तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश के 500 से ज्यादा किसान संगठनों के ‘दिल्ली चलो’ आह्वान के तहत किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रुलदू सिंह मानसा और बीकेयू धकौदा के नेता जगमोहन सिंह के नेतृत्व में पुलिस बैरिकेड तोड़ दसियों हजार किसानों ने 26 नवम्बर को हरियाणा में प्रवेश किया. 400 ट्रैक्टर, दर्जनों ट्रक व सैकड़ों मोटरसाइकिलों पर सवार किसानों का यह बड़ा जत्था चार बैरिकेडों को तोड़ते हुए हरियाणा के हिसार के पास पहुंच गया. पीछे से आ रहा 250 ट्रैक्टर ट्रालियों का दूसरा काफिला भी उनसे रात्रि विश्राम स्थल पर जा मिला. शम्भुजी, रतिया, सरदूलगढ़ व खनौरी बैरीकेड के हर नाके से दसियों हजार किसान हरियाणा में दाखिल हुए और वे बहादुरगढ़ सांपला की तरफ गए.
किसानों के सभी जत्थों ने रात्रि विश्राम के बाद अगली सुबह फिर अपनी यात्रा शुरू की. नेशनल हाइवे नंबर 1 के जत्थों का नेतृत्व बीकेयू नेता बलबीर सिंह राजेवाल और डा. सतनाम सिंह अजनाला कर रहे थे. ये जत्थे भी अम्बाला का बैरीकेड तोड़ कर देर रात तक तमाम अन्य बैरिकेडों को तोड़ते हुए करनाल पहुंच गए. इसमें भी 20,000 के करीब किसान शामिल थे. इसके अलावा भी भारी संख्या में पंजाब व हरियाणा के किसानों के जत्थे विभिन्न मार्गों से दिल्ली की ओर कूच कर रहे थे. पुलिस द्वारा सड़कों पर खड़े किए गए अवरोधों को हटाने के लिए हरियाणा के किसानों ने भी सड़कों पर जगह-जगह खोदे गए गड्ढों को भर दिया. किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड प्रेम सिंह गहलावत भी हरियाणा में किसान संगठनों के साथ मिलकर किसानों के जत्थों को आगे बढ़ाने की योजना में शामिल रहे.
पंजाब से दिल्ली मार्च कर रहे किसान जत्थों में अखिल भारतीय किसान महासभा से सम्बद्ध पंजाब किसान यूनियन के नेताओं ने जिलेवार किसान जत्थों का नेतृत्व किया. मानसा से कामरेड रुलदू सिंह मानसा, गुरनाम सिंह भीक्खी, जसबीर कौर नत्त, जिला प्रधान रामफल सिंह चक्क, अली शेर, भोला सिंह समाओं और सुरजीत सिंह हैपी, बरनाला से जग्गा सिंह बदला व मोहन सिंह रूड़ेके, भटिंडा से गुरतेज सिंह महिराज, फरीदकोट से बलराज सिंह, संगरूर से सुखदेव सिंह, बलबीर सिंह जरूर, गुरदासपुर से बलबीर सिंह रंधावा, सुखदेव सिंह भागोकांवा, मोहाली से अमन रतिया और जगदीप सिंह तथा फतेहगड़ साहिब से गुरिंदर सिंह आदि ने मुख्य रूप से किसान जत्थों की अगुवाई की.
26 नवंबर को तमाम रुकावटों के बाद भी दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसानों और मजदूरों ने प्रदर्शन किया. उनके समर्थन में छात्र संगठन आइसा और एसएफआई के कार्यकर्ता भी जंतर-मंतर प्रदर्शन में शामिल हुए. जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करते किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा, अखिल भारतीय किसान सभा के नेता कृष्णा प्रसाद, जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आईसी घोष सहित सैकड़ों लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. गिरफ्तार होने वालों में कई ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता तथा आप पार्टी से बाहर निकले पंजाब के चार विधायक भी शामिल थे. कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा का इंटरव्यू कर रही जनचौक की संवाददाता बीना को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. 25 नवम्बर की रात को ही राजस्थान के रास्ते आगरा जिले में प्रवेश करते सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और प्रतिभा शिंदे सहित उनके साथ दिल्ली आ रहे महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक के 400 किसानों के जत्थे को यूपी पुलिस ने राज्य में प्रवेश करने से रोक दिया. वहीं गुरुग्राम से किसानों के जत्थे के साथ दिल्ली आ रहे स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया और शाम को रिहा किया गया.
26-27 नवम्बर को किसान संगठनों ने देश भर में सभी जिला, तहसील व ब्लाक कार्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया. इन कार्यक्रमों में भी लाखों किसान शामिल रहे. साथ ही, पंजाब और दिल्ली से सटे हरियाणा के सील की गई सीमाओं पर लाखों किसानों का जमावड़ा होता रहा. किसान जत्थे 3 दिसंबर 2020 को केंद्र सरकार से किसानों की वार्ता होने तक वहीं जमे रहे. उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर भी किसानों के जत्थों को रोक रखा गया.
पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, असम, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखण्ड, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक सहित कई राज्यों में बड़े पैमाने पर किसान सड़कों पर उतरे. इस आंदोलन में किसानों के साझे मोर्चे में शामिल 500 संगठनों के अलावा भी कई अन्य संगठनों की सक्रिय भागीदारी दिखी.भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने भी 27 नवम्बर 2020 को उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में सड़क जाम किया.
विधायको ने 26 नवम्बर को बिहार विधान सभा के समक्ष भाकपा;मालेद्ध के नव निर्वाचित विधायकों ने प्रदर्शन कर केंद्र के कृषि कानूनों को राज्य में अप्रभावी बनाने के लिये विधेयक लाने की मांग की. बिहार राज्य के कई जिलों में जिला, अनुमंडल तथा प्रखंड मुख्यालयों पर खेती-किसानी से संबंधित तीनों काले कानूनों तथा नए बिजली बिल 2020 के खिलाफ धरना, प्रदर्शन व विरोध मार्च आयोजित किए गए. साथ ही संबंधित पदाधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम मांग पत्र भेजा गया. वैशाली जिला के हाजीपुर मुख्यालय पर मार्च के बाद प्रदर्शन करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य अध्यक्ष विशेश्वर यादव के नेतृत्व में सभा कर राजधानी दिल्ली के लिए कूच कर रहे किसानों पर हरियाणा व पंजाब में चलाए गए दमन की कड़ी शब्दों में निंदा की गई. फतुहा प्रखंड में अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सह सचिव उमेश सिंह, दाउदनगर अनुमंडल में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह, नवादा जिला में किसान नेता किशोरी प्रसाद ने धरना कार्यक्रम का नेतृत्व किया. जहानाबाद के हुलासगंज, मोदनगंज, घोसी तथा काको प्रखंड पर धरना दिया गया जिसका नेतृत्व क्रमशः जगदीश पासवान, राजनंदन यादव तथा शौकीन यादव ने किया. इन धरनों को अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव रामाधार सिंह ने भी संबोधित किया. प्रखंड विकास पदाधिकारी के माध्यम से 9 सूत्रा मांग पत्रा प्रधानमंत्री को भेजा गया. 27 नवम्बर 2020 को राज्य के कई प्रखंड मुख्यालयों पर किसानों का धरना-प्रदर्शन हुआ.
उत्तर प्रदेश में 26-27 नवंबर को ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रीय हड़ताल व किसानों के दिल्ली मार्च के समर्थन में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्रर्दशन व प्रतिवाद कार्यक्रम किये गये. 26 नवंबर को गाजीपुर जिले में जखनियां, जमानिया, सैदपुर तहसील में तथा करन्डा ब्लाक पर प्रदर्शन करके किसान आन्दोलन और मजदूर हड़ताल का सक्रिय समर्थन किया गया. जमानिया में आन्दोलन के समर्थन में प्रदर्शन को संबोधित करते हुए किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि देश भर के किसान लाखों की तादाद में तीन काले कानूनों के खिलाफ, बिजली बिल 2020 माफ करने, 2021 तक वसूली पर रोक लगाने के लिए और कम्पनी राज के खिलाफ दिल्ली कूच कर रहे हैं. मोदी और खट्टर सरकार उनकी मांगों को सुनने व हल करने के बजाय दमन पर उतारू है. उन्होंने कहा कि योगी राज में सरकारी कागजों पर ही धान खरीद हो रही है. जिलों में कहीं भी क्रय केन्द्र नहीं खोले गये. किसान क्रय केंद्र न खुलने से एक हजार रूपया क्विंटल धान बेचने को मजबूर है, जबकि सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 प्रति क्विंटल है. उन्होंने एमएसपी से कम दाम पर खरीद करने वालों को दंडित करने की मांग उठाई. जखनियां में किसान महासभा के जिलाध्यक्ष गुलाब सिंह ने सभा को संबोधित किया.
रायबरेली जिले में मजदूर यूनियन के राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जिला ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन से एक जुलूस निकाला गया जो कलेक्ट्रेट पहुंचकर सभा में बदल गया. सभा को संबोधित करते हुए संघर्ष समिति के संयोजक व ऐक्टू के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड विजय विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार श्रम कानूनों का खात्मा करके मजदूरों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाने पर आमादा है. मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण कर अपने चहेते पूंजीपतियों को औने-पौने दाम पर सौंप रही है. इस दौर में मेहनतकश वर्ग सर्वाधिक दमन का शिकार है. हमें अपनी ताकत को संगठित कर संघर्ष को निरंतर आगे बढ़ाना होगा.
प्रर्दशन के बाद राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा गया. हड़ताल में नरेंद्र कुमार शर्मा, सावंत सोनकर, अजीम खान, शकील भाई, मो. जावेद सहित प्रमुख संगठनों के लोग शामिल रहे. 27 नवम्बर को रायबरेली में अखिल भारतीय किसान महासभा के आह्वान पर विकास भवन में वरिष्ठ किसान नेता बुद्धीलाल यादव की अध्यक्षता में किसान महापंचायत आयोजित की गई जिसे किसान महासभा के अध्यक्ष फूलचंद मौर्य, भाकपा(माले) नेता कामरेड विजय विद्रोही, किसान महासभा के सह सचिव का. अफरोज आलम, रविशंकर, सविता, संतोष कुमार, अंसार अहमद आदि लोगों ने संबोधित किया.
चंदौली जिले में 27 नवंबर को दिल्ली में किसानों पर हुए लाठीचार्ज व किसानों पर पानी की बौछारों के खिलाफ तथा कृषि कानून रद्द करने की मांग के साथ जूलूस निकाल कर जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया. प्रर्दशन को एआईकेएमएस के जिला अध्यक्ष श्रवण मौर्य, जिला सचिव किस्तम यादव, हरिनारायण मौर्य, हरिशंकर विश्वकर्मा आदि किसान नेताओं ने संबोधित किया. भदोही जिले में वामपंथी किसान संगठनों की तरफ से धरना व सभा की गयी. सभा को भदोही के पार्टी जिला सचिव बनारसी ने संबोधित किया. मिर्जापुर में 26 को जिला मुख्यालय और 27 को चुनार तहसील पर प्रदर्शन हुए.
लखनऊ में संयुक्त ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल करते हुए सभा की. 27 को भाकपा(माले) व किसान महासभा ने बक्शी का तालाब (बीकेटी) तहसील मुख्यालय पर विरोध सभा की जिसे भाकपा(माले) जिला प्रभारी रमेश सिंह सेंगर, ऐपवा नेता का. मीना, एडवोकेट कामिल, इंनौस के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव गुप्ता ने संबोधित किया. कानपुर में ऐक्टू समेत ट्रेड यूनियनों ने प्रदर्शन किया.
सीतापुर जिले में देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में ऐक्टू नेता गया प्रसाद के नेतृत्व में पार्टी जिला कार्यालय से मुख्य सड़क होते हुए जिला अधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकालकर प्रदर्शन करते हुए सिटी मजिस्ट्रेट को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन दिया.
लखीमपुर खीरी जिले में 26 नवंबर को निघासन व पलिया तहसील पर धरना दिया गया. 27 नवंबर को भाकपा-माले व किसान महासभा ने दिल्ली किसानों पर हुए दमन तथा कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया. प्रदर्शन व सभा को केंद्रीय कमेटी सदस्य कृष्णा अधिकारी, किसान महासभा के नेता रामदरश व कमलेश राय ने संबोधित किया.
मथुरा में अखिल भारतीय किसान महासभा तथा अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त नेतृत्व में गांधी चौराहे से जिला अधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकालकर कर सभा की गयी. उक्त सभा को किसान महासभा के राज्य उपाध्यक्ष नत्थी लाल पाठक, जिला मंत्री राकेश चौधरी, कोषाध्यक्ष मनोज वर्मा किसान सभा के जिले के साथी धर्मवीर सिंह व डाक्टर थान सिंह आदि लोगों ने संबोधित किया.
गोरखपुर में संयुक्त वामदलों की तरफ से टाउन हाल में धरना दिया गया. महराजगंज में जिला मुख्यालय पर खेग्रामस व माले ने प्रदर्शन किया.
देशव्यापी हड़ताल में इलाहाबाद के श्रमिक वर्ग ने बढ़-चढ़कर शिरकत की. यहां सभी क्षेत्रों में पूर्ण हड़ताल रही. सभी क्षेत्रों से मजदूर व कर्मचारी हजारों की संख्या में जुलूस निकालकर एजी आफिस पहुंचे. यहां पर हुई सभा को ऐक्टू के प्रदेश सचिव अनिल वर्मा, ऐक्टू नेता कमल उसरी ने संबोधित किया. 27 नवंबर को इलाहाबाद की फूलपुर तहसील में किसान महासभा, भाकपा-माले, भाकपा और माकपा की तरफ से संयुक्त धरना दिया गया.
बनारस में 26 नवंबर को ऐपवा, खेग्रामस, किसान महासभा, ऐक्टू के नेतृत्व में अपर श्रमायुक्त कार्यालय पर धरना दिया गया. धरने को पार्टी जिला सचिव अमरनाथ, ऐपवा राज्य सचिव कुसुम वर्मा, नरेंद्र पांडे आदि ने संबोधित किया. 27 नवंबर को पिंडरा तहसील पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसान महासभा व माले ने प्रर्दशन किया.
आजमगढ़ जिले में संयुक्त वामदलों व किसान संगठनों के नेतृत्व में जूलूस निकालकर प्रदर्शन किया गया. मऊ जिले में संयुक्त वामदलों के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया. बलिया जिले में भी संयुक्त वामदलों ने धरना दिया जिसे पार्टी केन्द्रीय कमेटी सदस्य व खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी ने संबोधित किया. देवरिया जिले के भाटपार रानी में पार्टी व किसान महासभा के नेतृत्व में धरना दिया गया. बस्ती जिले में संयुक्त वाम दलों की तरफ से धरना दिया गया. धरना व सभा को भाकपा-माले नेता का. रामलौट ने संबोधित किया.
फैजाबाद जिले में वामदलों की तरफ से प्रर्दशन कर ज्ञापन दिया गया. जालौन के उरई में मजदूर व किसान विरोधी कानून को वापस लेने की मांग करते हुए राष्ट्रीय आम हड़ताल के समर्थन में मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया गया.
झारखंड की राजधानी रांची में एक्टू से संबद्ध निर्माण मजदूर यूनियन से जुड़े निर्माण मजदूरों ने रैली निकाली. हाथों में काम के औजार और लाल झंडे लिए तथा ‘श्रम कोड वापस लो’, ‘मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश बंद करो’, ‘अडानी-अंबानी की जागीर नहीं, यह हिंदुस्तान हमारा है’ आदि नारे लगाते हुए वे रांची के महेंद्र सिंह भवन से निकले, मेन रोड, डेली मार्केट, शहीद चौक होते हुए अल्बर्ट एक्का चौक पहुंचे. वहां कई घंटों तक प्रदर्शन किया गया.
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए ऐक्टू के प्रदेश महासचिव कामरेड शुभेंदु सेन ने कहा कि केंद्र सरकार कंपनियों के इशारे पर श्रम कानूनों में बदलाव बंद करे और कंपनियों की नहीं, मजदूरों की चिंता करे. मजदूरों का गुस्सा सरकार के लिए महंगा पड़ेगा. निर्माण मजदूर यूनियन के प्रदेश महासचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि संविधान दिवस के अवसर पर मजदूरों का यह विरोध प्रदर्शन मोदी सरकार के लिए खतरे का संकेत है. श्रम कानून सरकार की नहीं, मजदूरों के संघर्ष की देन हैं. नए चार श्रम कोड गुलामी के दस्तावेज हैं और मजदूरों को स्वीकार नहीं है. देश की अर्थव्यवस्था कंपनियों से नहीं, मजदूरों से मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि आम हड़ताल का पूरे देश में व्यापक प्रभाव पड़ा है. यह हड़ताल मजदूर आंदोलन के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी. रैली में मजदूर नेता अजब लाल सिंह, रामचरित्र शर्मा, भीम साहू, सोहेल अंसारी, अनिल कुमार सिंह, महावीर मुंडा, सनम लोहरा, काली मिंज, राजू महतो, सरिता तिग्गा, ऐती तिर्की आदि शामिल थे.
झारखंड में कोयला, बैंकिग, इंश्योरेंस समेत निर्माण और असंगठित क्षेत्र के हजारों मजदूर व कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल रहे. रांची के अलावा रामगढ़, हजारीबाग, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, देवघर, जमशेदपुर, लोहरदगा, गुमला, पलामू आदि समेत सभी जिलों में लोग सड़कों पर उतरे.
किसानों के ‘दिल्ली मार्च’ पर केंद्र सरकार द्वारा पुलिस दमन के खिलाफ और किसान संगठनों की मांगों के समर्थन में राजस्थान के उदयपुर में 27 नवम्बर 2020 को जिला कलेक्टर, उदयपुर के माध्यम से वाम दलों के प्रतिनिधियों द्वारा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया. मौके पर बोलते हुए भाकपा(माले) के राज्य कमिटी सदस्य सौरभ नरुका ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों के ‘दिल्ली मार्च’ पर किए जा रहे पुलिस दमन का वाम दल मिलकर पुरजोर विरोध करते हैं. वाम दलों ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वे केंद्र सरकार से किसान संगठनों के साथ लोकतांत्रिक तरीके से बात करने और उनकी मांगों पर सुनवाई करने का दबाव डालें. उन्होंने कहा विरोध प्रदर्शन किसानों का लोकतांत्रिक अधिकार है.
माकपा के जिला सचिव कामरेड प्रताप सिंह ने कहा कि वाम दल किसान संगठनों की सभी मांगों के साथ हैं और वे हाल में लाए गए नए कृषि विधेयक वापस लेने, फसलों का दाम स्वामीनाथन कमिटी रिपोर्ट के हिसाब से तय करने, किसानों के तमाम तरह के कर्जों को माफ करने, फसलों की सरकारी खरीद की गारंटी करने की मांग करते हैं. भाकपा के सुरेशचन्द्र सेन ने उदयपुर के आसपास के इलाकों में वन अधिकार कानून के तहत वन भूमि पर आदिवासियों को कब्जे की जमीन के पट्टे जारी करने के नियम को लागू करने की गारंटी करने की मांग की.
इस मौके पर बोलते हुए जनतांत्रिक विचार मंच के प्रोफेसर आरएन व्यास ने कहा कि नए कृषि बिल खेती-किसानी को कारपोरेट के हवाले करने के मकसद से लाये गए हैं. ये आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव कर कालाबाजारी को कानूनी जामा पहनाने, निजी मंडियों को बढ़ावा दे कर न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को खत्म करने और कान्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए छूट का प्रावधान करके किसानों को गुलामी की तरफ धकेलने का काम कर रहे हैं.
अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रोफेसर एलआर पटेल ने किसानों को दिल्ली में प्रदर्शन की इजाजत मिलने को उनके आंदोलन की जीत की तरफ पहला कदम बताया और अपनी एकता के बल पर किसानों को केंद्र सरकार को झुकाने मे मिली सफलता पर बधाई दी.