दलित और लोकतांत्रिक आंदोलनों के चर्चित नेता और गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रा संघ के अध्यक्ष एन साई बालाजी ने विगत 1 अप्रैल को आरा में आरा संसदीय क्षेत्र से भाकपा(माले) और महागठबंधन समर्थित प्रत्याशी राजू यादव के समर्थन में चुनावी दौरा किया. इस दौरान जिग्नेश मेवाणी, एन साई बाला जी और राजू यादव ने आरा शहर के गोला मुहल्ला, मगहिया टोला, बहिरो, जवाहरटोला, श्रीटोला, धरहरा, अबरपुल, मौलाबाग, अंबेडकर छात्रावास, मौलाबाग और कतिरा में जनसभाओं को भी संबोधित किया और राजू यादव के पक्ष में मतदान करने की अपील की. इन जनसभाओं में भारी तादाद में छात्रा-नौजवान और आम नागरिक शामिल हुए.
जनसभाओं से पूर्व उन्होंने आरा संसदीय क्षेत्र से भाकपा(माले) प्रत्याशी का. राजू यादव के साथ मिलकर एक संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया. जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि भाकपा(माले) के पास संघर्ष और शहादत की एक लंबी विरासत है. बिहार और इस मुल्क की जनता ने इसे देखा है. इसने देश की जनता को ऐसे सांसद और विधायक दिए हैं जो अपने आप को केवल संसद और विधानसभा में कैद नहीं करते, बल्कि जो मुल्क की शोषित-पीड़ित, गरीब-वंचित जनता के आंदोलनों और लड़ाई के साथ रहते हैं. ये वे लोग हैं जिनका किसान, मजदूरों और गरीब-मजलूमों की पीड़ा के साथ गहरा रिश्ता है और जो जनता के संघर्षों और आंदोलनों से उभरकर आए हैं. आरा से भाकपा-माले के उम्मीदवार राजू यादव ऐसे ही साथी हैं, जो जनता के संघर्षों के साथ गहराई से जुड़े हैं, वे ईमानदार और साफ छवि के हैं.
उन्होंने कहा कि आरा में यह चुनाव झूठ बनाम सच की लड़ाई है. एक तरफ भाजपा है जो हिंदू-मुसलमान कर रही है, जबकि दूसरी ओर राजू यादव हैं जो किसान-मजदूर, नौजवान और गरीब के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जिग्नेश मेवाणी ने बताया कि भाकपा(माले) की जो समझ रही है उसी समझ के साथ उन्होंने भी चुनाव लड़ा था और चुनाव में विजय के दूसरे ही दिन जिला कलेक्टर को यह कह दिया था कि हम सड़क की लड़ाई को नहीं छोड़ेंगे.
जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि आज बिहार और हमारा मुल्क एक गंभीर संकट से गुजर रहा है. आज की परिस्थिति में जितनी भी जनपक्षधर ताकतें हैं, चाहे वो गांधीवादी हों, वामपंथी हों, अंबेदकरपंथी हों या किसी विचारधारा से न भी जुड़ी हुई हों, लेकिन जो संविधान को मानती हों, उनका इस वक्त एक लक्ष्य ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ होना चाहिए. उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी लोकतंत्र की कल्पना की गई है, पर पिछले पांच साल में उसके बजाय सांप्रदायिकता का माहौल और मनुवाद का राज कायम किये जाने के फासीवादी दृश्य हमने देखे हैं. चुनाव के वक्त ये मंदिर बनाम मस्जिद, श्मशान बनाम कब्रिस्तान, भारत बनाम पाकिस्तान पर कुछ ज्यादा ही उतर आते हैं, ऐसे वक्त में सारे प्रगतिशील लोगों की यह भूमिका होनी चाहिए कि जितना ही वे ऐसे मुद्दे छेड़ें उतना ही शिक्षा, चिकित्सा, महंगाई, भ्रष्टाचार, किसानों की आत्महत्या और खास तौर पर बेरोजगार युवा के असली सवाल की बात की जाए. मोदी जी ने प्रति वर्ष दो करोड़ रोजगार देने की मांग पूरा तो नहीं ही किया, पहले से तय 24 लाख नौकरियां भी नहीं दीं, उसमें क्या तकलीफ थी? मोदी ने इस देश के साठ-सत्तर करोड़ युवाओं के साथ छलावा किया है. जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि इसीलिए इस चुनाव में जो जनता के असली मुद्दे हैं, उसको केंद्रित करते हुए जो ताकतें हमारे लोकतंत्र और संविधान को बचाने की दिशा में चुनाव लड़ रही हैं, उनका वे समर्थन कर रहे हैं. वे गरीब-वंचित तबके की जितनी भी जनता से मिलेंगे, उन सबसे अपील करेंगे कि राजू यादव को आरा सीट से जीता कर पार्लियामेंट में भेजें, क्योंकि यही वो लोग हैं, जो किसान, मजदूर और गरीब की आवाज बनेंगे. जिग्नेश मेवाणी ने यह भी कहा कि वे किसी के ‘पोस्टर ब्वॉय’ नहीं, बल्कि किसान, मजदूर, गरीब-मजलूम जनता के लिए लड़ने वालों के साथ हैं, इंसानियत की लड़ाई लड़ने वाले ईमानदार और प्रतिबद्ध लोगों के साथ खड़े हैं.
जिग्नेश मेवाणी ने अपने खिलाफ भाजपा द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार का करारा जवाब देते हुए कहा कि जब गुजरात के अंदर बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के निहत्थे और बेगुनाह मजदूरों को मारा-पीटा-घसीटा जा रहा था, तो उन्होंने और हार्दिक पटेल ने शांति की अपील की थी. उन्होंने याद दिलाया कि निर्दलीय विधायक होने के बावजूद सीपीआई और भाकपा(माले) की रैली में उन्होंने खुद गुजरातियों की तरफ से माफी मांगी थी. यह सब कुछ उस समय मीडिया में भी आया था, लेकिन गिरिराज सिंह ने ट्विट किया है कि जिग्नेश यूपी-बिहार के मजदूरों के खिलाफ बोल रहे थे. हकीकत ठीक विपरीत है. उन्होंने कहा कि वे गिरिराज को कानूनी नोटिस भेजेंगे कि क्यों न उन पर मानहानि का केस दर्ज किया जाए? जिग्नेश ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, रामविलास पासवान, गिरिराज सिंह आदि ने गुजरात में शांति की अपील क्यों नहीं की? आखिर ये सब चुप्पी क्यों साधे रहे? गिरिराज सिंह ने तब मोदी को पत्र क्यों नहीं लिखा कि वे गुजरात में शांति कायम करें? तब क्या भाजपा के ये सारे चौकीदार सो रहे थे या मंजीरे बजा रहे थे?
जेएनयू छात्रा संघ के अध्यक्ष एन साई बाला जी ने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी पर न नीतीश बात कर रहे हैं, न मोदी, अमित शाह या गिरिराज सिंह. इनसे सवाल पूछना चाहिए कि इनके पास बेरोजगारों के लिए क्या नीति है? उन्होंने कहा कि भीषण बेरोजगारी की स्थिति नीतीश और मोदी के रहते ही पैदा हुई है. लेकिन ये रोजगार के बजाए जनता का धन फर्जी विज्ञापनबाजी पर खर्च कर रहे हैं. झूठ और नफरत की राजनीति कर रहे हैं. जेएनयू हो या गुजरात - हर जगह सवाल पूछने वालों को देशद्रोही बता रहे हैं. गरीब और आम लोगों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश की जा रही है.
भाकपा(माले) प्रत्याशी राजू यादव ने कहा कि उन्हें महागठबंधन का पूरा समर्थन मिल रहा है, उन्होंने भाकपा-माले के नेतृत्व में शिक्षा, सिंचाई, फसलों के वाजिब मूल्य, रोजगार और बढ़ते हुए अपराध आदि के सवालों पर जो संघर्ष चलाए हैं, उसकी वजह से हर तबके का उन्हें व्यापक समर्थन मिल रहा है.
भाकपा-माले के तरारी विधायक और अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता का. सुदामा प्रसाद और केंद्रीय कमिटी सदस्य मनोज मंजिल भी इस मौके पर मौजूद थे.
3 अप्रैल को आरा में का. कविता कृष्णन ने का. राजू यादव के समर्थन में आयोजित एक ‘बुद्धिजीवी सम्मेलन’ को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि यह लोकसभा चुनाव कोई साधारण चुनाव नहीं है. डॉ. अंबेडकर ने संविधान बनाने के बाद कहा था कि हमारे यहां लोकतंत्र की जड़ें थोड़ा कमजोर हैं, उनको मजबूत करने की जरूरत है. लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में इस लोकतंत्र को खतरनाक तरीके से कमजोर करने का काम किया है. देश की विविधता, जनता की एकता, साझी शहादत-साझी विरासत की संस्कृति और लोकतांत्रिक संस्थाओं को यह सरकार ध्वस्त करने में लगी है. पिछले कई दशकों में बेरोजगारी की सबसे खराब स्थिति इस देश में पैदा हुई है. नौजवानों, किसान-मजदूरों, दलित-आदिवासियों, महिलाओं के अधिकारों पर लगातार हमले जारी हैं. सरकार को जनता से भयभीत होना चाहिए, लेकिन मोदी और उनके गठबंधन ने जनता को भयभीत और असुरक्षित करने का काम किया है.
का. कविता कृष्णन ने कहा कि क्षेत्र के सांसद व केन्द्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह ने संसद में रोजगार तथा गरीबों, दलितों, उत्पीड़न, अन्याय को लेकर एक भी सवाल नहीं उठाया. वित्त और रक्षा को लेकर कुछ ऐसे सवाल किए, जिनमें बड़े पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने की मंशा शामिल थी. भाजपा किसके विकास के लिए काम कर रही है और किस आतंकवाद की रक्षा कर रही है, जनता को यह बताना चाहिए. हम हिंदू आतंक या मुस्लिम आतंक की बात नहीं करते. लेकिन भाजपा जाति और संप्रदाय के आधार पर नृशंस आतंक को संरक्षण देती रही है. भोजपुर भी इसका गवाह है. देश में खून-खराबा के लिए वह सीधे तौर पर जिम्मेवार है. आरके सिंह गृहसचिव रहते हुए खुद उनके आतंक के बारे में बता चुके हैं. लेकिन राजनीतिक स्वार्थ में वे उन्हीं की गोद में जाकर बैठ गए.
का. कविता कृष्णन ने कहा कि वामपंथी आंदोलन हो या दलित आंदोलन, महिला आंदोलन या सामाजिक न्याय का आंदोलन- ये सारे आंदोलन देशप्रेम यानी देश की जनता से प्रेरित रहे हैं. लेकिन भाजपा-संघ इन आंदोलनों को देश विरोधी बताते हैं. जबकि खुद ये देश के विरोधी हैं. इनके लिए देश का अर्थ भारत के संविधान से तय नहीं होता, बल्कि ये मनुस्मृति वाला देश बनाना चाहते हैं. ये हिटलर और मुसोलिनी की विचारधारा से प्रेरित हैं.
उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम एकता से ब्रिटिश हुकूमत को घबराहट होती थी. उससे घबराकर ही सौ साल पहले अंग्रेजों ने जालियांवाला बाग जनसंहार किया गया था. संघ और भाजपा जैसी ताकतें ही हिंदू-मुस्लिम एकता से घबराती हैं. उन्होंने बताया कि जालियांवाला बाग जनसंहार के 100 साल पूरे होने पर भाकपा(माले) पूरे देश में आयोजन करेगी और सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करेगी.
का. कविता कृष्णन ने कहा कि भाकपा(माले) ने नए भोजपुर और नए बिहार की लड़ाई लड़ी है. दलितों, शोषितों, वंचितों को सामाजिक न्याय दिलाया है. गरीबों ने यहां संघर्ष और कुर्बानी के बल पर वोट देने का अधिकार हासिल किया. राजू यादव के फौजी पिता आरटी सिंह भी उस लड़ाई के नेता थे. राजू यादव जनसंघर्षों की उसी विरासत को लेकर संसद में जाएंगे और कारपोरेट के हाथों देश की संपत्ति को बेचने वालों के खिलाफ वहां भी संघर्ष करेंगे. संसद में राजू यादव जैसे ईमानदार और समाज सेवा के प्रति समर्पित नौजवान को जाना चाहिए. उन्होंने निजी मुनाफे के लिए राजनीति नहीं की है, बल्कि गरीबों की शिक्षा, युवाओं के रोजगार, किसानों के लिए सिंचाई व फसल की वाजिब कीमत को लेकर संघर्ष करते रहे हैं. आशाकर्मियों, रसोइया बहनों के आंदोलनों के साथ खड़े रहे हैं. महंगाई, भ्रष्टाचार, कारपोरेट लूट के खिलाफ आंदोलनों का नेतृत्व किया है.
जलेस के राज्य अध्यक्ष कथाकार प्रो. नीरज सिंह ने कहा कि आज देश को बचाने की लड़ाई ही प्रमुख है. वर्तमान सांसद की कार्यशैली और विकास के दावों पर तो लगातार सवाल उठ रहे हैं, पर उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल यह है कि वे किस तरह की राजनीति के पक्ष में काम कर रहे हैं. यह एक राजनीतिक लड़ाई है. समाज में भाईचारा व गंगा-जमुनी तहजीब को बचाने की लड़ाई है. लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की साझी संस्कृति को बचाने के लिए राजू यादव को जिताना जरूरी है. जसम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कवि जितेंद्र कुमार ने कहा कि यह चुनाव सिर्फ स्थानीय मुद्दों का चुनाव नहीं है. संविधान और देश की रक्षा के लिए भाजपा को शिकस्त देना जरूरी है.
वरीय अधिवक्ता सुरेंद्र राय, जसम के राज्य अध्यक्ष कहानीकार सुरेश कांटक, राजद नेता शमीम अहमद, प्रो. दूधनाथ चौधरी, डॉ. सुनीति प्रसाद, ऑल बिहार प्रोग्रेसिव एडवोकेट एसोसिएशन के नेता अमित कुमार बंटी, युवा अध्येता आशुतोष कुमार पांडेय ने भी मौजूदा राजनैतिक-आर्थिक परिस्थिति में राजू यादव को योग्य उम्मीदवार बताते हुए उनके पक्ष में अभियान चलाने की बात कही. संचालन जसम के राज्य सचिव सुधीर सुमन और धन्यवाद ज्ञापन भाकपा(माले) के नगर सचिव का. दिलराज प्रीतम ने किया. इस मौके पर ऐपवा नेता सरोज चौबे, संगीता सिंह, रंगकर्मी अजय साह, शिक्षक हरिनाथ राम व अखिलेश कुमार आदि भी मौजूद थे.