वर्ष - 30
अंक - 4
23-01-2021


काले कृषि कानूनों की वापसी, एमएसपी कानून की गारंटी तथा प्रदेश के गरीबों को दी गयी कुल वनभूमि को खतियानी बनाने इत्यादि मांगों को लेकर झारखंड के सभी वामपंथी दलों और किसान संगठनों द्वारा 21 से 30 जनवरी तक राजभवन के समक्ष धारावाहिक धरना कार्यक्रम शुरू किया गया. पहले दिन का मोर्चा भाकपा(माले) की झारखंड ईकाई ने संभाला .  

इसके पूर्व ज़िला स्कूल परिसर से ‘किसान एकता मार्च’ निकाला गया जो राजभवन पहुंचकर प्रतिवाद जन सभा और धरने में तब्दील हो गया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के राज्य सचिव का. जनार्दन प्रसाद ने कहा कि कृषि सुधार के नाम पर लाये गए ये कानून दरअसल देश के किसानों के लिए मौत के फरमान हैं जिसे हर हाल में रद्द करना जरूरी है.

भाकपा(माले) विधायक विनोद सिंह ने कहा कि किसानों के अब तक जारी आंदोलन में कई किसानों की जानें जा चुकी हैं लेकिन मोदी सरकार पूरी बेशर्मी के साथ अडानी-अंबानी और निजी काॅर्पाेरेट कंपनियों के पक्ष में ही अड़ी हुई है. तीनों काले कृषि कानूनों को लाने से पहले ही सारी तैयारियां पूरी की जा चुकी थीं. अदानी-अंबानी के बड़े-बड़े अनाज गोदाम और इनकी निजी कंपनियां बनाई जा चुकी थीं. इसलिए लोकडाउन की आड़ में आनन-फानन इन कानूनों को पारित कर दिया गया. मौजूदा किसान आंदोलन के समर्थन में आम लोगों के भी खड़े होने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि यह सिर्फ किसानों का मामला नहीं है. इन कानूनों के प्रभावी होते ही देश में नए सिरे से भुखमरी और अन्न संकट के हालात पैदा हो जाएंगे. धरना को किसान महासभा झारखंड प्रभारी पुरन महतो तथा राज्य कमेटी सदस्य गौतम मुंडा समेत कई अन्य साथियों ने भी संबोधित किया.

कार्यक्रम से 26 जनवरी को आंदोलनकारी किसानों के आह्वान पर देश के संविधान और लोकतंत्र बचाने के संकल्प के साथ आयोजित होनेवाले अभियान के समर्थन में प्रदेश के सभी जगहों पर आंदोलनात्मक कार्यक्रम लेने की अपील की गई. धरना में रांची जिला के विभिन्न प्रखंडों से आए सैकड़ों किसान-आदिवासी-महिलाओं के साथ ही इनौस तथा आइसा के सदस्यों ने सक्रिय भागीदारी निभाई.

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