वर्ष - 28
अंक - 43
05-10-2019

गत 30 सितंबर 2019 को लातेहार जिले के बेतला टाइगर प्रोजेक्ट कार्यालय पर बकाया मजदूरी, मुआवजा एवं फसल की सुरक्षा की मांग को लेकर लगभग दर्जनों गांवों के किसान मजदूर खराब मौसम के वावजूद लाठी डंडा के साथ हाथों मे लाल झंडा लिये बड़ी संख्या में प्रतिरोध मार्च में शामिल हुए. प्रतिरोध मार्च अखरा स्कुल के पास से ‘किसान मजदूर एकता जिन्दाबाद’, ‘वन विभाग की मनमानी नहीं चलेगी’, ‘फसल की सुरक्षा की गारंटी करो, मुआवजा की गारंटी करो’, ‘बकाये मजदूरी व बकाया मुआवजे का तत्काल भुगतान करो’, आदि नारे लगाते हुए निकला. मार्च की अगुवाई भाकपा(माले) राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, जिला सचिव बिरजू राम, प्रखण्ड सचिव राजेंद्र सिंह, माले नेता कन्हाई सिंह, युवा नेता जीतेन्द्र सिंह और कमलेश सिंह कर रहे थे. प्रतिरोध मार्च बेतला गांव और पंजाब नेशनल बैंक और फारेस्ट कालोनी होते हुए बेतला रेंज कार्यालय पर पहुंचा. रेंज कार्यलय पर भारी संख्या में पुलिस बल उपस्थित था. वहां प्रतिरोध मार्च सभा में तब्दील हो गया. सभा की अध्यक्षता भाकपा माले बरवाडीह प्रखण्ड सचिव का. राजेंद्र सिंह ने की.

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प्रतिरोध मार्च में शामिल सैकड़ों ग्रामीणों को संबोधित करते हुए का. जनार्दन प्रसाद ने कहा कि कारपोरेटपरस्त रघुवर सरकार लैंड बैंक बनाकर रैयती, बंदोबस्ती, गैर-मजरुआ जमीन से लेकर कृषि जमीन तक कब्जा करके कारपोरेट कंपनियों को हस्तांतरित करने की साजिश कर रही है. साथ ही एकताबद्ध जनप्रतिरोध को तोड़ देने और आतंकित कर देने के लिये झारखंड को माॅब लिंचिंग का माडल राज्य बनाया जा रहा है. हाल में आदिवासियों के सबसे मजबूत जनप्रतिरोध के क्षेत्र पत्थलगढ़ी आंदोलन के इलाके खूंटी जिले में झारखंड में पहली बार माॅब लिंचिंग के द्वारा निर्दाेष दिव्यांग आदिवासी नौजवान की हत्या कर दी गई. पत्थलगढ़ी आंदोलन के बहाने इस क्षेत्र के हजारों निर्दाेष आदिवासियों पर झूठा देशद्रोह का केस लादा गया है. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा झारखंड के सुरक्षा कवच के बतौर अभी तक कायम वन अधिकार कानून सहित सभी संवैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए पहाड़- जंगल-जमीन को कारपोरेट कंपनियों को सौंपने की साजिश रची गई है. इसी कारण अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के साथ-साथ, ग्रामीण मजदूर किसान एकता कायम करना, व्यापक जनप्रतिरोध आंदोलन को मजबूत करना तथा फासिस्ट भाजपा-आरएसएस को शिकस्त देना निहायत जरूरी है.

जनाक्रोश को देखते हुए वन विभाग के रेंजर और फारेस्टर को प्रदर्शनकारी जनता के बीच आना पड़ा. इस संघर्ष से बड़ी जीत यह मिली कि पिछले छह माह का बकाया 20 लाख रुपये का तुरंत भुगतान किया गया. बाकी मुद्दों पर भी विचार करने का सकारात्मक आश्वासन मिला. टाइगर प्रोजेक्ट के डिप्टी डायरेक्टर के नाम 10 सूत्री मांगपत्र बेतला के वन क्षेत्र पदाधिकारी को दिया गया.

– बिरजू राम

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