सरकारी केंद्रीय उद्योग और सार्वजनिक उद्योगों का निगमीकरण व निजीकरण के लिए मोदी सरकार द्वारा घोषित 100-दिवसीय ऐक्शन प्रोग्राम के अंतर्गत कोयला उद्योग का सम्पूर्ण निजीकरण करने के उद्देश्य से 29 अगस्त 2019 को कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा कोयला उद्योग में 100 प्रतिशत एफडीआई यानी सम्पूर्ण निजीकरण करने की घोषणा की गई.
देश में मौजूदा चरम आर्थिक व औद्योगिक संकट व मंदी के दौर में, जहां मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, आॅटोमोबाइल उद्योग, कपड़ा उद्योग, रियल स्टेट आदि लगभग शत प्रतिशत निजी उद्योग मांग के अभाव में जबरदस्त घाटे के कारण बन्द हो रहे हैं. एक करोड़ से ज्यादा मजदूर कर्मचारियों की छंटनी कर दी गई है. और भी लाखों करोड़ों की स्थायी नौकरी जल्द ही खत्म कर दिया जाना निश्चित है. वहीं पर कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी का कहना कि कोयला उद्योग को शत प्रतिशत विदेशी पूंजी के हवाले कर देने के केंद्र सरकार के निर्णय से कोयला उद्योग में प्रयत्क्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नौकरियों में भारी वृद्धि होगी, और देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करेगी. बिल्कुल बकवास व झूठ बात है. यह कोयला मजदूरों में भ्रम पैदा कर मजदूर वर्ग को धोखा देने के लिए कहा जा रहा है.
कोयला उद्योग में 100% एफडीआई दरअसल बड़े कारपोरेट क्रोनी पूंजी के लिए एक बेलआउट पैकेज है, तथा मजदूरों का स्थायी रोजगार को खत्म करने का एक आकर्षक योजना है. इस घोषणा के प्रतिवाद में कोयला उद्योग के सभी वाम ट्रेड यूनियनों ने 30 अगस्त 2019 से ही व्यापक प्रतिवाद में सड़कों के आंदोलन में उतर पड़े हैं. उस दिन मुगमा एरिया के श्यामपुर-बी कोलियरी में कोयला उद्योग में 100% एफडीआई का केन्द्र सरकार के निर्णय के खिलाफ कोयला मजदूरों ने अपने अपने गुस्से का इजहार करते हुए प्रतिवाद सभा किया और प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया. 30 अगस्त को कथारा कोलियरी में कोयला उद्योग में 100 प्रतिशत एफडीआई के खिलाफ पिट मीटिंग व प्रतिवाद सभा की गई .
31 अगस्त 2019 सुबह 8 बजे दहीबाड़ी ओसीपी के हाजरी घर के समीप ट्रेड यूनियनों का संयुक्त कार्यवाही के बतौर केन्द्र सरकार द्वारा कोयला उद्योग में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विरुद्ध लक्ष्मी नारायण दास की अध्यक्षता में एक विरोध प्रदर्शन किया गया. का. मनोरंजन मल्लिक ने कहा कि मोदी सरकार पहले श्रम कानून को ध्वस्त किया, उसके बाद बारी-बारी से सभी सरकारी सार्वजनिक उद्योगों का निजीकरण करने का घोषणा कर दिया. इस दिशा में 100 दिन की कार्ययोजना को जारी करने के बाद कोयला उद्योग में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की घोषणा की गई. कोयला उद्योग में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश होने का मतलब कोल इण्डिया को भी सम्पूर्ण निजीकरण की ओर ले जाना है. आज बीमा कंपनी, हिन्डलको, टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी में काम कर रहे मजदूरों की नौकरी लाखों की संख्या में समाप्त हो रही है. कोल इंडिया को भी उसी दशा की ओर ढकेला जा रहा है.
मोर्चे में सीएमडब्ल्यूयू के अलावा इंटक, जनता मजदूर संघ, बीसीकेयू, झारखंड जनरल मजदूर यूनियन आदि ट्रेड यूनियनों के नेता भी उपस्थित थे.
– सुखदेव प्रसाद