संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर विगत 5 अप्रैल 2021 को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) बचाओ कार्यक्रम के तहत किसानों ने देश के विभिन्न राज्यों में जिला मुख्यालयों व अन्य शहरों में स्थित एफसीआइ गोदामों के समक्ष धरना-प्रदर्शन व घेराव कार्यक्रम आयोजित किया. किसान आन्दोलन के प्रतिनिधियों ने एफसीआई के राज्य व जिला महाप्रबंधकों के जरिए खाद्य मंत्रालय, भारत सरकार को ज्ञापन सौंपा और केंद्र सरकार के समक्ष चार सूत्री मांग रखी -
1. एफसीआई के निजीकरण की साजिश को खत्म किया जाये और जन वितरण प्रणाली को मजबूत किया जाये.
2. तीनों किसान विरोधी कानून वापस लिये जायें.
3. एमएसपी को कानूनी दर्जा दिया जायें.
4. बिजली बिल 2020 को वापस लिया जाये.
उदयपुर के मादड़ी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एफसीआई गोदाम के मुख्य द्वार पर किसान संगठनों व आम नागरिकों द्वारा प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन में केंद्र सरकार व कृषि कानूनों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की गई. इस दौरान तीनों काले कृषि कानून रद्द करो, एमएसपी को कानूनी दर्जा दो, सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण बंद करो, सरकारी मंडियों का निजीकरण बंद करो, अडानी-अंबानी को देश के संसाधनों को सौंपना बंद करो, मोदी सरकार होश में आओ, सार्वजनिक वितरण प्रणाली से छेड़छाड़ करने वाले यह कानून नहीं चलेगें, आवश्यक वस्तु संशोधन कानून वापस लो, आदि नारे लगे. सभा की शुरू करने से पहले सभी किसान नेताओं ने किसान नेता राकेश टिकैत पर अलवर में भाजपा के इशारे पर हुए जानलेवा हमले की घोर निन्दा की.
सभा को संबोधित करते हुए किसान नेता काॅ. हिम्मत चांगवाल ने कहा कि यह सरकार 2014 में सत्ता में आने के बाद लगातार सार्वजनिक संस्थाओं को बेचने मे लगी है और इसी के तहत आज यह किसानों की जमीन व खेती को भी काॅरपोरेट को सौंपने जा रही है. किसान इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी बात सुनने के बजाय चुनाव में लगी हुई है. यह सरकार कारपोरेट के इशारों पर काम कर रही है और आम जनता के लिए नहीं बनी है.
सभा को संबोधित करते हुए भारतीय किसान सेना के जिला सचिव श्री रूपलाल डांगी ने कहा कि किसान का पूरा परिवार रात-दिन मजदूर बनकर अपने खेतों मे काम करता है, किसान का बीज, कीटनाशक महंगा हो गया है, किसान दिन-ब-दिन आर्थिक रूप से पिछड़ता जा रहा है, उसकी मेहनत के द्वारा पैदा की गई खाद्यान्न वस्तुओं का वह स्वयं मूल्य भी तय नहीं कर पाता है और सरकार समर्थन मूल्य के नाम पर भी किसानों को लूट रही है. किसानों के उत्पाद की समर्थन मूल्य पर ठीक से खरीद नहीं हो पाती है और मजबूरन उनको अपनी उपज ओने-पौने दामों में बाहर बेचनी पड़ती है. मोदी सरकार इन काले कानूनों के द्वारा किसानों को खत्म करना चाहती है. इन कानूनों के तहत भारतीय खाद्य निगम के भंडारों को खत्म करने की साजिश की जा रही है. ये भंडार आम जनता के लिए बने हैं और जनवितरण प्रणाली इन्हीं के दम पर काम करती है. केंद्र सरकार किसानों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात कर रही है. इसके खिलाफ हम लड़ रहे है और अंततः देश का अन्नदाता किसान जीतेगा.
अखिल भारतीय किसान महासभा प्रदेश उपाध्यक्ष डाॅ. चंद्रदेव ओला ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों व खेती को काॅरपोरेट के हाथों में सौंपना चाहती है. लेकिन वह अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाएगी. मोदी सरकार के तीनों काले कानून आज किसानों के संघर्ष से ‘कोमा’ में चले गए हैं और वह दिन दूर नहीं है जब मोदी सरकार को ये कानून वापस लेने होंगे. यह सरकार अडानी-अंबानी के इशारों पर चल रही है. सरकार हमें थकाना चाहती है लेकिन किसान लड़कर मर जाएगा, पीछे नहीं हटेगा.
आदिवासी नेता घनश्याम तावड़ ने कहा कि देशभर में आयोजित हो रहे किसान महापंचायतों में किसानों की भागीदारी बता रही है कि भाजपा का हिंदु-मुसलमान का सांप्रदायिक खेल खत्म हो गया है. सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद की कानूनी गारंटी देनी ही पड़ेगी.
पीयूसीएल के अश्विनी पालीवाल ने कहा कि यह सरकार घोर किसान विरोधी है. उसकी इन जनविरोधी नीतियों ने आज देश के किसानों व मजदूरों को एक मंच पर ला दिया है. यह सरकार बहुमत के घमंड में चूर है. किंतु सड़क पर तो किसान-मजदूर का बहुमत है. किसान आंदोलन ने जो चेतना पैदा की है वह सत्ता के दमन से नहीं दबेगी.
अखिल भारतीय किसान फडरेशन की प्रदेश उपाध्यक्ष लीला शर्मा ने कहा कि सरकार के तमाम हथकंडों व दमन का मुकाबला करते हुए किसान आंदोलन आज देशभर में फल रहा है. यह सरकार किसानों की फसलों को तिजोरी में बंद करना चाहती है लेकिन किसान ऐसा नहीं होने देगा. हम खेती-किसानी को दलाल काॅरपोरेट्स हाथों में नहीं जाने देंगे. हम आह्वान करते हैं कि एक बड़ा जन आंदोलन इस मेवाड़ क्षेत्र में खड़ा करेंगे और जल्दी ही एक किसान महापंचायत करेंगे.
नौजवान सभा के जिला सचिव ललित मीणा ने कहा कि यह फासीवादी सरकार आज हमारे किसान नेताओं पर हमले करवा रही है. इससे पता चलता है ये षड्यंत्रकारी लोग किस तरीके से इस आंदोलन को दबाना चाहते हैं. किसानों ने सरकार को बता दिया है कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं.
अखिल भारतीय किसान सभा के संगठन मंत्री राव गुमानसिंह ने कहा कि पांच राज्यों के चुनाव में जनता भाजपा को वोट की चोट देकर बता देगी कि बहुमत मिलने का मतलब जनता का दमन करने की छूट मिल जाना नहीं होता है. किसान आंदोलन ने पहली बार खेती-किसानी के मुद्दों को केन्द्र में ला दिया है.
किसान नेता विजेंद्र चौधरी ने कहा कि निजीकरण से सरकारों ने सब कुछ बाजार के हवाले कर दिया है जिसके चलते आज जरूरत की चीजें महंगी हो गई है. अब सरकार किसानों से जमीन छीनकर उसकी रोटी को भी पूंजीपतियों की तिजोरी में बंद करना चाहती हैं. सरकारों का काम लोककल्याण होता है, न कि पुंजीपतियों की सेवा करना.
प्रदर्शन के दौरान बजरंग सभा के जिला अध्यक्ष ख्याली लाल राजक फौजी ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के साथ घोर अन्याय कर रही है और इस संघर्ष में हम किसानों के साथ हैं.
प्रदर्शन में किसान सेना के धर्मदास वैष्णव, धर्मचंद डांगी, दीपक डांगी, नारायणलाल डांगी, पवन वैष्णव, हीरालाल डांगी, बंसीलाल, गोपाल, राजू विक्रम, किसान महासभा के रमेश मीणा गोपाल, किसान सभा के प्यारेलाल नारायण, किसान फडरेशन के रामचंद्र शर्मा, शिवराम मीणा, नारायण शर्मा, सिमरन, प्यारेलाल शर्मा, रामलाल मेनारिया, गौ रक्षक दल के चेतन वैष्णव, चेतन सिंह आदि उपस्थित थे.
संयुक्त किसान मोर्चा के ‘एफसीआइ (भारतीय खाद्य निगम) बचाओ’ के आह्वान पर भाकपा(माले) व किसान महासभा ने विगत 5 अप्रैल 2021 को राज्यव्यापी धरना-प्रदर्शन आयोजित किया.
इस मौके पर मऊ, गाजीपुर, चंदौली, जालौन आदि विभिन्न जिलों में धरना-प्रदर्शन हुए. इस दौरान नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार के तीन काले कानूनों में से एक में किसानों को खुले बाजार में अपनी उपज बेचने की ‘आजादी’ दी गयी है. यह आजादी भ्रामक है, क्योंकि इससे सरकारी खरीद करने वाली मंडी समितियों के बंद हो जाने और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के भी खत्म हो जाने का खतरा पैदा हो गया है. मंडी समितियों से ही खरीद के जरिये एफसीआई के गोदामों में अनाज पहुंचता है और फिर वहां से सरकारी राशन की दुकानों पर जाता है और रियायती दर पर गरीबों को राशन मिलता है. यदि मंडी समितियों से अनाजों की सरकारी खरीद बंद होगी तो एफसीआइ भी नहीं बचेगा और गरीबों को राशन भी नहीं मिलेगा. लिहाजा, एफसीआई को बचाना और नए कृषि कानूनों को समाप्त कराना ही किसानों, गरीबों और देश के हित में है.
एफसीआई तथा जन वितरण प्रणाली को समाप्त करने की भारत सरकार की साजिशों के विरोध में बिहार की राजधानी पटना समेत विभिन्न जगहों पर अखिल भारतीय किसान महासभा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले धरना व प्रदर्शन के कार्यक्रम आयोजित हुए और केन्द्र सरकार को ज्ञापन सौंपा गया.
हाजीपुर सदर प्रखंड के घोसवर स्थित एफसीआई गोदाम के समक्ष विगत 5 अप्रैल 2021 को अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला अध्यक्ष सुमन कुमार और किसान सभा के जिला अध्यक्ष संजीव कुमार की अध्यक्षता में आयोजित एक दिवसीय धरना को संबोधित करते हुए संबोधित करते हुए किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और भाकपा माले विधायक सुदामा प्रसाद ने सासाराम में छात्रों पर हुए लाठी गोली चार्ज की तीखे शब्दों में निंदा की और कहा कि सड़क पर रोटी-कपड़ा-मकान-रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे किसानों-मजदूरों-छात्र-नौजवानों पर यह सरकार लाठी-गोली चला रही है, तो सदन के अंदर इनकी आवाज उठाने पर विधायकों पर भी लाठियां बरसा रही है. जन आंदोलनों पर दमन के लिए इस सरकार ने विशेष बिहार पुलिस सशस्त्र बल अधिनियम 2021 को विधानसभा के अंदर लाठी के बल पर पास करवाया है. यह सरकार न केवल किसानों की दुश्मन है बल्कि इस सरकार ने 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर 4 श्रम कोड बनाकर मजदूरों को भी पूंजीपतियों का गुलाम बना दिया है. शिक्षा और रोजगार मांगने वाले छात्र-युवाओं पर लाठी-गोली चलाकर सरकार ने साबित कर दिया है कि उसे लोकतंत्र पसंद नहीं है. अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य अध्यक्ष विशेश्वर प्रसाद यादव ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों के लागू होने से देश में बेरोजगारों की और भी भारी फौज खड़ी हो जाएगी. कंपनियों का कर्ज नहीं चुकाने पर अनुबंध की जमीन कंपनियों की हो जाएगी. पूरे देश का खाद्य पदार्थ अडानी-अंबानी की तिजोरी में कैद हो जाएगा. ऐसी स्थिति में देश के 90 प्रतिशत लोगों को भोजन नसीब नहीं होगा. आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 1955 में संशोधन करते हुए इस सरकार ने लाखों-करोड़ों टन खाद्यान्न भंडारित करने की अनुमति कंपनियों को दे दिया है. सरकारी मंडिया समाप्त होने पर ओने-पौने दाम में कृषि उपज खरीदने और मनमाने दाम पर बेचने की इजाजत पूंजीपतियों को दे दी गई है. एमएसपी को कानूनी दर्जा देने से सरकार पीछे भाग रही है. तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ इनकी वापसी के लिए, बिजली संशोधन बिल 2020 को समाप्त करने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून बनाने के लिए किसानों का संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक ये कानून समाप्त नहीं होते. सभा को खेत मजदूरों के नेता दीनबंधु प्रसाद, रामबाबू भगत, किसान नेत्री डा. प्रेमा देवी यादव, राम जतन राय, सुरेश राय, संतोष कुशवाहा, ऐपवा नेत्री शीला देवी, सीपीआई के जिला सचिव अमृत गिरी, सीपीएम जिला सचिव राज नारायण सिंह, राजेंद्र पटेल, किसान नेता बिंदेश्वर राय आदि ने संबोधित किया. वामपंथी संस्कृतिकर्मी विजय महाराज ने तीनों कृषि कानूनों के दुष्परिणामों से संबंधित स्वरचित गाना गाकर धरनार्थियों का हौसला बढ़ाया.
इस मौके पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के द्वारा पटना जंकशन से एफसीआई कार्यालय, एक्जीविशन रोड चौराहा तक मार्च निकाला गया. इस मार्च में किसान महासभा के राजेन्द्र पटेल, जय किसान आन्दोलन के ऋषि आनंद और अनूप सिन्हा, एआइकेकेएम के सूर्यकर जितेंद्र, अनामिका कुमारी, साधना मिश्रा, पवन कुमार, लक्ष्मी कुमारी सहित अन्य लोग शामिल थे. किसान नेताओं ने कहा कि पिछले चार माह से चल रहा किसान आंदोलन आज देश भर में फैल चुका है और आने वाले दिनों में और व्यापक होगा. किसान नेताओं ने 14 अप्रैल को बाबा साहेब अंबेडकर जयंती पर ‘संविधान बचाओ दिवस’ के बतौर मनाने का ऐलान किया.
भोजपुर जिले में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राजू यादव के नेतृत्व में प्रबंधक, भारतीय खाद्य निगम, भोजपुर को ज्ञापन सौंपा गया. इस मौके पर किसान महासभा के राज्य परिषद सदस्य बिनोद कुशवाहा, भाकपा(माले) के नगर सचिव दिलराज प्रीतम, इनौस नेता शिवप्रकाश रंजन, सतेंद्र कुमार आदि मौजूद थे.
सीवान जिले के हुसैनगंज में अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता जयनाथ यादव की अगुआई में विरोध कार्यक्रम आयांजित हुआ.
नालंदा जिले के मुख्यालय बिहारशरीफ में भी अखिल भारतीय किसान महासभा की ओर से ‘एफसीआई बचाओ दिवस’ मनाया गया. इस मौके पर अखिल भारतीय किसान महासभा जिला कार्यालय कमरूद्दीनगंज से जुलूस निकाल कर हाॅस्पिटल मोड़ पर सभा की गई.
इस अवसर पर किसान महासभा के जिला सचिव पाल बिहारी लाल ने कहा कि केंद्र सरकार किसान विरोधी कानून लाकर खेत और खेती को देशी-विदेशी कारपोरेट कंपनियों के हवाले करने की कोशिश कर रही है. वह एफसीआइ को समाप्त करने की और उसके गोदामों को अंबानी-अडानी को सौंपने की तैयारी कर रही है. इसके खिलाफ आगे भी बड़ा प्रतिरोध किया जाएगा. तीनों काले कृषि कानूनों और बिजली बिल 2020 को वापस लेने और एमएसपी के लिए कानून बनाने की लड़ाई जारी रहेगी. खेत और खेती को बचाने की यह निर्णायक लड़ाई चल रही है जिसे हर हाल में कामयाब बनाना होगा.
कार्यक्रम में ऐक्टू के राज्य उपाध्यक्ष मकसूदन शर्मा, बिहारशरीफ ग्रामीण के प्रभारी सुनील कुमार, ठेला फुटपाथ वेंडर्स यूनियन के अध्यक्ष किशोर साव, सुनील पासवान, किसान नेता शिवशंकर प्रसाद व बच्चू प्रसाद, इंसाफ मंच के नेता नसीरुद्दीन व बाढ़न पासवान शामिल थे.