वर्ष - 32
अंक - 32
05-08-2023

विगत 12 जुलाई से जारी दस हजार न्यूनतम मासिक मानदेय और रिटायरमेंट पैकेज सहित 9 सूत्री मांगों को लेकर आशा संयुक्त संघर्ष मंच के बैनर से आंदोलित आशाकर्मियों-फैसिलिटेटरों की सरकार के साथ दो राउंड की सरकार से हुई वार्ता की असफलता के बाद विगत 3 अगस्त 2023 को पटना में आशाकर्मियों का महाजुटान हुआ. इस महाजुटान को भाकपा(माले) व माकपा विधायकों सहित अन्य नेतागण भी अपना समर्थन देने गर्दनीबाग धरनास्थल पहुंचे. मुख्य रूप से भाकपा(माले) विधायक दल नेता महबूब आलम, उपनेता सत्येदव राम, गोपाल रविदास, रामबलि सिंह यादव, अमरजीत कुशवाहा और माकपा के अजय कुमार व सत्येन्द्र यादव ने इसे संबोधित किया.

महाजुटान के अन्य वक्ताओं में ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की नेता शशि यादव, बिहार विद्यालय रसोइया संघ की नेता सरोज चौबे, मालती देवी, सुनीता भारती, चंद्रकला, सावित्री देवी, तरन्नुम फैजी, जूही आलम, बिहार राज्य आशा सह आशा फैसिलिटेटर संघ के विश्वनाथ सिंह, मो. लुकमान, मीरा सिन्हा, सुबेश सिंह आदि के नाम शामिल रहे.

आशा कार्यकर्ताओं की लोकप्रिय नेता शशि यादव ने कहा कि सरकार के साथ दो राउंड की वार्ता असफल हो चुकी है, लेकिन इससे हम निराश नहीं होने वाले हैं. जब तक हमारी मांगें मानी नहीं जाती हैं हमारी हड़ताल जारी रहेगी. महाजुटान में शामिल आशाकर्मियों ने मुठ्ठी बांधकर उनकी बातों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि यह ताज्जुब वाली बात है कि बिहार की महागठबंधन सरकार आशाकर्मियों को न्यूनतम मानदेय भी नहीं देना चाहती जबकि यह महागठबंधन के घोषणापत्र में शामिल था. हम श्री तेजस्वी यादव जी को याद दिलाना चाहते हैं कि उन्होंने पारितोषिक की जगह मासिक मानदेय व सम्मानजनक की राशि देने की जो घोषणा की थी. उसे वे पूरा करें.

उन्होंने कहा कि न्यूनतम रिटायरमेंट बेनिफिट देने से सरकार ने मना कर दिया है जबकि कई राज्यों में सम्मानजनक मासिक मानदेय के साथ 1 लाख का रिटायरमेंट पैकेज और पेंशन मिलता है. उन्होंने यह भी कहा कि केरल, कर्नाटक, आंध्र, मध्यप्रदेश, ओडिशा, राजस्थान आदि राज्यों में आशा-आशा फैसिलिटेटरों को जो सुविधायें मिल रही हैं, बिहार सरकार उसे ही लागू कर दे.

विश्वनाथ सिंह ने कहा कि तमाम तरह के दमन को झेलते हुए आशाएं शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल पर हैं. परिवार के साथ कई दिनों तक सत्याग्रह पर रही हैं. भीषण गर्मी और उमस से दर्जनों आशाएं बीमार पड़ी हैं, लेकिन सरकार का रुख दमनात्मक है. हम बिहार सरकार से इस तरह की उम्मीद तो कत्तई नहीं कर रहे थे लेकिन दुर्भाग्यवश यही हो रहा है. 18 महीने के पिछले बकाये में से एक महीने की राशि 10 करोड़ रूपये देने की बात कहकर वे हड़ताल की मुख्य मांगों को दरकिनार करना चाहते हैं. आशाएं सजग हैं, गुमराह करने का खेल नहीं चलेगा.

विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि मुख्यमंत्री से पुनः वार्ता कराने पर चर्चा हुई है. श्री तेजस्वी यादव के पटना पहुंचते ही वार्ता शुरू होगी और आशाओं के पक्ष में फैसला आएगा. वाम दल के सभी विधायक मजबूती से हर प्लेटफाॅर्म पर आशाओं के लिए न्यूनतम मानदेय की मांग उठायेंगे. हमारी प्राथमिकता जनता के सवाल हैं. महागठबंधन की सरकार को आशाकर्मियों की मांगें हों या फिर शिक्षकों के सवाल हों, सबको पूरा करना ही होगा. ओडिशा जैसा बिहार से गरीब राज्य जब आशाकर्मियों को सुविधाएं दे रहा है तो बिहार सरकार क्यों नहीं दे सकती?

माकपा के अजय कुमार ने कहा कि आशाओं की मेहनत से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार हुआ है लेकिन बिहार सरकार अन्य राज्यों में मिल रही सुविधाएं भी नहीं दे रही है.हासंघ गोप गुट के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद ने कहा कि सरकार का महिला श्रम और आशाओं के कठिन कठोर कामों के प्रति नजरिया असंवेदनशील है. मौके पर ऐक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार, प्रेमचंद सिन्हा सहित कई अन्य नेता भी मौजूद थे.

प्रमुख मांगें:

1) (क). आशा कार्यकर्ता-आशा फैसिलिटेटरों को राज्य निधि से देय 1000 रू. मासिक संबंधी सरकारी संकल्प में अंकित पारितोषिक शब्द को बदलकर नियत मासिक मानदेय किया जाए और इसे बढ़ाकर 10 हजार रू. किया जाए.

(ख) उक्त विषयक सरकारी संकल्प के अनुरूप इस मद का वित्तीय वर्ष 19-20 (अप्रैल 19 से नवंबर 20 तक) का मासिक 1000 रु. का बकाया राशि का जल्द से जल्द भुगतान किया जाए.

2). अश्विन पोर्टल से भुगतान शुरू होने के पूर्व की सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाए.

3). (क) आशा कार्यकर्ताओं-आशा फैसिलिटेटरों को देय प्रोत्साहन-मासिक पारितोषिक राशि का अद्यतन भुगतान करने सहित इसमें एकरूपता-पारदर्शिता लाई जाए.

(ख) आशाओं के भुगतान में व्याप्त भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी पर सख्ती से रोक लगाई जाए.

4). कोरोना काल की सेवा के लिए सभी आशाओं-आशा फैसिलिटेटरों को 10 हजार रुपया कोरोना भत्ता भुगतान किया जाए.

5). (क) आशाओं को देय पोशाक (सिर्फ साड़ी) के साथ ब्लाउज, पेटीकोट तथा ऊनी कोट की व्यवस्था की जाए और इसके लिए देय राशि का अद्यतन भुगतान किया जाए.

(ख) फैसिलिटेटर के लिए भी पोशाक का निर्धारण और उसकी राशि भुगतान की शीघ्र व्यवस्था की जाए.

(ग) फैसिलिटेटरों को 20 दिन की जगह पूरे माह का भ्रमण भत्ता दैनिक 500/-रू की दर से भुगतान किया जाए.

6). (क) वर्षों पूर्व विभिन्न कार्यों के लिए निर्धारित प्रोत्साहन राशि की दरों में समुचित बृद्धि हेतु केन्द्र सरकार को प्रस्ताव एवं अनुशंसा प्रेषित किया जाए.

(ख) आशा कार्यकर्ता व आशा फैसिलिटेटरों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए.

7). कोरोना से (पुष्ट/अपुष्ट) मृत आशाओं व आशा फैसिलिटेटर को राज्य योजना के 4 लाख और केंद्रीय बीमा योजना के 50 लाख रू. की राशि का भुगतान किया जाए.

8). आशा कार्यकर्ता-आशा फैसिलिटेटर को भी सामाजिक सुरक्षा योजना-पेंशन योजना का लाभ दिया जाए. जब तक नहीं किया जाता तब तक रिटायरमेंट पैकेज के रूप में एकमुश्त 10 लाख रू. का भुगतान किया जाए.

9). जनवरी ’19 के समझौते के अनुरूप मुकदमों की वापसी सहित अन्य अकार्यान्वित बिन्दुओं को शीघ्र लागू किया जाए.

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