उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्कीम वर्कर्स महिलाओं, खासतौर पर ‘आशा बहुओं’ व ‘रसोइया बहनों’ का आंदोलन तेज हो चला है. विगत 4 जनवरी 2022 को आशा वर्कर्स यूनियन ने पिछले कई महीनों से चलाये जा रहे धारावाहिक आंदोलन के क्रम में राज्यव्यापी धरना व प्रदर्शन आयोजित किया तो उसके दो दिनों बाद विगत 6 जनवरी 2022 को मिड डे मील वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर राज्य के विभिन्न जिला व तहसील मुख्यालयों धरना-प्रदर्शन कर अपनी मांगों के पक्ष में आवाज बुलंद की. ये दोनों ही संगठन ऑल इंडिया सेंट्रल यूनियंस (ऐक्टू) से सम्बद्ध हैं.
20-28 दिसंबर के बीच ‘योगी को भेजो मेल’ अभियान के चलाने के बाद जिसमें करीब 50 हजार से अधिक आशा कार्यकर्ताओं ने राज्य के विभिन्न सथानों से प्रदर्शन करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी मांगों विधानसभा चुनाव से पूर्व उत्तर प्रदेश में आशा वर्कर्स और रसोइया कर्मियों का आंदोलन के पोस्ट कार्ड भेजे, 4 जनवरी को आशा वर्कर्स यूनियन के बैनर तले जिला मुख्यालयों पर आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन हुए. देवरिया, सीतापुर, लखीमपुर, पीलिभीत, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, कानपुर, इलाहाबाद, बाराबंकी, कानपुर देहात, चन्दौली, लखनऊ, बरेली, शाहजहांपुर, राय बरेली, हरदोई आदि जनपदो में आशा कर्मियों ने भारी संख्या में हिस्सा लेकर योगी सरकार द्वारा घोषित मानदेय व एंड्रायड मोबाइल के सर्विलांस स्टेट बनाने की कोशिशो के विरुद्ध जबर्दस्त आक्रोश व्यक्त करते हुये अपना मांगपत्र दिया. इस मांग पत्रा में शाहजहांपुर में आशा कर्मियों पर हमले के दोषी पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने, आशा कर्मियो के ऊपर दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लेने, 45/46वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसार आशा कर्मियो को स्वास्थ्य कर्मी मानते हुये न्यूनतम 21000 रू. का वेतन दिये जाने, 10 लाख रू. का स्वास्थ्य बीमा, 50 लाख रू. का जीवन बीमा व मातृत्व अवकाश देने व कार्य के घंटे निर्धारित करने के साथ अब तक के किये गये काम के बकाया का तत्काल भुगतान किये जााने आदि मांगो को जोरदार ढंग से उठाया गया. आशा कर्मियो ने अपनी मांगो के लिए धारावाहिक आंदोलन चलाने के साथ ही विश्वासघात करने वाली सरकार को उखाड़ फेंकने का भी संकल्प लिया.
6 जनवरी को उत्तर प्रदेश मिड डे मील वर्कर्स यूनियन के राज्यव्यापी आहवान पर देवरिया, गोरखपुर, सीतापुर, राय बरेली, कानपुर, फिरोजाबाद, इलाहाबाद, लखनऊ व सोनभद्र मे बेहद खराब मौसम के बावजूद रसोईया कर्मियों ने एकत्र होकर अपनी मांगो के लिए धरना व प्रदर्शन कर मुख्य मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन दिये. रसोइया कर्मियों ने 7 माह के बकाया मानदेय का तत्काल भुगतान किये ज़ाने व उच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर न्यूनतम वेतन दिये जाने आदि मांगो को बुलंद किया व 500 रु. की कथित बढोत्तरी का पुरजोर विरोध करते हुये आगामी विधानसभा चुनाव में सरकार को बदल देने का संकल्प जताया.
उत्तर प्रदेश मिड डे मील वर्कर्स यूनियन सम्बद्ध ऐक्टू के राज्यव्यापी आह्वान पर प्रयागराज स्थित सिविल लाइंस में गुरुवार 6 जनवरी को रसोइयों ने कड़कड़ाती ठंड और बरसात में शांतिपूर्ण तरीके धरना प्रदर्शन किया.
यूनियन की जिला संयोजिका नीलम निषाद ने कहा कि सरकार द्वारा मिड डे मील रसोइया को कुछ भी नहीं दिया जाता है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 15 दिसम्बर 2020 को दिए निर्देश के अनुपालन करने के बजाय इनके वेतन में मात्र 500 रु. की बढ़ोत्तरी की घोषणा की गईं है. इस वेतन में किसी भी रसोइया को परिवार चलाने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. धरना दे रहे रसोइयों ने कहा कि, ‘हमारा 1500 रु. का मासिक भुगतान भी हमें समय से नहीं मिलता है. उन्होंने आरोप लगाया कि इनसे भोजन बनाने के साथ-साथ स्कूलो में झाड़ू-पोंछा लगाने और शौचालय तक साफ करने को कहा जाता है.
धरने में शामिल रसोइयों ने राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा. उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, सभी मिड डे मील रसोइयों को न्यूनतम वेतन देने, साल 2005 से अब तक के एरियर भुगतान की गारंटी करने, महिला रसोइयों को मातृत्व और वार्षिक अवकाश के साथ साथ 12 माह के वेतन देने और बिना पेंशन और समाजिक सुरक्षा की गारंटी के किसी भी रसोईया कर्मी को सेवा निवृत्त न करने तथा उत्तराख्ंड में दलित रसोइया सुनीता के साथ हुई घटना की पुनरावृत्ति को रोकने हेतृ उत्तर प्रदेश के शिक्षा संस्थानों में रसोइयों के साथ जातीय भेदभाव पर सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की.