आइसा ने 11 दिसंबर 2024 को वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के 6ठे दीक्षांत समारोह में पहुंचे बिहार के राज्यपाल को मांग पत्र सौंप कर छात्रहित के कई मुद्दों पर सकारात्मक पहल करने की मांग की. प्रतिनिधि मंडल में आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार व जिला सचिव विकास कुमार समेत अन्य आइसा नेता शामिल थे.
आइसा ने राज्यपाल से महाविद्यालयों में यूजी-पीजी के सभी वर्गा में छात्रओं का नामांकन निःशुल्क करने की गारंटी करने, नई शिक्षा नीति व सीबीसीएस को खारिज करने, छात्र संघ चुनाव की तिथि अविलंब घोषित करने, विश्वविद्यायलों व कॉलेजों के कैम्पसों में ‘जीएस कैश’ लागू करने, विश्वविद्यालय में प्रेस की स्थापना करने, एकेडमिक कैलेंडर को सख़्ती से लागू करने, प्रयोगशालाओं में छात्रोपयोगी संसाधनों का प्रबंध करने, शोधार्थियों के लिए फेलोशिप व शोध सामाग्री उपलब्ध कराने, कई वर्षा से लंबित मूल प्रमाण पत्र व डिग्री छात्रों को उपलब्ध कराने, सभी कॉलेजों में खेलकूद सामग्री उपलब्ध कराने, वीर कुंवर सिंह विश्वविधालय में सरकारी डाटा बैंक स्थापित करने, सुदुर क्षेत्रों से आनेवाले छात्रों के लिए सुविधाजनक परिवहन का इंतजाम करने, कैम्पसों में छात्रओं के लिए कॉमन रुम की व्यवस्था करने, सभी कॉलेजों में छात्रवास का प्रबंध करने, आउटसोर्सिंग प्रणाली खत्म करने, विश्वविद्यालय में पत्रकारिता और मास्टर ऑफ लॉ की पढाई शुरु करने, बीएड कोर्स में बेहतशा फीस वृद्धि वापस लेने और कॉलेजों में यूजी-पीजी में सभी विषयों में सीटें बढ़ाने की मांग की है.
अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस (10 दिसंबर) के अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों ने आइसा की पहल पर मानव श्रंखला का आयोजन किया. यह आयोजन बांग्लादेश और भारत में अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रही हिंसा और नफरत की राजनीति के खिलाफ एकजुटता व्यक्त करने के लिए किया गया.
टैगोर लॉन पर आयोजित इस श्रृंखला में बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया और समाज में शांति, सद्भाव और समानता का संदेश दिया. छात्रों ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे हमलों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि ये घटनाएं न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि लोकतंत्र और सामाजिक ताने-बाने के लिए भी गंभीर चुनौती हैं.
छात्रों ने कहा कि मानव अधिकार दिवस पर यह पहल उन सभी लोगों के अधिकारों की रक्षा का संकल्प है, जो भेदभाव और हिंसा का सामना कर रहे हैं. छात्रों ने नफरत की राजनीति को खारिज करने और सभी धर्मों के प्रति सम्मान और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने की बात कही. उनका मानना था कि धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता ही लोकतंत्र की असली ताकत हैं.
श्रृंखला के दौरान छात्रों ने अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को भी उजागर किया, जैसे – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय और शांति और मानवता. छात्रों ने शांतिपूर्ण विरोध और असहमति को दबाने के हर प्रयास का विरोध किया, नफरत और हिंसा के खिलाफ शांति और भाईचारे का संदेश दिया तथा हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों की रक्षा की मांग की.
छात्रों ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस केवल एक प्रतीकात्मक दिन नहीं है, बल्कि यह मानव अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान है. उन्होंने सरकार और समाज से अपील की कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को प्राथमिकता दी जाए. यह आयोजन इस बात का प्रतीक बन गया कि युवा शक्ति नफरत और हिंसा को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करती है और एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज के लिए प्रतिबद्ध है.