बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ (ऐक्टू) के आह्वान पर राज्य की हजारों रसोइयों ने 24 जुलाई 2024 को बिहार विधान सभा के समक्ष, गर्दनीबाग पटना में, रसोइयों को दिये जा रहे अपमानजनक 1650 रु. मासिक मानदेय के बदले 10 हजार रु. मानदेय करने, वर्ष में 10 के बजाए 12 माह का मानदेय देने, रसोइयों से काम छीनकर खाना आपूर्ति का काम एनजीओ को सौंपना बन्द करने व एमडीएम से एनजीओ को बाहर करने सहित 13 सूत्री मांगों पर प्रदर्शन किया.
‘मोदी-नीतीश शर्म करो, रसोइयों को 50 रूपए पर खटाना बंद करो’, ‘रसोइयों का मानदेय तत्काल 10 हजार रुपए करो’, ‘एनजीओ को एमडीएम योजना से बाहर करो’, ‘मंहगाई व अपराध पर रोक लगाओ’, ‘मजदूरों को गुलाम बनाने वाले चार श्रम संहिता कानून वापस लो’, ‘13 सूत्री मांगें पूरा करो’ का नारा लगाते हुए विद्यालय रसोइयों ने संघ की प्रदेश महासचिव सरोज चौबे, अध्यक्ष विभा भारती, ऐपवा राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार आदि नेताओं के नेतृत्व में 15 नम्बर, गर्दनीबाग से प्रदर्शन निकाला और से निकलकर धरना स्थल, गर्दनीबाग पहुंचा.
गर्दनीबाग धरना स्थल पर सरोज चौबे के संचालन व विभा भारती की अध्यक्षता में हुई सभा को भाकपा(माले) विधायक दल के उपनेता सत्यदेव राम, विधायक गोपाल रविदास, एमएलसी सह स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की महासचिव शशि यादव, ऐपवा राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, ऐक्टू राज्य महासचिव आरएन ठाकुर, महासंघ (गोप गुट) के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद और ऐक्टू नेता रणविजय कुमार आदि ने सम्बोधित किया.
भाकपा(माले) विधायक दल उपनेता सत्यदेव राम,विधायक गोपाल रविदास और एमएलसी शशि यादव ने रसोइयों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मोदी-नीतीश सरकार में 2.40 लाख विद्यालय रसोइयों को गुलामों की तरह दैनिक 50 रु. मानदेय राशि पर खटाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक व अपमानजनक है. भाकपा(माले) विधायकों ने कहा कि रसोइयों के मानदेय में जीने लायक सम्मानजनक वृद्धि हो इस सवाल पर भाकपा(माले) विधायक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सदन के अंदर दबाव बनाएंगे.
ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, रसोइया संघ महासचिव सरोज चौबे, ऐक्टू नेता आरएन ठाकुर व रणविजय कुमार ने रसोइयों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज के सबसे गरीब-गुरबा व दलित-अति पिछड़े समुदाय से आने वाली महिलाओं – रसोइयों को मोदी-नीतीश सरकार इस भीषण महंगाई में सालों से 1650 रु. मासिक मानदेय पर खटा रही है जो कि बेहद अपमानजनक है. उन्होंने इस अपमानजनक मानदेय राशि के बजाए प्रति माह व साल के 10 के बजाए 12 महीने 10 हजार रु. मानदेय देने की मांग उठाई. नेताओं ने मोदी सरकार पर पिछले 10 वर्ष के कार्यकाल में रसोइयों के मानदेय में एक रुपए की भी वृद्धि नहीं करने का आरोप लगाया. नेताओं ने कहा रसोइयों के अधिकार व मानदेय में कानूनी लूट नहीं चलेगा.
नेताओं ने भाजपा नेतृत्व वाले नीतीश सरकार पर रसोइयों के मानदेय व अधिकार में लूट मचाने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार वर्षों से औसतन प्रतिदिन 50 रु. मानदेय पर रसोइयों को खटा रही है और मानदेय वृद्धि के नाम पर चुप्पी साध लेती है. सरकार ने अब रसोइयों से काम छीनकर इनके हक का राशि और अधिकार एनजीओ को सौंपने का निर्णय किया है यानी 1 जुलाई 24 से सरकार ने विद्यालयों में खाना आपूर्ति का जिम्मा एनजीओ को सौंपने का निर्णय किया है जिससे राज्य के 2.40 लाख रसोइयों की सेवा असुरक्षित हो गयी है. यह नीतीश सरकार द्वारा रसोइयों के अधिकारों व मानदेय राशि की कानूनी लूट है.
रसोइया संघ महासचिव सरोज चौबे ने नीतीश सरकार से रसोइयों को गुलामों की तरह खटाना बन्द कर न्यूनतम मजदूरी अधिनियम-1948 से जोड़ने की मांग करते हुए सरकार से रसोइयों के मानदेय में सम्मानजनक राशि वृद्धि करते हुए 1650 रु. को बढ़ाकर मासिक 10 हजार रु करने, रसोइयों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 से अच्छादित करने, एमडीएम से एनजीओ को बाहर करने के अलावे अन्य 13 सूत्री मांगों, खासकर 3000 मासिक पेंशन व रिटायरमेंट पैकेज देने तथा ड्रेस देने की मांग उठाया.
रसोइयों के आज के प्रदर्शन से मोदी सरकार से 4 श्रम सहिंता और तीन नए फौजदारी कानूनों को निरस्त करने की मांग भी उठा. अपमाजनक मानदेय के खिलाफ मानदेय राशि मे अविलम्ब जीने यापन लायक वृद्धि कर इस राशि को प्रति माह कम से कम 10 हजार रु. करने तथा एमडीएम योजना से एनजीओ को बाहर करने जैसी सहित कुल 13 सूत्री मांग पर राज्यस्तरीय प्रदर्शन आहूत था.
सभा को रसोइया संघ की उपाध्यक्ष सह मोतिहारी अध्यक्ष कुमांती देवी, दिनेश प्रसाद कुशवाहा, परशुराम पाठक, मुहम्मद हैदर, रामचंद्र प्रसाद, पूनम देवी, राखी मेहता, आशा देवी तथा ऐपवा नेत्री माधुरी गुप्ता, अनुराधा सिंह और लीला वर्मा आदि ने भी संबोधित किया.
– सरोज चौबे