वर्ष - 28
अंक - 43
05-10-2019

27 सितंबर को भगत सिंह के जन्म दिन के अवसर पर भाकपा(माले) ने ‘आज के भारत में भगत सिंह की प्रासंगिकता’ विषय पर झुंझुनू (राजस्थान) में एक जन सभा का आयोजन किया. इस सभा में भाकपा(माले) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने डा. घासी राम वर्मा – जो मूलतः झुंझुनू के रहने वाले गणितज्ञ और परोपकारी व्यक्ति हैं – को सम्मानित किया.

इस सभा में डा. घासीराम ने कहा कि अमेरिका में टंप की दक्षिणपंथी राजनीति और भारत में मोदी तथा आरएसएस के खिलाफ संघर्ष में साम्राज्यवाद-विरोधी स्वतंत्रता सेनानी और मार्क्सवादी भगत सिंह से प्रेरणा ग्रहण करें.

कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने भगत सिंह – जो साहसी थे, मार्क्सवादी थे, साम्राज्यवाद-विरोधी, जातिवाद-विरोधी और सांप्रदायिक सद्भाव के लिये प्रतिबद्ध योद्धा थे – की राजनीति और सावरकर तथा संघ – जो सांप्रदायिक, कायर, ब्रिटिश-परस्त और हिटलर भक्त थे – की राजनीति के बारे में अंतर बताया. उन्होंने आज की परिस्थिति में भगत सिंह के विचारों का समर्थन करने वाले लोगों से आह्वान किया कि सावरकर, गोडसे और संघ की नफरतभरी राजनीति का प्रचार करने वालों के खिलाफ एकताबद्ध हो जाएं.

jhunu rjstn

 

इस मौके पर अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष विद्यासागर सिंह, नगर काजी व सामाजिक कार्यकर्ता मो. सतीकुल्ला सिद्दीकी और माकपा के राज्य सचिवमंडल के सदस्य फूलचंद बरबर ने भी अपने विचार प्रकट किये. राजाराम सिंह, फूलचंद ढेबा, कविता कृष्णन और सलीम समेत भाकपा(माले) के कई अन्य नेताओं ने भी सभा को संबोधित किया. कामरेड शंकरलाल चौधरी ने सभा का संचालन किया.

लालकुआं (उत्तराखंड) में शहीदे-आजम भगत सिंह के जन्म दिन के मौके पर नौजवानों की सभा संगठित की गई. सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के जिला सचिव कैलाश पांडे ने कहा कि पहले के किसी भी समय की तुलना में आज भगत सिंह की विचारधारा कहीं ज्यादा प्रासंगिक हो गई है और नौजवानों को उनके विचार आत्मसात कर लेना चाहिये. आज, शासक वर्ग जाति, धर्म, लिंग और भाषा के आधार पर जहर उगलने वाले संगठनों के जरिये सांप्रदायिक व जातिवादी विचारधारा फैलाकर सत्ता पर काबिज रहना चाहते हैं. ऐसे समय में भगत सिंह के लेख ‘अछूत समस्या’ और ‘सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज’ समाज को सही दिशा दिखलाते है. तमाम शासक वर्ग और सत्ता-लोलुप संगठन भगत सिंह के जन्म दिन और बरसी के मौके पर उनको याद करने का दिखावा करते हैं, लेकिन उनकी विचारधारा व चिंतन को भुला देते हैं क्योंकि वे पूंजीवादी व सामंती उत्पीड़न को जिंदा रखना चाहते है, भगत सिंह ऐसी आजादी चाहते थे, जिसमें किसान और मजदूर देश पर राज करेंगे. गोपाल सिंह ने कहा कि भगत सिंह की विचारधारा देश की भविष्य की पढ़ियों का मार्गदर्शन करती रहेगी. भगत सिंह के लेख ‘विद्यार्थी और राजनीति’ का सामूहिक पाठ भी किया गया.

शहीद-ए-आजम भगत सिंह की स्मृति में तमाम राज्यों में इसी किस्म के कार्यक्रम आयोजित किये गये.