वर्ष - 28
अंक - 34
10-08-2019

प्रतिरोध का सिनेमा, पटना द्वारा 4 अगस्त 2019 आयोजित साहित्य और सिनेमा के संयुक्त कार्यक्रम ‘साहित्यम’ में शिरकत करनेवाले दर्शकों से सभागार खचाखच भरा रहा. दो सत्रों में विभाजित यह कार्यक्रम लगभग 6 घंटे तक चला.

पहले सत्र में कविताएं पढ़ी गईं. बालमुकुंद, उत्कर्ष, रघुनाथ मुखिया (पटना), अनिला राखेचा, शैलेश गुप्ता, रौनक अफरोज, आशा पांडेय, यतीश कुमार (कोलकाता) ने अपनी कविताएं सुनाईं. कोलकाता से आमंत्रित टीम ‘नीलांबर’ ने मुक्तिबोध की कविता ‘भूल ग़लती’ और नरेश सक्सेना की कविता ‘गिरना’ पर वीडियो मोंताज प्रस्तुत किया, जिसकी आवृत्ति क्रमशः ममता पांडेय एवं स्मिता गोयल ने की थी.

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ‘नीलांबर’ के द्वारा निर्मित तीन साहित्यिक फिल्मों – गोष्ठी (विनोद कुमार शुक्ल), अनथाही गहराइयाँ (मन्नू भंडारी) और ज़मीन अपनी तो थी (चंदन पांडेय) का प्रदर्शन किया गया. इन फिल्मों का निर्देशन ऋतेश पांडेय ने किया है. फिल्मों की प्रस्तुति के बाद निर्देशक के साथ दर्शकों की बातचीत भी हुई. ‘अनारकली आॅफ आरा’ के निर्देशक अविनाश दास ने दिखाई गई फिल्मों पर महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं. चंदन पांडेय की कहानी पर बनी फिल्म के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह फिल्म हमारे समय के अंधेरे पक्ष को बहुत प्रभावशाली  ढंग से प्रस्तुत करती है. उन्होंने यह भी कहा कि ये फिल्में पूंजीवादी दबाव को आईना दिखाती हैं.

दर्जनों की संख्या में विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ-साथ, दर्शकों में पटना और आरा के साहित्यकार, बुद्धिजीवी, पत्रकार आदि मौजूद थे, जिनमें साहित्यकार संतोष दीक्षित, प्रभात सरसिज, संजय कुमार कुंदन, मशहूर कार्टूनिस्ट पवन के अलावा मोहम्मद ग़ालिब, अंचित, प्रत्यूष चंद्र मिश्र, नरेंद्र कुमार, सदफ इक़बाल, रत्नेश्वर आदि प्रमुख हैं. ‘नीलांबर’ कोलकाता के अध्यक्ष यतीश कुमार ने नीलांबर के बारे में एवं कुमुद कुंदन (प्रतिरोध का सिनेमा) ने अपनी संस्था और इस कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया. कार्यक्रम का संचालन क्रमशः राजेश कमल और ममता पांडेय ने किया. धन्यवाद ज्ञापन संतोष झा ने किया.