उच्चतम स्तर के अधिकारियों और संगठित गिरोह द्वारा रीट भर्ती परीक्षा पेपर लीक प्रदेश के लाखों बेरोजगारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. इस रीट भर्ती परीक्षा को रद्द करके अभ्यर्थियों से बिना कोई शुल्क लिये पुनः विश्वसनीय तरीके से परीक्षा करवाई जाये.
इस प्रकरण में अब तक सामने आते तथ्यों से यह स्पष्ट हो गया है कि पेपर लीक व्यापक स्तर पर हुआ है और यह प्रदेश के लाखों बेरोजगार अभ्यर्थियों के साथ धोखा और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है. यह बात भी साफ हो गयी है कि भर्ती परीक्षाओं में घोटाला करने में अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार भी पूर्व की भाजपा सरकार की तरह ही आपराधिक लापरवाही की दोषी है. कांग्रेस की वर्तमान सरकार के लिए जो वसुंधरा राजे की पूर्व की भाजपा सरकार के रीट परीक्षा घोटाले पर आलोचना के बयान देती रहती है, तो यह बेहद शर्मनाक है.
द्रष्टव्य है कि 2019 में घोषित और संपन्न किए जाने हेतु निर्धारित यह परीक्षा पांच बार स्थगित होने के पश्चात 2021 में संपन्न हुई थी. अब इस पेपर लीक की घटना ने अभ्यर्थियों के जीवन के महत्वपूर्ण समय को बर्बाद किया है. लाखों की संख्या में बेरोजगार अभ्यर्थियों में से अधिकांश गांवों-कस्बों के किसान और मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं. जमीन व मां-बहनों के गहने तक गिरवी रखकर वे जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, कोटा जैसे बड़े शहरों में जैसे-तैसे रहकर और महंगी कोचिंग का खर्चा उठाकर रोजगार पाने की आशा में परीक्षा में बैठे थे. अब उनका यह सपना ही चकना चूर हो गया है तथा मेहनत के बल सफलता पाने का भरोसा ही टूट गया है.
जिस तरह की खबरें सामने आ रही हैं उससे लगता है कि इस घोटाले में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष जो परीक्षा आयोजन संगठन के शीर्षस्थ अधिकारी थे, सहित कही अन्य सरकारी और गैर सरकारी लोग लिप्त हैं और यह व्यापक और बड़े स्तर पर संगठित गिरोह द्वारा किया गया है.
हमारा छात्र संगठन आइसा ने राजस्थान सरकार से युवाओं के हित में भर्ती परीक्षा 2021/2019 को तुरंत रद्द करने, रद्द की गयी भर्ती परीक्षा की वेकेंसीज को रीट 2022 की वेकेंसीज में शामिल करते हुए लगभग 70 हजार पदों के लिए दुबारा परीक्षा आयोजित कर छह माह में परिणाम घोषित कर सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने समेत कई मांगें उठाई हैं.