जीविका समूहों की सभी महिलाओं के स्थाई रोजगार व उनके उत्पाद की सरकारी खरीद, समूह की महिलाओं की बचत राशि से जीविका कैडरों के मानदेय को बंद करने, 2022 तक (कोविड काल) तक के कर्ज की माफी, माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा मनमानी सूद वसूली और किस्त वसूली की प्रताड़ना पर रोक, माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर निर्भरता को खत्म करने, सरकारी समूहों से महिलाओं को उनकी जरूरत के मुताबिक कर्ज देने, झारखंड व अन्य कुछ राज्यों की तरह बिहार में भी सभी महिलाओं को 3 हजार रुपए की मासिक सहायता देने तथा महिलाओं पर अत्याचार-बलात्कार की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए पुलिस प्रशासन को जवाबदेह बनाए जाने की मांग पर 28 नवंबर 2024 को महिला संगठन ऐपवा के बैनर तले बिहार के कोने-कोने से आई हजारों महिलाओं ने जुझारू प्रदर्शन किया.
यह प्रदर्शन गेट पब्लिक लाइब्रेरी से निकल कर गर्दनीबाग धरनास्थल पर पहुंचा. वहां जब पुलिस ने उन्हें रोक दिया तो सभा शुरू की गई. प्रदर्शनकारी महिलायें अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने पर अड़ी रहीं.
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि जीविका समूह की सदस्यों को लाभ न मिलने के कारण समूह धीरे-धीरे निष्क्रिय हो रहे हैं. ऊपर से सरकार महिलाओं की साप्ताहिक जमा राशि से ही कैडर के मानदेय समेत सभी खर्च निकलवाना चाहती है जो कि सरासर अन्याय है.
उन्होंने आगे कहा कि जीविका समूह की सभी दीदियों को रोजगार और उनके पुराने कर्जों की माफी जरूरी है. सरकार माइक्रो फाइनेंस कंपनियों को छूट देकर बिहार में नई महाजनी व्यवस्था ला रही है. ये कंपनियां गांव-गांव जाकर लुभावने वादे पर पहले कर्ज देती हैं और उसके बाद मनमानी सूद पर साप्ताहिक किस्त जमा करने के लिए महिलाओं को प्रताड़ित करती हैं. घर का सामान उठा लेना, मवेशी खोल लेना और महिलाओं के साथ गाली-गलौज करना इन कंपनियों की सामान्य कार्य प्रणाली है. इनकी प्रताड़ना के कारण बिहार के कई जिलों में महिलाओं की आत्महत्या और पलायन जैसी घटनाएं हो रही हैं. उन्होंने झारखंड और महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी एक योजना लाकर सभी महिलाओं को सरकार 3 हजार रु. मासिक सहायता राशि देने की मांग की.
सभा को ऐपवा राज्य अध्यक्ष सोहिला गुप्ता, सचिव अनीता सिंहा, संगीता सिंह, शबनम खातून, इंदू सिंह, माधुरी गुप्ता, अनुराधा देवी, प्रेमा देवी, रीता बर्णवाल, विधान पार्षद शशि यादव तथा भाकपा(माले) विधायकों ने भी संबोधित किया. प्रदर्शन में राज्य के विभिन्न जिलों – सिवान, चंपारण, सारण, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, बक्सर, भोजपुर, पटना, जहानाबाद, गया, नवादा, खगड़िया, पूर्णिया – आदि से महिलाओं की उललेखनीय गोलबंदी हुई.