देश की आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर भाकपा(माले) द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम शहीदों को याद करने और इतिहास लेखन की सच्ची धरा को स्थापित करने के आह्वान का पालन करते हुए झारखंड में शहीद जीतराम बेदिया, टिकैत उमराव सिंह, शेख भिखारी, घटवाल आंदोलन, बिरसा मुंडा की अगुआई में डोंबारी पहाड़ में हुए संघर्घ के शहीदों, सुभाषचन्द्र बोस, बुधू भगत, टाना भगत, तिलका मांझी, सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो व नीलांबर-पीतांबर को याद करते हुए उनकी शानदार विरासत को बुलंद करने का निर्णय लिया गया है.
इसी क्रम में भाकपा(माले) की रामगढ़ जिला कमेटी ने 30 दिसंबर 2021 को स्वतंत्रता सेनानी शहीद जीतराम बेदिया की 219वीं जयंती के मौके पर अरगड्डा चपरी मोड़ में एक समारोह आयोजित किया. इस समारोह में भाकपा(माले) और आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले बुमरी, कंजगी, चपरी, पड़रिया आदि गांवों के सैकड़ों लोगों ने शिरकत कीबड़ी तादाद में इकट्ठा हुए लोगों ने झंडा-बैनर के साथ दो किलोमीटर की दूरी तक मार्च किया और ‘स्वतंत्रता सेनानी शहीद जीतराम बेदिया अमर रहें’, ‘जल-जंगल-जमीन की लड़ाई जारी है, जारी रहेगी’, ‘अडानी-अंबानी का कंपनी राज नहीं चलेगा’ तथा भाकपा(माले) व आदिवासी संघर्ष मोर्चा जिंदाबाद का लगाते हुए अरगड्डा चपरी मोड़ पहुंचे.
चपरी मोड़ पर एकत्रित हुए 500 से भी अधिक महिला-पुरुषों के बीच भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता कादेवानंद गोप, भाकपा(माले) के जिला सचिव भुनेश्वर बेदिया, आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक देवकी नंदन बेदिया, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष-हीरा गोप सहित लक्ष्मण बेदिया, धनेलाल बेदिया, जयवीर हंसदा, रामसिंह मांझी, बिगेन्द्र ठाकुर, नरेश बडाईक आदि उपस्थित नेताओं द्वारा शहीद जीतराम बेदिया की तस्वीर पर पुष्पांजलि देने के बाद एक मिनट की सामूहिक मौन श्रद्धांजलि दी गई. सभा की अध्यक्षता कुलदीप बेदिया और संचालन जयनंदन गोप ने किया. अध्यक्षीय भाषण में कुलदीप बेदिया ने कहा कि भाकपा(माले) ने गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी शहीद जीतराम बेदिया को याद करते हुए उनके दिखाए संघर्ष के रास्ते पर चलने का आह्वान किया है. देश को आजादी भीख में नहीं मिली है, बल्कि दो सौ वर्षों से चले संघर्ष और हजारोंझार देशभक्तों के बलिदान से मिली है. का. जयनंदन गोप ने कहा कि शहीद जीतराम बेदिया ओरमांझी-छुट्टुपालु की घाटी में जल, जंगल, जमीन और देश की आजादी की लड़ाई लड़ते हुए शहीद हुए. आज भाजपा सरकार सामूहिक समुदायिक जमीनों को अडानी-अंबानी के हाथों सुपुर्द करते हुए निजीकरण कर रही है. आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक देवकीनंदन बेदिया ने देश के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के शहीद जीतराम बेदिया की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला.
ऐपवा की जिला सचिव नीता बेदिया ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी शहीद जीतराम बेदिया सहित देश के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम शहीदों की सूची व जीवनी को सामने लाने का आह्वान किया. भाकपा(माले) के जिला सचिव भुवनेश्वर बेदिया ने कहा कि केंद्र में बैठी फासीवादी भाजपा सरकार ने देश के लोगों पर चौतरफा हमला तेज कर दिया है. वह देश को फिर से कंपनियों के हाथों बेचने व गलामी की जंजीरों में जकड़ने का काम कर रही है. शहीद जीतराम बेदिया के रास्ते पर चलकर हमें भी देश की दूसरी आजादी की लड़ाई तेजी करनी होगी. अंत में सरकार से शहीद जीतराम बेदिया की जीवनी को स्कूल/कालेज के पाठ्यक्रम में शामिल करने, झारखंड की राजधानी रांची में शहीद जीतराम बेदिया स्मारक का निर्माण करने, सभी जिला मुख्यालयों में स्वतंत्रता सेनानी शहीद जीतराम बेदिया पार्क व पुस्तकालय बनाने और आदिवासी धर्म कोड को लागू करने की मांग की गई.
– नीता बेदिया