मणिपुर को तबाह-बर्बाद करने वाली भाजपा बिहार को भी लगातार अशांत करने की कोशिश कर रही है. दरभंगा में मुहर्रम के दौरान उसके द्वारा व्यापक पैमाने पर हिंसा फैलाने की साजिश रची गई, लेकिन वहां की जनता ने उसकी हर एक साजिश का पर्दाफाश किया और उसे नाकाम बनाया. भाकपा(माले) की जांच टीम ने शिवधारा बाजार समिति, बरिऔल, और मालपट्टी धर्मपुर गांव का दौरा किया. टीम में भाकपा(माले) के राज्य कमिटी सदस्य अभिषेक कुमार, जाले प्रखंड सचिव ललन पासवान, केवटी प्रखंड सचिव धर्मेश यादव तथा इंसाफ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष नेयाज अहमद आदि शामिल थे.
एक बुजुर्ग ने टीम को बताया कि मुहर्रम का झंडा पहले एनएच के डिवाईडर पर गड़ता था जो इस बार एनएच पर अत्यधिक गतिविधि को देखते हुए बाजार समिति चौक एनएच-57 के किनारे सरयुग साह मिठाई वाले से अनुमति लेकर उनकी दूकान के सामने सड़क पर गाड़ा जा रहा था. गोपाल मंडल और प्रभाष महतो ने कुछ लोगों के साथ आकर इसका विरोध किया. मब्बी ओपी की पुलिस आई और उसने वहां के बदले बाजार समिति के बंद गेट (मछली हट्टा) के पास झंडा गाड़ने को कहा. गोपाल मंडल ने वहां आकर भी विरोध करने लगा. उसने झंडा उखाड़ दिया. विवाद खड़ा हुआ और तनाव की स्थिति बन गई. उसके बाद खुद पुलिस प्रशासन ने अगल-बगल के मुस्लिम मुहल्लों में जमकर उत्पात मचाया और लोगों के घरों में छापामारी और तोड-फोड़ की. जांच टीम जब गांव में पहुंची तो उसने पाया कि मुस्लिम समुदाय में डर का माहौल और सभी पुरूष घर छोड़कर भागे हुए हैं.
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ताजिया की मिट्टी लाने के लिए 9 बजे रात में जुलूस निकाला तो पता चला कि मंदिर पर मजमा लगा हुआ हैं और रास्ते पर नौजवान लोग डांस कर रहे हैं. जुलूस को रोक दिया. जनप्रतिनिधियों – पंचायत समिति सदस्य श्रवण सहनी और लक्ष्मण पासवान – ने लोगों को रास्ते से हटाने का प्रयास किया लेकिन वे जब नहीं हटे तो चले गए. वहां पहुंचे प्रशासन ने भी घंटो तक यह प्रयास किया. फिर भी रास्ता खाली नहीं हुआ तब पुलिस बल आया. रात्रि करीब 2 बजे जब मुस्लिम समुदाय के लोग पुलिस बल केे साथ मिट्टी लेकर आ रहे थे तो उन पर पथराव हुआ. पुलिस को भी पत्थर लगे. इसके बाद ही पुलिस ने लाठी चार्ज किया. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने यह भी बताया कि सुबह में चौक पर जब वे अपनी दुकान के सामने झंडा गाड़ रहे थे तब भी उन लोगों को रोका गया और उन्होंने वहां झंडे नहीं गाड़े.
पता चला कि मंदिर पर ज्यादा लोगों का जुटान सुनियोजित था. यह जानते हुए कि हर बार की तरह आज भी मुहर्रम में वहां से मिट्टी ले जाई जाएगी वहां सुबह दो-ढाई बजे तक मजमा लगाए रखना एक गंभीर साजिश की ओर संकेत करता है. पता चला कि नीतीश ठाकुर जो खुद को भाजपा विधायक मुरारी मोहन झा का रिश्तेदार बताते हैं तथा दिलीप महतो और राकेश शर्मा, मुकेश शर्मा व रंजित शर्मा जो बजरंग दल से जुड़े हैं, ने मामले को बढ़ाने में भूमिका निभाई. पुलिस ने दोनों पक्ष के लोगों पर 107 के तहत नोटिस किया लेकिन जिन्होंने उत्पात मचाया उनको चिन्हित कर कार्रवाई नहीं की.
भाकपा(माले) टीम के पहुंचने से थोड़ी देर पहले प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा के नेतृत्व में भाजपा का काफिला गांव से निकला था. मो. नासिर नज्जू के घर के सामने खड़ी मुस्लिम महिलाओं ने कोशिश की कि भाजपा नेता उनकी बात भी सुनें लेकिन वे लोग नहीं रूके. मो. नासिर देश से बाहर थे और घर में केवल महिलाएं ही थीं. उन्होंने बताया कि पुलिस ने उनके घर में घुस कर मोटरसाइकिल, वाशिंग मशीन, बेसिन, बीफकेस आदि समेत लाखों रूपये के समान तोड़ डाले व लूट मचाया. घर का गेट भी तोड़ डाला. उनके साथ एक भी महिला पुलिस नहीं थी. घरों की बिजली काट कर अंधेरे में लोगों को बुरी तरह से पीटा गया.
यह तजबाही रात के करीब 2 से 3 बजे तक मचाई गई. मो. सज्जाद के घर में बेटी की शादी के लिए खरीद कर रखे सामानों को भी बेदर्दी से तोड़ा गया. दिल के मरीज मो. दाउद के घर पर भी पुलिस ने हमला किया. उनको और उनके दोनों बेटों मो. दिलशाद और मो. आमिर को बुरी तरह पीटा गया और बेटों को गिरफ्तार कर लिया गया. टीबी के मरीज मो. उज्जैर (पिता मो. अली हसन) जो हैं और विकलांग मो. सननुल्लाह को भी सोई हुई अवस्था में उठाकर पीटा और गिरफ्तार किया गया. मो. कामरान (25 वर्ष), मरहूम परवेज के नाबालिग बेटे मो. फरहान (14 वर्ष) और सरवर अली (पिता का नाम मो. अशफाक) की भी गिरफ्तारी हुई. बूढ़ी महिला रफत परवीन (पति का नाम हैदर), अब्दुल कादिर, मो. रजा की पत्नी साहरे बानो, उनकी पोती आइसा इमरान, बहु रौनक परवीन, मो. कयूम के मानसिक रूप से विकलांग बच्चे मो. करमुल्ला, उनकी पत्नी नूरजहां, बेटी जैनव और मो. कयूम की भी बर्बर पिटाई हुई. मो. साहुद का हाथ टूटा और मो. आरिफ (पिता का नाम मो. हारून) के पैर में गंभीर चोटें हैं. पुलिस के साथ मुखिया अजय कुमार झा, पवन लाल कर्ण और अन्य लोग भी थे.
1. घटित सभी घटनाओं में पुलिस की भूमिका लगभग एक तरफा रही है और उसने मुस्लिम समुदाय को ही निशाना बनाया है. शिवधारा और मालपट्टी में साढ़े बारह बजे से साढ़े तीन बजे के बीच जब मामला शांत हो जाने के बाद लोग घरों में सो रहे थे पुलिस ने कार्रवाई शुरू की. मालपट्टी गांव और बाजार समिति मामले में नजदीक के मुस्लिम गांवों जमालचक, भलनी, करहटिया, भोलका और कोठिया में छापेमारी की गई, घरों के गेट तोड़े गए, महिलाओं के साथ मारपीट व गाली-गलौज की गयी और मौजूद लोगों को पीटते हुए गिरफ्तार किया गया. जांच दल ने गिरफ्तार लोगों के साथ हुई मारपीट की निंदा करते हुए उनके मेडिकल जांच की मांग की है.
2. शिवधारा बाजार समिति घटना में साजिशकर्ता गोपाल मंडल, उसके भाई पूर्व मुखिया लड्डू मंडल और प्रभाष महतो के साथ भाजपा विधायक संजय सरावगी के साथ हुई बातचीत के काॅल डिटेल को सार्वजनिक किया जाए और इस पूरे मामले में भाजपा विधायक संजय सरावगी की भूमिका की जांच की जाए.
3. मालपट्टी में हुई घटना के सूत्रधार मुखिया अजय कुमार झा द्वारा साजिश के तहत ही तीन महीने पहले ही रोड किनारे के गड्ढे को मनरेगा के तहत भरवाया गया. शमशान के लिए अथाह जमीन होने के बाद भी बिल्कुल रोड से सटाकर नए भरात पर लाश जलाने के लिए गड्ढा करवाया गय जबकि उस जमीन से पूरब जडेढ़ बीघा परती जमीन मौजूद है. जब विवाद हुआ तो अंचलाधिकारी और प्रशासन ने दोनों पक्षों को जमीन का कागज देने का कहकर उसे शांत कराया. यह सहमति भी बन गई कि तबतक शवों को दूसरी जगह जलाया जायेगा. उसके बाद भी मुखिया अजय कुमार झा और पवन लाल कर्ण ने प्रशासन की मौजूदगी में शव जलवाया. रात्रि के दस बजे के बाद मामला शांत भी हो गया. इसके बाद रात के 12 बजे से सुबह 3 बजे तक एकतरफा कार्रवाई करते हुए मुसलमानों के घरों में घुसकर मारपीट, लूटपाट व गिरफ्तारी करना पुलिस के मुस्लिम विरोधी पूर्वाग्रह को ही प्रदर्शित करता है. पुलिस के साथ मुखिया और अन्य ग्रामीणों की भीड़ का भी मुसलमानों के घरों में घुसना प्रशासन के भाजपाई चाल-चरित्र के साथ यह भी दर्शाता है कि जिले का प्रशासनिक महकमा पूरी तरह से भाजपाई माइंडसेट में काम कर रहा है. इसलिए जांच दल मांग करता है कि दरभंगा के आईजी, डीएम, एसएसपी, डीएसपी और संबंधित थानाध्यक्ष को बदला जाए.
4. मालपट्टी में जांच दल ने पासवान टोले जाकर मृतक के बेटे, भतीजे व अन्य लोगों के साथ भी बात की. वहां लाश के ऊपर पेशाब करने तथा बरिऔल में मुस्लिम समुदाय के द्वारा हमले की की बात बिलकुल ही अफवाह थी. अपना पक्ष मजबूत करने के लिए भाजपाइयों की ओर से यह कहानी गढ़ी गई. विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा के भड़काऊ बयान (जो सोशल मीडिया में है) को देखते हुए उन पर मुकदमा दर्ज करते हुए कार्रवाई करनी चाहिए.