वर्ष - 30
अंक - 16
12-04-2021

 

झारखंड के रामगढ़ जिले में भाकपा(माले) का 11वां सम्मेलन विगत 4 अप्रैल 2021 को बड़काचुंबा स्थित अंबेडकर भवन के समक्ष (कामरेड मानकुंवर बेदिया नगर एवं कामरेड जयंत गांगुली सभागार में) संपन्न हुआ. सम्मेलन कक्ष का द्वारा कामरेड रामप्रसाद की स्मृति को समर्पित था.

सम्मेलन की शुरुआत कामरेड छोटेलाल दास के द्वारा झंडोत्तोलन से किया गया. शहीद वेदी पर भाकपा(माले) के केंद्रीय कमेटी सदस्य व चर्चित मजदूर नेता कामरेड शुभेंदु सेन एवं सम्मेलन के राज्य पर्यवेक्षक कामरेड बैजनाथ मिस्त्री व वहां उपस्थित सभी प्रतिनिधियों व पर्यवेक्षकों ने माल्यार्पण किया, पुष्पांजलि दी. इसके बाद दिवंगत एवं शहीद साथियों के प्रति 1 मिनट का सामूहिक मौन श्रद्धांजलि दी गई.

कामरेड हीरा गोप, देवकीनंदन बेदिया, कुलदीप बेदिया, महादेव मांझी, विगेंन्द्र ठाकुर, कांति देवी, विजेंद्र प्रसाद के सात-सदस्यीय अध्यक्ष मंडल और नरेश बडाईक, सरजू मुंडा व अमल कुमार की तीन-सदस्यीय संचालन समिति ने सम्मेलन की पूरी कार्यवाही को सफलतापूर्वक संपन्न करवाया.

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कामरेड शुभेंदु सेन ने कहा कि फासीवाद का प्रारुप क्या है? पहले इस बात को हमें समझना होगा. देश के अर्थतंत्र में बहुत बड़े परिवर्तन का मुहिम चलाया गया है. निजीकरण की प्रक्रिया में रेल, बैंक, सेल आदि सार्वजनिक संस्थानों का यह निजीकरण एक खास तरह का निजीकरण है. सार्वजनिक क्षेत्रों के संसाधन अडानी-अंबानी को दिये जा रहे हैं. यह निजीकरण से भी ज्यादा कुछ बात है. इससे देश में असमानता और विषमता तेजी से बढ़ रही है. रेल में पहले लिखा रहता था - भारतीय रेल. अब वह अडानी-अंबानी रेल होगी. रेल का भाड़ा बढ़ गया है. यह महज निजीकरण नहीं है बल्कि विशेष किस्म की मंहगाई वृद्धि व मजदूरों के अधिकारों में कटौती. होगी.

देश की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों में लगातार कटौती की जा रही है. मोदी सरकार संविधान के शपथ लेकर संविधान में निहित अधिकारों को खत्म कर रही है. इन सारी चीजों को सुगम तरीके से करने के लिए लोगों को सम्प्रदायों व धर्मों में बांट का आपस में लड़वाया जा रहा है. इन तीनों पहलुओं को मिलाकर देखने से एक राजनीतिक प्रणाली दिखाई पड़ती है जिसमें देश की आजादी भी खतरे में पड़ गई है और कंपनी राज की स्थापना की साजिश सामने आती है.

उन्होंने कहा कि देश का मध्यम वर्ग मोदी राज के झांसे में फंस चुका है. लोकतंत्र के सभी तथाकथित खंभे- न्यायपालिका, चुनाव आयोग, ईडी जांच आयोग, व्यापार व एकेडमिक संस्थान फासीवादी जकड़न में फंस गये हैं.

झारखंड के संदर्भ में उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलन का अब यह अंतिम दौर है. इस अंतिम दौर का अवधि चाहे जितना छोटी-बड़ी हो, लेकिन इनका समापन होना तय हो गया है. झारखंड आंदोलन के प्रथम चरण में 1927 ई. में तब शुरू हुआ जब ब्रिटिश हुकूमत ने भारत में अपनी राज व्यवस्था को स्थायित्व देने के लिए साइमन कमीशन की बहाली की थी. 1928 में कमीशन के अध्यक्ष सर जाॅन साइमन और उसके आम सदस्य इंग्लैंड से भारत आए थे, तो देश भर में नारा गूंजा ‘साइमन वापस जाओ’. ठीक उसी दौर में छोटा नागपुर उन्नति समाज बनाने का प्रयास सफल हुआ. 1929 में जब साइमन कमीशन का दौरा पटना में हो रहा था, तो आदिवासियों की समस्याओं से संबंधित आदिवासियों को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक चेतना से लैस करने के लक्ष्य को लेकर  छोटानागपुर उन्नति समाज के एक प्रतिनिधि मंडल ने कमीशन को एक ज्ञापन सौंपा था. साइमन कमीशन ने इसे खारिज कर दिया था.

सन् 1939 में छोटा नागपुर उन्नति समाज का नाम बदलकर आदिवासी महासभा कियाग गया. फिर 1950 में आदिवासी महासभा का नाम बदलकर झारखंड पार्टी कर दिया जिसका अंततः कांग्रेस में विलय हो गया. 1973 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन हुआ और झारखंड राज्य का गठन होते ही उसके उद्देश्यों की पूर्ति  हो गई. अब उसकी प्रासांगिकता भी खत्म हो चुकी है. आज फिर कोई स्वायतता, पहचान, राज्य अन्य की मांग को नहीं उठाया जा सकता है.

यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि झारखंड में स्वायत्तता, अस्मिता, क्षेत्रीय दावेदारी के लिए वर्षों से जारी झारखंड आंदोलन, जो कुल मिलाकर एक सकारात्मक राजनीतिक ध्रृवीकरण को अंजाम देने में काफी सफल रहा, अब अपना अंतिम अध्याय में प्रवेश कर चुका है. अब अगले दौर का नेतृत्व लाल झंडे को ही करना है और क्रांतिकारी वामपंथियों को अभी से इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. द्वितीय विश्व युद्ध के दौर में सोवियत यूनियन ने हिटलरशाही को परास्त करने का काम किया था. इस बात का भी इतिहास गवाह है कि फासीवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई व जीत सिर्फ और सिर्फ लाल झंडे के नेतृत्व में ही संभव है.

जिला सम्मेलन में कुल 880 पार्टी सदस्यों में से चुनकर आये 120 प्रतिनिधि व 21 पर्यवेक्षककुल यानी 141कुल प्रतिनिधि/पर्यवेक्षक शामिल हुए.

अंत मे हीरा गोप, देवकीनंदन बेदिया, नरेश बड़ाइक, नीता बेदिया, लाली बेदिया, जयवीर हंसदा, रामसिंह मांझी, महादेव मांझी, बिगेंन्द्र ठाकुर, देवानंद गोप, सरयू बेदिया, अमल कुमार, जयनंदन गोप, लक्ष्मण बेदिया, सरजू मुंडा, विजेंद्र प्रसाद, हीरालाल महतो, करमा मांझी आदि समेत 19 सदस्यीय जिला कमेटी का चुनाव हुआ. भुवनेश्वर बेदिया पुनः जिला सचिव निर्वाचित हुए.

सम्मेलन के प्रस्ताव
जिला सम्मेलन ने मधुपुर विधानसभा उपचुनाव के संदर्भ में भाजपा के बड़े नेताओं द्वारा जीतने पर 10 मई तक नई सरकार बनाने की घोषणा को भारतीय संघीय ढांचा पर हमला बताते हुए इसकी तीव्र भर्त्सना की और लोडिंग मशीन के बजाय आदमी के जरिए बाध्यकारी बनाने के जारी सर्कुलर को श्रमिक विरोधी, रोजगार विरोधी बताते हुए इसका प्रतिरोध करने की घोषणा की.

सम्मेलन ने रामगढ़ में एक व्यक्ति को आत्मदाह करने के लिए विवश करने के मामले में जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों और विगत दो महीने में रूारखंड में हुई चार माॅबलिंचिंग की चार घटनाओं (तीन रांची में, एक गिरीडीह में) के पीछे सक्रिय साम्प्रदायिक तत्त्वों व अपराधियों को दंडित करने तथा रामनवमी के मौके पर राज्य सरकार से शांति को सुनिश्चित करने की मांग की.

सम्मेलन ने किसान नेता राकेश टिकैत पर सरकार एवं भाजपा प्रायोजित हमले और अभी पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग की भाजपापरस्ती और इवीएम का व्यापक हेरा-फरी की पुरजोर निंदा की. सम्मेलन ने राज्य सरकार से चार श्रम कोडों के संदर्भ में ट्रेडयूनियनों के प्रतिनिधियों की राय को तरजीह देने, बिजली बिल के मामले में व्याप्त अनियमितता और मनमानी पर अविलंब रोक लगाने, रामगढ़ जिले को तर्कसंगत तरीके से पुनर्गठित करने और अगामी पंचायत चुनाव को दलीय आधार पर करा की मांग की है.

–  देवकीनंदन बेदिया