विगत 20 अगस्त 2019 को शहीद का. सतीश यादव की शहादत की चौथी बरसी पर बड़गांव में श्रद्धांजलि सभा रखी गई थी. सभा में व्यवधान डालने या फिर उसे नहीं होने देने की नीयत से बड़गांव निवासी भाजपा नेता और अपराधी रिंकू सिंह ने 20 अगस्त को ही जेपी सिंह की श्रद्धांजलि सभा की घोषणा कर दी. जेपी सिंह की श्रद्धांजलि सभा भी उसने वहीं रखी जहां हम सभा करने वाले थे. एक तथ्य जान लीजिए. जिस दिन का. सतीश यादव की हत्या की गई, उसी दिन से ही बड़गांव निवासी जेपी सिंह लापता है. हमारे साथियों पर जेपी सिंह के अपहरण और हत्या का मुकदमा दर्ज कर दिया गया है. का. मनोज मंजिल सहित कई साथी इसमें फंसाए गए हैं.
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बाथे-बथानी की ही तर्ज पर का. सतीश यादव की हत्या मामले में अभियुक्त रिंकू सिंह सहित तमाम आरोपी जिला कोर्ट से बरी कर दिए गए. पटना हाईकोर्ट ने हमारी अपील को भी खारिज कर दिया. उसने अपील को सुनवाई के लायक ही नहीं समझा! इस तरह न्याय के संहार का सिलसिला जारी रहा! अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी चल रही है.
90 के दशक से ही गरीबों के कब्जे और जोत-आबाद में गांव के नावल्द की 4 बीघा जमीन है. भू स्वामियों से लड़कर गरीबों ने यह जमीन हासिल की थी. उस समय भी भूस्वामियों ने इसे मठ की जमीन बताकर विवाद पैदा करना चाहा था. लेकिन तत्कालीन डीएम आमिर सुबहानी ने मठ की जमीन होने के सामंतों के दावे को खारिज कर दिया था और जमीन को यथावत रखने का आदेश दिया था. भूस्वामियों ने उस समय खेल के मैदान के नाम पर भी विवाद खड़ा करने का प्रयास किया था. लेकिन डीएम ने उनकी मांग को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि गरीबों ने खुद से ही खेल के मैदान के लिए 3 बीघा जमीन छोड़ दी थी. इस बार लोकसभा चुनाव के बाद स्थानीय भाजपा एमपी श्री आरके सिंह के दबाव में सीओ-एसडीओ ने फिर से मठ की जमीन के नाम पर गरीबों को जमीन से बेदखल करना चाहा. लेकिन जन दबाव में ऐसा करना संभव नहीं हो सका. यह भी एक तत्कालिक विवाद व तनाव का कारण बना हुआ था.
रिंकू सिंह ने सोन के बालू घाट का ठेका भी ले रखा है. लोकसभा चुनाव के बाद चिल्होस-रेपुरा (संदेश प्रखंड) अवस्थित उसके बालू घाट पर ट्रैक्टर चालक मंतोष यादव की जेसीबी से सर में चोट लगने की वजह से मृत्यु हो गई. रिंकू सिंह ने लाश को गायब करने की कोशिश की. हमारे आंदोलन की वजह से उस पर मुकदमा हुआ. रिंकू सिंह इससे भी खार खाया हुआ था. बड़गांव पंचायत के मुखिया, सरपंच और पंचायत समिति सदस्य – सभी सीटों पर भाकपा(माले) का कब्जा है। पंचायत की कुल 6 में से 3 वार्ड भी हमने ही जीते हैं. पंचायत की सभी प्रमुख सीटों पर माले की जीत भी सामंतों को हमेशा सालती रहती है.
का. सतीश यादव की हत्या के बाद पैदा तनाव के कारण सरपंच का. रामानन्द प्रसाद अपने ही गांव में विस्थापित हैं. वे फिलहाल पार्टी द्वारा पोखरा पर बसाए गए मुहल्ले में रह रहे हैं. इन तमाम वजहों से इस बार की सभा का खास महत्व था.
भाजपा की जीत से बौराई सामंती ताकतों के लिए यह सभा बर्दाश्त से बाहर थी. अगल-बगल के गांव सहित अगिआंव प्रखंड के अनेक गांवों का दौरा कर सामंती ताकतों को गोलबंद करने का प्रयास किया गया. इस तरह एक शांतिपूर्ण सभा को तनावपूर्ण बनाने का प्रयास जारी था.
हमने जिला प्रशासन को इसकी सूचना दी. लेकिन आश्वासन के बावजूद उसने हमारी शांतिपूर्ण सभा के आयोजन की गारंटी करने की बजाय पूरे इलाके में ही धारा 144 लगा दी और माइक से प्रचार कर पूरे क्षेत्र में आतंक का माहौल पैदा कर दिया. हमने प्रशासन से कहा कि चूंकि हमारी सभा पहले से घोषित है, इसलिए आप जेपी सिंह की सभा के लिए कोई दूसरी जगह आबंटित कर दीजिए. जेपी सिंह की सभा से हमें कोई मतलब नहीं है. लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. इसने माहौल को और बिगाड़ दिया.
भोजपुर में हमारी सभा पर 144 लगाने की 1990 के बाद की शायद यह पहली घटना है. भाजपा राज-2 में इसकी शुरुआत भोजपुर से की गई है. सहज ही समझा जा सकता है कि यह सब भाजपा नेताओं के दबाव व इशारे पर ही हो रहा था. कुनई में शहीद का. जीउत- सहतू के स्मारक निर्माण के समय पुलिस फायरिंग का मुकाबला करते हुए और शहादत देते हुए साथियों ने निर्माण कार्य पूरा किया था. का. जगदीश राम ने शहादत दी थी और फौजी राम पुलिस की गोली से घायल हुए थे. बड़गांव के घटनाक्रम से कुनई की याद ताजा हो आई और वह जज्बा भी!
जनता ने चुनौती स्वीकार की. पुलिस से लड़ते हुए और धारा 144 तोड़कर सभा की गई. महिला साथियों ने जमकर लोहा लिया. सभा में शामिल होने आ रहीं करबासिन की महिला साथियों ने रास्ता रोक रहे एसडीओ की एक न सुनी. वह उन्हें रोकने में नाकाम रहा. लोगों ने अपने प्रिय शहीद साथी को श्रद्धांजलि दी और भाजपा के फासीवादी राज के खिलाफ संघर्ष जारी रखने के संकल्प को दुहराया. जेपी सिंह की (श्रद्धांजलि) सभा नहीं हो सकी. लाख कोशिशों के बावजूद लोग उसकी सभा में नहीं आए. पता चला है कि रिंकू सिंह अब राजपूत जाति के किसानों को इसके लिए गाली देता चल रहा है.
बहरहाल, सफल सभा से बौखलाए प्रशासन ने भाजपा और सामंतों के इशारे पर 17 नामजद और 1000 अज्ञात लोगों पर मुकदमा ठोक दिया. मुकदमा की प्रकृति से साफ पता चलता है कि यह धारा 144 तोड़ने के खिलाफ की गई महज कोई कानूनी कार्रवाई भर नहीं है. यह माले की राजनीतिक गतिविधि में गंभीर व्यवधान डालने की एक सुचिंतित राजनीतिक कार्रवाई है. जरा तथ्यों को देखिए.
अगिआंव बीडीओ कलावती देवी, जो खुद महादलित समुदाय से आती हैं, ने एफआईआर दर्ज किया है और चुन-चुन कर अगिआंव प्रखंड के तमाम महत्वपूर्ण नेताओं का न सिर्फ नाम दिया है, बल्कि बेबुनियाद और संगीन आरोप भी लगाए हैं. का. मनोज मंजिल पर बीडीओ ने जान मारने की नीयत से गला दबाने का आरोप लगाया है – दफा 307 व आर्म्स ऐक्ट भी लगाया गया है. 17 आरोपितों पर एक नजर डालिए तो प्रशासन की मंशा साफ झलकने लगती है. सूची इस प्रकार है –
(1). का. मनोज मंजिल – इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भाकपा माले के केन्द्रीय कमेटी सदस्य, (2). का. रघुवर पासवान – पार्टी के अगिआंव प्रखंड सचिव और जिला कमिटी के सदस्य, (3). का. विमल सिंह – किसान महासभा के जिला सहसचिव व पार्टी की प्रखंड कमेटी के सदस्य (भूतपूर्व मुखिया), (4). का. विनोद चौधरी – बड़गांव पंचायत के मुखिया और पार्टी की प्रखंड कमेटी के सदस्य, (5). का. चंद्रधन राय – बड़गांव पंचायत समिति सदस्य, किसान नेता, पार्टी प्रखंड कमेटी सदस्य, (6). का. जय कुमार सिंह – पार्टी की प्रखंड कमेटी के सदस्य (इनकी पत्नी का. प्रमिला देवी पोसवां पंचायत की मुखिया हैं), (7). का. नंदू यादव – का. जय कुमार सिंह के भाई, (8). का. भूलेटन चौधरी – पार्टी की पंचायत कमेटी के सदस्य, (9). का. दसईं राम – पार्टी की प्रखंड कमेटी के सदस्य, खेग्रामस के राज्य पार्षद व भूतपूर्व मुखिया, (10). का. भूषण यादव – पार्टी की प्रखंड कमेटी के सदस्य, (11). का. चीना राम – खेग्रामस की प्रखंड कमेटी के सदस्य, (12). का. दिलीप पासवान – बड़गांव के सक्रिय कार्यकर्ता (इनके पिता का. मुकेश पासवान और उनकी मां का. सांचो देवी दोनों पूर्व जिला पार्षद हैं), (13). का. सोनू पासवान – वार्ड सदस्य, बड़गांव, (14). का. अंजय मेहता – पार्टी प्रखंड कमेटी के आमंत्रित सदस्य, (15). का. सुनील पासवान – ग्रामीण कार्यकर्ता, चिलहर, (16). का. धर्मेंद्र राम – ग्रामीण कार्यकर्ता, नारायणपुर, (17). का. रामकेवल पासवान – ग्रामीण कार्यकर्ता, वरुणा.
एक केंद्रीय कमेटी सदस्य और एक पार्टी जिला कमेटी सदस्य सह प्रखंड सचिव के अलावा 6 अन्य प्रखंड कमेटी सदस्य, दो वर्तमान और दो भूतपूर्व मुखिया, एक पंचायत समिति सदस्य और एक वार्ड सदस्य इस मामले में फंसाए गए हैं. दूर दराज के प्रमुख कार्यकर्ताओं को भी फंसाया गया है. उपरोक्त तथ्य बताते हैं कि पार्टी गतिविधि को ठप्प करने की नीयत से मुकदमा दर्ज किया गया है.
लोकसभा चुनाव में हमने अगिआंव विधान सभा में लीड किया था. यह भाजपा और सामंती ताकतों को नागवार गुजरा. अनेक जगहों पर चुनाव के दौरान झड़पें हुई थीं. चुनाव के बाद भी जिला में 19 जगहों पर तनाव व्याप्त था. सबसे ज्यादा तनाव अगिआंव विधान सभा क्षेत्र में मौजूद है. इसके तीनों प्रखंड – चरपोखरी, गड़हनी और अगिआंव तनावग्रस्त हैं. कनई (चरपोखरी) की सभा में आते-जाते 4 बार लोगों पर हमले हुए और फायरिंग भी हुई. गड़हनी में मुखिया का. अरुण सिंह की हत्या की जा चुकी है और बड़गांव का घटनाक्रम आपके सामने है. इसी 31 अगस्त को गड़हनी में शहीद का. अरुण सिंह की याद में संकल्प सभा रखी गई है जिसे पार्टी महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य संबोधित करेंगे.