बदायूं में हुए बर्बर सामूहिक बलात्कार की घटना के खिलाफ 9 जनवरी को यूपी की ऐपवा ईकाई ने भी जगह-जगह विरोध मार्च आयोजित किया. कार्यक्रम में शामिल महिलाएं बेहद रोष में थीं. उनका कहना था कि इससे पहले हाथरस की घटना हुई और पूरे सूबे में विरोध हुआ इसके बावजूद महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाएं नहीं रुक रही हैं.
उन्होंने कहा कि बदायूं की घटना ने निर्भया कांड को भी मात दे दिया है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि योगी प्रशासन द्वारा बलात्कार के आरोपियों को खुला संरक्षण दिया जा रहा है. बनात्कारियों व हत्यारों के मन में यह बात बैठ गयी है कि कांड करने के बाद भी उनका कोई बाल-बांका नहीं कर सकता है. शाहजहांपुर मामले में जिस तरह से नित्यानंद स्वामी को बचाया गया है उसका बहुत गलत संदेश गया है. खास कर भगवाधारियों में शामिल अपराधी मानसिकता के लोगों के हौसले बुलंद हो गए हैं. बदायूं में मंदिर के भीतर पुजारी के नेतृत्व में अंजाम दी गई घटना उसी का नतीजा है.
ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या की घटनाएं लगातार शर्मनाक ढंग से बढ़ती जा रही हैं. उन्नाव, लखनऊ, हाथरस और अब बंदायू मामलों से स्पष्ट है कि सत्ता संरक्षण में यूपी पुलिस अपराधियों को बचा रही है. बदायूं की आंगनबाड़ी कर्मी महिला का मंदिर के अंदर महंत और उसके दो सहयोगयों द्वारा सामूहिक बलात्कार किया गया. मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि उसके गुप्तांगों में लोहे की राॅड डाली गयी और रक्तस्राव से उसकी मौत हो गई. घटनास्थल पर पुलिस का देर से पहुंचना, एफआईआर में आत्महत्या की कोशिश दिखाना और मुख्य आरोपी महंत को गिरफ्तार करने के बजाय उसे फरार होने देना – यह सब उत्तर प्रदेश पुलिस का घिनौना चेहरे को जनता के सामने लाता है. प्रदेश की महिलाओं को सुरक्षा मुहैया करा पाने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी तरह से विफल हो चुके हैं. उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. हम महिलाएं उनके इस्तीफे की मांग करती हैं.
ऐपवा की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि बदायूं की मृत आगनबाड़ी महिला कर्मी के शोक संतप्त परिवार के साथ हम गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं. जनदबाव में आकर घटना के पांच दिन बाद फरार अपराधियों की गिरफ्तारी तो हुई है. हम मांग करते हैं अपराधियों पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चला कर कड़ी से कड़ी सजा की गारंटी की जाए. कुसुम वर्मा ने कहा कि बदायूं घटना को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी द्वारा बलात्कार की शिकार महिला (जिसकी मौत हो चुकी है) को ही बलात्कार के लिए जिम्मेदार ठहराने वाला महिला विरोधी बयान देना राष्ट्रीय महिला आयोग की गरिमा के खिलाफ है. हम मांग करते हैं कि चंद्रमुखी देवी की राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्यता खारिज की जाए.
सीतापुर जिले में एक दर्जन से अधिक गावों में बदायूं रेप कांड के विरोध में धरना प्रदर्शन किया गया. महोली की जमुनहा, ऐलिया के रामेसरपुर, हरगांव की रिक्खिपुरवा, व पर्सेहारा में धरना-प्रदर्शन कर योगी आदित्यनाथ के इस्तीफा की मांग की गई. मथुरा में बदायूं सामूहिक रेप कांड व हत्या के खिलाफ ऐपवा ने विरोध दिवस मनाया. ऐपवा राज्य कौंसिल सदस्य एवं जिला संयोजक श्रीमती ममता चौधरी ने संबोधित करते हुये कहा कि आज मानसिकता इतनी खराब हो गई है कि मंदिर जैसे पूजा स्थल पर भी महिलायें सुरक्षित नहीं हैं. बदायूं कांड ने दिल्ली के निर्भया कांड की पुनः याद दिला दी है. सरकार सड़ी-गली व्यवस्था को ठीक करने के वजाय राजनीतिक रोटियां सेंक रही है. उन्होंने कहा कि हमें एकजुट होकर पितृसत्तातमक सत्ता को उखाड़ कर, सामाजिक, आर्थिक एवं समानता वाली सत्ता कायम करने के लिये अनवरत संघर्ष करना पड़ेगा.
कार्यक्रम में बदायूं रेप कांड की जांच फास्ट ट्रैक कोर्ट में करते हुये दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने व लाचर कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेवार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से से इस्तीफा देने की मांग की गई. विरोध दिवस की अध्यक्षता श्रीमती शकुंतला व संचालन एडवोकेट अलविना शाह ने किया. विरोध दिवस कार्यक्रम में शेरुना शाह, मीरा देवी, संजू देवी, मीरा कुमारी, कुमारी ख़ुशी, शारदा देवी, गीता एवं रुखसार वेगम आदि शामिल थीं.
लखीमपुर खीरी के पलिया कलां में ऐपवा ने बदायूं घटना पर ज्ञापन सौंपा. जिले के निघासन में पुतला फूंक कर बदायूं कांड का विरोध किया. 9 जनवरी बलिया में भी बदायूं गैंगरेप के खिलाफ ऐपवा तथा भाकपा(माले) के साथियों ने प्रतिवाद किया.
लखनऊ में मिशन शक्ति का पाखंड नहीं, लव जिहाद के नाम पर उत्पीड़न नहीं, हत्यारों व बलात्कारियों को कठोर सजा दो, बदायूं पीड़िता को न्याय दो, वरना गद्दी छोड़ दो, महिला हिंसा व बलात्कार के लिए पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार बनाओ – आदि मांगो के साथ बदायूं सामूहिक बलात्कार-हत्या के खिलाफ प्रतिवाद मार्च किया गया.
मथुरा, लखीमपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, सीतापुर, देवरिया, गोरखपुर, वाराणसी, भदोही चन्दौली, मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया, सोनभद्र, आदि जिलों में भी विरोध कार्यक्रम हुआ.
किहार में राजधानी पटना सहित कई जगहों पर बदायूं बलात्कार व हत्याकांड के खिलाफ आज ऐपवा के बैनर से प्रतिवाद मार्च आयोजित हुआ. पटना में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने इस बर्बर घटना के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को जिम्मेवार बताते हुए उनके अविलंब इस्तीफे की मांग की. उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी के बयान को भी आपत्तिजनक बताया और उनके भी इस्तीफे की मांग की. उन्होंने कहा कि आज भाजपा के राज में यूपी को महिलाओं के बलात्कार व हत्याकांडों का प्रदेश बना दिया गया है. वहां महिलायें न घर में सुरक्षित हैं, न बाहर और न ही मंदिरों में.
उन्होंने महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि वे महिलाओं के पक्ष में बोलने के बदले भाजपा व सरकार की भाषा बोल रही हैं. आज बिहार में भी महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार की वारदातों में इजाफा हुआ है.
पटना के मार्च में शामिल ऐपवा नेत्री अफ्शां जबीं ने मौजूदा सरकार में महिलाओं पर लगातार बढ़ रहे अपराधों पर सवाल करते महिलाओं के बराबर अधिकारों की मांग की. ऐपवा नगर अध्यक्ष मधु ने लव जिहाद जैसे कानून को महिलाओं के अधिकार पर हनन बताते हुए महिलाओं पर अत्याचार से जोड़ते हुए अपनी बात रखी. आसमां खान ने कहा कि इस सरकार में धार्मिक जगहों पर भी महिलाएं असुरक्षित हैं. मार्च में आईसा की नेत्री प्रियंका, नीतू और आरफा, विभा गुप्ता, राखी मेहता, मीरा दत्त, अनुराधा देवी, इंशा आदि समेत बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं.