17 सितंबर 2020, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन को देश के छात्र-नौजानों ने राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस के रूप में मनाया. छात्र संगठन आइसा और इंकलाबी नौजवान सभा के आह्वान पर देश के विभिन्न हिस्सों में छात्र-नौजवानों ने जत्था बंद होकर प्रदर्शन करते हुए प्रधानमंत्री का पुतला जलाया और सभायें आयोजित कर लोगों को देश की बदहाल होती अर्थव्यववस्था, आकाश छूती महंगाई और रिकार्डतोड़ बेरोजगारी से अवगत कराते हुए शिक्षा के निजीकरण, देश के सार्वजनिक संस्थानों व संपत्तियों को बेच डालने, खेती-किसानी को चैपट करने तथा लोकतंत्र संविधान का गला घोंट डालने पर अमादा मोदी सरकार के खिलाफ संघर्ष छेड़ने और एकजुट होने का संदेश दिया. बिहार, उत्तर प्रदेश, ओड़िसा, झारखंड, प. बंगाल, राजस्थान आदि राज्यों के कई शहरों कस्बों में राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस के आह्वान व कार्यक्रमों का पालन हुआ.
मुजफ्फरपुर में आइसा व सेकुलर इंडिया ने संयुक्त रूप से राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस मनाया. इस दौरान कहीं मशाल जुलूस तो कहीं धरना-प्रदर्शन का आयोजन हुआ. शहर के मिठनपुरा में छात्र-नौजवानों ने हाथों में मशाल और तख्तियां लिए ‘रोजी दो, रोजगार दो-नहीं तो गद्दी छोड़ दो’, ‘देश के छात्र-युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना बंद करो’, ‘रेल, बैंक व कल-कारखानों का निजीकरण बन्द करो’, ‘देश की संपदा को देशी-विदेशी पूंजीपतियों के हाथों बेचना बंद करो’ जैसे नारे लगाये. कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं से यह कह कर वोट लिया था कि प्रत्येक वर्ष 2 करोड़ युवाओं को रोजगार दिया जायेगा. लेकिन, रोजगार देना तो दूर, देश में बेरोजगारी का रिकार्ड बना दिया. रेलवे, विश्वविद्यालयों व काॅलेजों सहित सभी सरकारी संस्थाओं में लाखों पद खाली पड़े हुए हैं. उन्हें भरने के बजाय खत्म किया जा रहा है. सरकार देश की तमाम सरकारी संस्थाओं व उद्योगों को निजी हाथों में सौंप रही है. लाॅकडाउन के कारण और भयावह स्थिति बन गई है. ‘आत्मनिर्भर भारत’ का नारा भी नौजवानों के साथ धोखाधड़ी है. अब देश के छात्र-युवा जाग चुके हैं. वे मोदी सरकार की धोखे में नहीं आएंगे.
कार्यक्रम का नेतृत्व आइसा नेता दीपक कुमार, सेक्युलर इंडिया के शहनवाज व छात्र नेता हैदर निजामी ने किया. मशाल जुलूस व धरना-प्रदर्शन में वसीम रजा, मोजक्किर रहमान, गुलजार, अजय कुमार, मयंक मोहन, मो. साकिब, अभिषेक कुमार, आदर्श कुमार, अमन, मो. शाहिद, विवेक यादव, मो जैद सहित दर्जनों छात्र-युवाओं ने भी भाग लिया.
मोतिहारी में आइसा-इनौस के बैनर तले छात्र-युवाओं ने जान पुल से ज्ञान बाबू चौक तक विशाल मशाल जुलूस निकाला और प्रधानमंत्री मोदी को उनके जन्म दिवस पर बेरोजगरी बढ़ानेवाली सरकार का मुखिया बताया. छात्रों ने ‘रोजगार दो, नहीं तो इस्तीफा दो’, ‘रोजगार दो, नहीं तो 10,000 रु. मासिक भत्ता दो’, ‘सभी खाली पदों पर जल्द बहाली करो’, ‘रेलवे सहित तमाम सार्वजानिक संपतियों को बेचना बंद करो’ आदि नारों को बुलंद किया.
सहरसा में आइसा-इनौस कार्यकर्ताओं ने बेरोजगार दिवस के मौके पर मशाल जुलूस निकाल कर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ जोरदार नारे लगाए. इसका नेतृत्व आइसा जिला संयोजक कुंदन कुमार व इनौस जिलाध्यक्ष संतोष राम ने किया. मौके अरुण राम, मंटू यादव, दीपक सहित दर्जनों युवा मौजूद थे. मशाल जुलूस को भाकपा माले जिला सचिव ललन यादव ने भी संबोधित किया.
अरवल जिला के कुर्था में नौजवानों ने इनौस के राष्ट्रीय पार्षद अवधेश यादव के नेतृत्व में मानिकपुर बाजार तक लंबा मशाल जुलूस निकाला.
दरभंगा में भी आइसा व इनौस द्वारा वेरोजगार दिवस मनाया गया. ‘युवा मांगे रोजगार नहीं तो दो हर महीने 10 हजार’, ‘पीएम मोदी रोजगार दो या इस्तीफा दो’, ‘बिहार बेरोजगारी में नंबर वन क्यों, नीतीश-मोदी जवाब दो’, ‘रेलवे को बेचना बंद करो, सभी रिक्त पदों को अविलंब भरो’ आदि गगनभेदी नारे लगाते हुए मिर्जापुर चौक पर नीतीश और नरेंद्र मोदी का पुतला दहन कर प्रदर्शन किया गया. श्रवण पासवान की अध्यक्षता में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए इनौस जिला सचिव गजेंद्र नारायण शर्मा ने कहा कि अपने चुनावी जुमलों से छात्रा-नौजवानों को भरमाने वाले प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार छात्र-युवाओं के लिए आफत बन गई है. करोड़ों प्रतियोगी छात्रों का भविष्य मोदी सरकार ने बर्बाद कर दी है. माले नेता देवेंद्र कुमार ने कहा कि आज बिहार बरोजगारी में देश भर में नंबर वन है. बिहार में नियोजित शिक्षक, दरोगा, कार्यपालक सहायक, सांख्यकी स्वयंसेवक, पुस्तकालय अध्यक्ष आदि पदों पर अधर में लटकी बहाली की सूची अंतहीन है. कार्यक्रम में राधेश्याम पासवान, छोटू पासवान, राकेश पासवान, गुड्डू पासवान, अरुण पासवान, धनंजय कुमार राय समेत दर्जनों छात्र-युवा उपस्थित थे. बहादुरपुर प्रखंड के कौआही गांव (देकुली पंचायत) में छात्र-युवाओं ने इनौस नेता हरिश्चंद्र पासवान, बिनोद पासवान और अमर पासवान के संयुक्त नेतृत्व में विरोध मार्च निकाल कर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया.
समस्तीपुर में आइसा ने शहर के मवेशी अस्पताल से मशाल जुलूस निकाला. नारे लिखे कार्डबोर्ड, झंडों व मशाल को अपने हाथों में लिए छात्र निजीकरण के खिलाफ और रोजगार देने की मांग से संबंधित नारे लगा रहे थे. मशाल जुलूस बाजार क्षेत्र का भ्रमण करते हुए स्टेडियम गोलंबर पहुंचा जहां आइसा जिला अध्यक्ष लोकेश राज की अध्यक्षता में सभा हुई. सभा को सुनील कुमार, आशीष देव, मो. फरमान, गंगा प्रसाद पासवान, संजय कुमार, ब्रजेश कुमार, सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, मो. सगीर, मनोज शर्मा आदि ने संबोधित किया. मोहिउद्दीननगर के चकजोहरा में भी इनौस के बैनर तले नौजवानों का प्रदर्शन हुआ.
मधुबनी में इनौस के बैनर तले प्रधानमंत्री मोदी का पुतला दहन किया गया. कार्यक्रम में अनिल कुमार सिंह, श्याम पंडित, बेचन राम, मनीष मिश्र, शिवजी राम, कृपानंद झा, ललित राम, बटोही पासवान, लखन पासवान, अंशु झा, दानी ठाकुर, रामबाबु राम, अनिल पासबान सहित दर्जनों युवा शामिल हुए.
बेगूसराय शहर के जीडी काॅलेज में छात्र-युवाओं ने मोफहीम आलम के नेतृत्व में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया. काॅलेज के मुख्य द्वार पर आयोजित सभा को आइसा के राज्य उपाध्यक्ष वतन कुमार और इनौस के जिला संयोजक मोबस्सिर अहमद ने संबोधित किया. मौके पर अभिषेक आनंद, सोनू फर्नाज, दिवाकर कुमार, राजीव राय, अशफाक आलम, राजा पटेल, शुभम कुमार, गोविंद कुमार, मो. इरशाद सहित दर्जनों छात्र-युवा उपस्थित थे. ‘युवा मांगे रोजगार, नहीं तो हर महीने दस हजार’ के नारे के तहत जिले के डंडारी प्रखंड में भी आइसा ने मशाल जुलूस निकाला.
पूरे देश के साथ उत्तर प्रदेश में भी छात्रों-युवाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर को ‘राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस’ के रूप में मनाया, दो करोड़ रोजगार हर साल देने के उनके वादे की याद दिलायी और बेरोजगारी की विकराल होती समस्या की ओर देश का ध्यान आकृष्ट किया.
इलाहाबाद और बनारस में छात्र-युवाओं ने जुझारू प्रतिवाद किया. इलाहाबाद में बालसन चौराहे पर छात्रों की पुलिस से भिड़ंत हुई. इनौस के राज्य सचिव सुनील मौर्य तथा आइसा के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पासवान ने भाजपा सरकार द्वारा नौकरियों में पांच साल संविदा पर रखने के सरकारी प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार भी रोजगार देने से पीछे हट गई है. प्रदेश के सभी आयोगों, बोर्डों (उ. प्रलोकसेवा आयोग, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, उ. प्र. अधीनस्थ शिक्षा सेवा चयन आयोग, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, पुलिस भर्ती बोर्ड) में न सिर्फ नौकरियां कम हुई हैं, बल्कि परीक्षाओं में अनियमितता व भ्रष्टाचार आम बात होती जा रही है. सभी संस्थाएं समय से परीक्षा, परिणाम व नियुक्ति देने में अक्षम हो गई हैं. प्रधानमंत्री 6 माह में नियुक्ति देने की बात करते हैं, लेकिन 6 साल में भी नियुक्ति पूरी होती नहीं दिखाई देती. रोजगार देने की जिम्मेदारी सरकार की है लेकिन आज नौजवानों को आयोग के गठन, सदस्यों की नियुक्ति, पदों का विज्ञापन, परीक्षा, परिणाम और नियुक्ति के लिए आंदोलन व न्यायालय का रास्ता अपनाना पड़ता है. सरकार केंद्र में ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर लेटरल एंट्री के द्वारा नियुक्ति कर लोकसेवा आयोग की स्वायत्तता व आरक्षण की व्यवस्था खत्म कर रही है, जो संस्था के साथ ही संविधान पर भी चोट है.
बनारस में बीएचयू में आइसा के बैनर तले सैकड़ों छात्रों ने कैम्पस से मार्च निकाल कर लंका पर सभा की. बनारस के ग्रामीण इलाकों में भी प्रतिवाद हुआ.
रायबरेली में इनौस-आइसा के नेतृत्व में छात्र-नौजवानों ने डिग्री कालेज के पास शहीद चौक पर प्रतिवाद सभा करने के बाद जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च करके नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दिया. प्रर्दशन का नेतृत्व इनौस के जिला संयोजक उदयभान चौधरी, आइसा नेता अहमद सिद्दीकी, टीपू सुल्तान, हनुमान अंबेडकर, विश्रामा, श्वेता आदि ने किया.
गोरखपुर में इनौस के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, महराजगंज में महेश, गाजीपुर में इनौस जिलाध्यक्ष मनोज कुशवाहा, फैजाबाद में इनौस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अतीक के नेतृत्व में प्रतिवाद किया गया. इसके अलावा, चंदौली, बलिया, मथुरा, आजमगढ़, सीतापुर आदि जिलों में प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किये गए.
योगी सरकार के दमनकारी कानून ‘उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल अधिनियम 2020’, प्रदेश में व्याप्त जंगल राज व कोरोना महामारी में मजदूरों के जीवन की बढ़ती असुरक्षा के खिलाफ 17 सितंबर को राजधानी के परिवर्तन चौक से जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाल रहे भाकपा(माले) कार्यकर्ता गिरफ्तार कर लिये गए. पुलिस ने उनके बैनर-पोस्टर-झंडे छीन लिये.
भाकपा(माले) ने गिरफ्तारी को अलोकतांत्रिक बताते हुए कड़ी निंदा की. कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन की भी इजाजत न देना लोकतंत्र का गला दबाने जैसा है. योगी सरकार आंदोलनकारियों, राजनीतिक विरोधियों व असहमति रखनेवालों के दमन के लिए कुख्यात होती जा रही है. लेकिन हम जनता के संवैधानिक अधिकारों पर इन हमलों के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहेंगे. दमन का जवाब लोकतांत्रिक प्रतिरोध को तेज किया जाएगा.
विदित हो कि योगी सरकार द्वारा इस विशेष बल के गठन की अधिसूचना हाल में ही जारी की गई. इस बल को असीमित शक्तियां दी गई हैं. जैसे कि बिना वारंट के गिरफ्रतारी व घर की तलाशी का अधिकार, बल के सदस्यों द्वारा नियम विरुद्ध या ज्यादती करने पर भी सरकार की बिना इजाजत के न्यायालय को भी सुनवाई से वंचित करने का प्रावधान आदि.
आइसा की लखनऊ इकाई के कार्यकर्ता 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन को ‘देशव्यापी बेरोजगार दिवस’ के रूप में मनाते हुए मार्च में शामिल होने आए थे. प्रदर्शनकारी अभी इकट्ठा ही हो रहे थे कि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार लोगों में भाकपा(माले) के जिला प्रभारी रमेश सिंह सेंगर, इनौस के जिला संयोजक राजीव गुप्ता, ओम प्रकाश, आइसा के राज्य सचिव शिवा रजवार, आइसा से अतुल, शिवेंद्र, तुषार, एक्टू के कुमार मधुसूदन मगन, चन्द्रभान गुप्ता, रामसुंदर निषाद, रामजीवन राणा, बाबूराम कुशवाहा, विश्वकर्मा चौहान, मूलराज, रमेश प्रजापति आदि शामिल थे. सभी को शाम को छोड़ा गया.
उदयपुर में युवाओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन को ‘बेरोजगार दिवस’ के रूप में मनाया. युवा जिला कलेक्टर कार्यालय पर एकजुट हुए और रोजगार की मांग के साथ प्रदर्शन करने के बाद जिला कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया. मौके पर बोलते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता रिंकू परिहार ने कहा कि देश में कोविड लाॅकडाउन के चलते जीडीपी इस वित्तीय साल की पहली तिमाही में -23.9% नीचे आ गयी. पर सच तो यह है कोविड लाॅकडाउन से पहले भी देश मे बेरोजगारी 45 साल के रेकार्ड स्तर पर थी.
केंद्रीय श्रमिक संगठनो की संयुक्त कमिटी के संयोजक पीएस खिची ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें सार्वजनिक सेक्टरों, उपक्रमों और सेवाओं में सभी रिक्त पदों को भरकर देश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रधान करने के बजाय निजीकरण करने पर आमादा है जिससे उपलब्ध रोजगार के बचे-खुचे अवसर भी चले जाएंगे.
भाकपा(माले) के जिला सचिव चंद्रदेव ओला ने कहा कि बेरोजगारी की समस्या पर केंद्र सरकार को एक श्वेत पत्र लाना चाहिए. बीटीपी के वरिष्ठ नेता बीएल छानवाल ने मांग किया कि देश में सभी तरह के सार्वजनिक और सरकारी सेक्टर में रिक्त पदों को अगले एक साल में भरा जाए .
अधिवक्ता पीआर साल्वी ने कहा कि सार्वजनिक और सरकारी सेक्टर में रिक्त पदों को तुरंत भरना युवाओं के लिए तत्काल रोजगार के अवसर देने के साथ इन विभागों और उपक्रमों मे नयी ऊर्जा भरने का भी काम करेगा. आइसा की नीलू परिहार ने सभी तरह के सरकारी पदों और सार्वजनिक सेक्टर की परीक्षाओं को समयबद्ध तरीके से करवाने, निजीकरण, आउटसोर्सिंग, संविदा की नीतियों को वापस लेने तथा रोजगार की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा के महत्वपूर्ण अधिकारों की गारंटी करने तथा नयी शिक्षा नीति जो शिक्षा के व्यापारीकरण को बढ़ावा देती है, को वापस लेकर सार्वजनिक सेक्टर में शिक्षा का बड़े पैमाने पर फैलाव करने की मांग की.
अधिवक्ता हीरालाल पारगी ने बेरोजगारों का सर्वे कराकर सभी पंजीकृत बेरोजगारों को प्रतिमाह 10,000 रु. बेरोजगारी भत्ता देने और पूंजीपतियों के पक्ष मे श्रम कानूनों में हो रहे बदलावों को वापस लेने और श्रम कानूनों को मजबूत करने की मांग रखी. हिना कौसर ने कहा कि सार्वजनिक सेक्टर के विश्वविद्यालयों और स्कूलों में जान-बूझकर शिक्षा के स्तर को गिराने पर रोक लगे और जीडीपी का कम से कम 6% शिक्षा पर खर्च किया जाए. ऐक्टू के सौरभ नरुका ने कहा कि सरकार युवाओं को सम्मानजनक रोजगार देकर देश का भविष्य सुरक्षित करने के प्रयासों की जगह सांप्रदायिक नफरत फैलाने का काम कर रही है. बाबूलाल कलासुआ, सुरेश कटारा, पंकज, नासिर, राजू भाई, कल्याणजी खराड़ी, गुलाबचंद आदि भी मौजूद थे.