हजारों ढिबरा मजदूर अपने हाथों में टोकरी और ढिबरा चुनने-कोड़ने का औजार लेकर विगत 22 अगस्त को तिसरी प्रखंड के गांधी मैदान में उमड़ पड़े. उन्होंने कहा कि वन विभाग के नाक के नीचे तिसरी और गांवां के जंगलों की बेशकीमती लकड़ी और बैरल पत्थर निकाला जा रहा है. लेकिन, जो मजदूर अपनी जान जोखिम में डालकर माइका स्क्रैप चुनते हैं और दिनभर की मेहनत के बाद अपने दो जून की रोटी का जुगाड़ करते हैं, उन्हें परेशान किया जा रहा है. जो सरकार लोगों को रोजगार नहीं दे सकती है उसे रोजगार में लगे एक लाख लोगों को बेरोजगार करने का क्या हक है? हम इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे और ढिबरा चुनने और कोड़ने का अधिकार हर हाल में लेकर रहेंगे.
मजदूरों को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) नेता व राजधनवार के विधायक का. राजकुमार यादव ने कहा कि रघुवर दास सरकार कह रही है कि हम झारखंड के लोगों को भूख से मरने नहीं देंगे. लेकिन, इसी तिसरी प्रखंड के अंदर में बुधनी सोरेन की भूख से मौत हो गई. हजारों लोग भूखमरी के कगार पर खड़े हैं. यदि ढिबरा बंद किया गया तो इस क्षेत्र के लोग भारी तादाद में बेरोजगार होंगे. वे भूखों मरेंगे या या दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि यह सरकार और जिला प्रशासन आदिवासियों, दलितों और गरीबों के प्रति थोड़ा-सा भी सहानुभूति रखती है तो ढिबरा को अविलंब चालू करे, 1980 के पहले के कानून को पुनर्जीवित करे और पुराने खदानों को डंप कर वहां ढिबरा चुनने का अधिकार देकर स्थानीय लोगों को रोजगार दे. उन्होंने कहा कि ‘माइका स्क्रैप’ को खुद सरकार ‘गर्द’ और ‘मिनरल’ घोषित कर चुकी है तो किस आधार पर लोगों को इसे चुनने के अधिकार से वंचित कर रही है और वन विभाग ढिबरा लदी गाड़ियों की धर-पकड़ कर रहा है?
मजदूरों ने बताया कि पिछले छह महीनों से ढिबरा चुनने का काम बंद है. हजारों आदिवासी और गरीब परिवार भुखमरी के कगार पर हैं. उन्हें मजबूर होकर यह अनिश्चितकालीन धरना, प्रदर्शन और मार्च करना पड़ा है. जिला प्रशासन और स्थानीय वन विभाग ने इस आंदोलन को गंभीरता से नहीं लिया तो आर पार की लड़ाई होगी. उन्होंने 24 अगस्त को को गांवां और तिसरी बाजार बंद करने तथा भूख हड़ताल व आमरण अनशन आयोजित करने की घोषणा की.
सभा की अध्यक्षता प्रखंड सचिव जयनारायण यादव व संचालन कार्यकारी सचिव मुन्ना राणा ने किया. सभा को भाकपा(माले) के धनवार प्रखंड सचिव का. किशोरी अग्रवाल, राज्य कमिटी सदस्य का. कौशल्या दास, रेखा अग्रवाल, गांवां प्रखंड सचिव का. नागेश्वर यादव, इनौस के राष्ट्रीय परिषद सदस्य का. अशोक मिस्त्राी, इनौस के प्रखंड सचिव का. धर्मेन्द्र यादव, वरिष्ठ नेता का. मंटू शर्मा, लालू राय, इनौस के प्रकाश यादव, जागो मरांडी, ढिबरा संघ के मुरली बरनवाल आदि ने भी संबोधित किया.
23 अगस्त को डीएफओ, फारेस्टर और प्रखंड विकास पदाधिकारी के इस आश्वासन के बाद कि रविवार तक कोई सार्थक पहल की जायेगी, रविवार के 12 बजे तक के लिए धरना और 26 अगस्त के तिसरी बंद कार्यक्रम को वापस लिया गया था. लेकिन रविवार को डीएफओ के खुद नहीं पहुंचने और सिर्फ फारेस्टर को धरना स्थल पर भेजने से कार्यकर्ता व मजदूर आक्रोशित हो गये. 26 अगस्त को तीसरी और गांवां का बाजार पूरीतरह से बंद रहे. सैकड़ों माले कार्यकर्ता व ढिबरा मजदूर, आम नागरिक व छोटे व्यापारी दिन भर चौक पर जमे रहे और भाजपा सरकार व कोडरमा सांसद के खिलाफ नारेबाजी करते रहे. 27 अगस्त सेे भाकपा(माले) कार्यकर्ताओं और ढिबरा मजदूरों ने तिसरी में फारेस्ट आफिस के सामने फिर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है.
राजधनवार विधायक का. वहीं राजकुमार यादव ने ऐलान किया कि यदि आज शाम तक कोई सकारात्मक पहल नहीं हुआ तो 28 अगस्त से वे खुद अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे और जब तक ढिबरा चुनने और बेचने का अधिकार और ढिबरा मजदूरों को असंगठित मजदूर का दर्जा नहीं मिल जाता है तब तक आंदोलन जारी रहेगा.