किया.

भाकपा(माले)महासचिव को कई संघर्षरत तबकों ने अपनी मांगों/समस्याओं से सम्बंधित ज्ञापन भी दिए. समागम से पहले नेताओं द्वारा भागलपुर शहर में अवस्थित शहीद तिलका मांझी, शहीदे आजम भगत सिंह और डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण भी किया गया.

समागम में 42 संघर्षरत संगठनों/संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शिरकत की. समागम में समकालीन लोकयुद्ध के प्रधान संपादक संतोष सहर, भाकपा(माले) की राज्य कमिटी के सदस्य व पूर्वांचल प्रभारी विजय कुमार, अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला अध्यक्ष महेश प्रसाद यादव, बिहार राज्य रेशम अधिदर्शक कर्मचारी संघ के राज्य महासचिव विष्णु कुमार मंडल, सामाजिक न्याय आंदोलन के रिंकू यादव, बहुजन इंटेलेक्चुअल फोरम के अभय कुमार, स्वच्छता पर्यवेक्षक संघ के भानु प्रताप सिंह, बिहार विद्यालय रसोइया संघ की संयोजक सविता देवी, बिहार राज्य चिकित्सा जनस्वास्थ्य कर्मचारी संघ (मायागंज) के सचिव अविनाश कुमार, खेग्रामस के जिला सचिव पुरुषोत्तम दास, वियाडा आंदोलन के नेता रणधीर यादव, इनौस के राज्य सहसचिव गौरीशंकर राय, ऐपवा की जिला अध्यक्ष आशा देवी, सचिव रेणु देवी व सह सचिव कंचन देवी, आइसा के राज्य उपाध्यक्ष प्रवीण कुशवाहा, रेलवे इम्प्लाईज यूनियन के मितेश कुमार, फुले आंबेडकर युवा मंच के सार्थक भारत, ऑल इंडिया सेनिटेशन एंड म्युनिसिपल वर्कर्स फेडरेशन के मनोज कृष्ण सहाय, बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के गोपाल हरि, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (गोपगुट) के ब्रजराज चौधरी, बिहार राज्य निर्माण यूनियन के अमर कुमार व चंचल पंडित, असंगठित कामगार महासंघ के सिकंदर तांती, घरेलू कामगार यूनियन की चंदा देवी, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका संघ की कमली देवी, बिजली मजदूर यूनियन के अनवर अंसारी, होम्योपैथी मेडिकल एसोसिशन के संजय कुमार, एएनएम संघ की अनीता कुमारी, बीड़ी कर्मचारी यूनियन के अफरोज आलम, ट्रांसपोर्ट मजदूर यूनियन के विजय साह, मोटिया-ठेला मजदूर यूनियन के सिकंदर यादव, ईरिक्शा चालक यूनियन के जियाउल हसन, सामाजिक कार्यकर्ता मो. शाहनवाज, सरपंच नीतू कुमारी आदि विभिन्न संघर्षरत तबकों के सैकड़ों महिला-पुरुष शामिल हुए.