विगत 4 जुलाई को पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर सभागार में भाकपा(माले) का राज्य स्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन संपन्न हुआ. महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कन्वेंशन को मुख्य वक्ता के बतौर संबोधित किया. कन्वेशन में राज्य के सभी हिस्सों, जिलों व प्रखंडों से आए 6 सौ से भी अधिक चुनिंदा पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित थे.
यह कन्वेंशन लोकसभा चुनावों में भाजपा की अप्रत्याशित जीत और मोदी सरकार की पहले से भी मजबूत वापसी की पृष्ठभूमि में तथा भाजपा-संघ की उन्मादी राजनीति और कारपोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज करते हुए बिहार में भाकपा(माले) को विपक्ष की सबसे बड़ी ताकत के बतौर मजबूती से खड़ा करने के एजेंडे के साथ आयोजित हुआ.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी-2 शासन में सबकुछ निजी कंपनियों के हाथों सौंपने की तैयारी चल रही है. मुनाफे में चलने वाली कंपनियों को भी बेचा जा रहा है. उन्होंने रेलवे, बीएसएनएल आदि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निगमीकरण/निजीकरण के खिलाफ इन संस्थानों के कर्मचारियों के आंदोलन का स्वागत व समर्थन करते हुए कहा कि भाजपा-आरएसएस लोकतंत्र का संपूर्ण निषेध कर देना चाहते हैं. हमने चुनाव के दौरान भी देखा और चुनाव बाद भी देख रहे हैं कि कैसे लोकतांत्रिक संस्थाओं का गला घोटा जा रहा है. लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने झूठे प्रचार के जरिए जनता को गुमराह करके चुनाव जीता और जनता के असली सवालों पर पर्दा डालने के लिए सांप्रदायिक नफरत व अंघराष्ट्रवाद का जहर फैलाया. इतना ही नहीं, कठोर कानूनों के जरिए नागरिकों अधिकारों को खत्म करने की साजिश चल रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में जब भाजपा-आरएसएस का हमला बहुत ही तीखा है, कम्युनिस्ट होने के कारण भाजपा के खिलाफ सशक्त आंदोलन खड़ा करना हमारा दायित्व बनता है. हमने नारा दिया है – एकजुट रहो-मुकाबला करो.
महासचिव ने कहा कि देश भर में भाजपाई उन्मादी ताकतों द्वारा सुनियोजित तरीके से माॅब लिंचिंग की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. अल्पसंख्यक समुदाय पर एक बार फिर से हमला बोल दिया गया है. चुनाव जीतने के बाद बिहार में भी सामंती-सांप्रदायिक-मनुवादी ताकतों का मनोबल बहुत बढ़ गया है. भोजपुर-बेग सूराय आदि इलाकों में दलितों, गरीबों और कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं व समर्थकों पर हमले व उनकी हत्या तक कर देने की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. नीतीश शासन में महिलाओं के सशक्तीकरण की बात तो खूब की गई लेकिन पुलिस विभाग में भी महिलायें सुरक्षित नहीं है. वहां उनका जबरदस्त शोषण हो रहा है. आशा, आंगनबाड़ी, रसोइया के साथ-साथ आज हमें पुलिस को भी संगठित करने की जरूरत है. स्नेहा कांड इसका ज्वलंत उदाहरण है.
उन्होंने कहा कि आज बिहार व देश में पेयजल का घोर संकट है लेकिन यह संकट देश के बड़े नेताओं, काॅरपोरेट घरानों के लिए नहीं बल्कि आम लोगों के लिए है. भोजन, राशन, शिक्षा की तरह मोदी सरकार पानी का भी निजीकरण कर देना चाहती है. हमें यह सवाल पूछना चाहिए कि यदि आयुष्मान भारत जैसी योजनायें हैं तो फिर बिहार में चमकी बुखार से बच्चे क्यों मर रहे हैं? लोग बीमार पड़े तो उसी समय उसका इलाज क्यों नहीं हो जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि लोगों के पास गलत प्रचार तेजी से पहुचंता है इसलिए हमें जनता के साथ और भी मजबूत व गहरा रिश्ता बनाने की आवश्यकता है. हमें जनता की वैचारिक-राजनीतिक चेतना को उन्नत करने और भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ आक्रामक रूप से खड़ा करने की चुनौती स्वीकार करनी ही होगी.
कन्वेंशन की शुरूआत दिन के 12 बजे आरंभ र्हुइ . सबसे पहले भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कन्वेंशन का विषय प्रवेश रखा. अपने संबोधन में उन्होंन कहा कि लोकसभा चुनाव के एक महीने के भीतर जो परिस्थितियां उभर कर सामने आई हैं, वे बेहद गंभीर है. कन्वेंशन को अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, विधायक महबूब आलम, भोजपुर जिला सचिव जवाहर लाल, अरवल जिला सचिव महानंद, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, सिवान से महिला नेता सोहिला गुप्ता आदि नेताओं ने संबोधित किया.
कन्वेंशन ने सात-सूत्री प्रस्ताव पारित किए. भाजपा द्वारा सुनियाजित हिंसा व माॅब लिंचिंग का प्रतिवाद करने का संकल्प लेते हुए जहां कहीं ऐसी घटनाएं होती हैं वहां के पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को दंडित करने की मांग की गई. रेलवे, बीएसएएनएल व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निगमीकरण/निजीकरण का पुरजोर विरोध करने, मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार से हुई दौ से भी अधिक बच्चों की मौत के लिए जिम्मेवार स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की बर्खास्तगी, बिहार को सूखाग्रस्त घोषित कर राहत कार्य चलाने, सामंती-सांपद्रायिक ताकतों के हमलों व महिलाओं पर यौन उत्पीड़न व सामूहिक बलात्कार पर रोक लगाने की मांग की गई. एक प्रस्ताव में अरवल के माले नेता गणेश यादव व अन्य नेताओं को झूठे मुकदमे में फंसाकर आजीवन कारावास की सजा देने की कठोर निंदा की गई.
पार्टी के केद्रीय आह्नान ‘एकजुट रहो, प्रतिरोध करो!’ की दिशा में जनता के सवालों पर आंदोलनात्मक हस्तक्षेप बढ़ाने के संकल्प के साथ झारखंड प्रदेश कैडर कन्वेंशन सम्पन्न हुआ. 6 जुलाई को रामगढ़ ज़िला स्थित घुटुवा कम्यूनिटी हाॅल में आयोजित इस कन्वेंशन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए 400 से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.
कन्वेंशन के मुख्य वक्ता पार्टी महासचिव ने इस नए व जटिल दौर में अपनी कमजोरियों को ठीक करते हुए जनता से गहन एकजुटता बनाने और जमीनी सवालों पर जोरदार आंदोलन की तैयारी पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि पूरे देश स्तर के पर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों की कमजोर स्थिति ने सदन में मजबूत विपक्ष का बड़ा संकट पैदा कर दिया ह.। वहीं भाजपा की अप्रत्याशित जीत ने उसका दबदबा पूरे देश पर कायम कर दिया है। यह विपक्ष ही नहीं लोकतंत्र का भी संकट है. सत्तापक्ष के बढ़ते घमंड और विपक्ष की कमजोर स्थिति के कारण जनता को एक मजबूत विपक्ष की फौरी जरूरत है. हमें उस भूमिका में आने की चुनौती लेनी होगी. ऐसे दौर में हमें अपनी क्रांतिकारी भूमिका निभाते हुए आगे बढ़कर अपना विस्तार करने की आवश्यकता है.
वर्तमान फासीवादी शासन हर स्तर पर लोकतंत्र का निषेध करके निरंकुश राज्यतंत्र के जरिये लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का निर्ममता से दमन कर रहा है. साथ ही उसने देश के अंदर एक प्रकार का आंतरिक दुश्मन जिंदा कर देशप्रेम के नाम पर हिंसक उन्माद पैदा किया है जो आज दलित-आदिवासी और मुसलमानों पर बढ़ते हमलों में दीख रहा है. फासीवाद देश की बहुसंख्यक आबादी के दिल दिमाग को तेजी से काबू करना चाह रहा है, जिसका कारगर जवाब जनता की एकता व चेतना की मजबूत गोलबंदी से ही संभव है. हमें नफरत, उन्माद और दहशत के खिलाफ लोगों की चेतना का निर्माण करना होगा.
उन्होंने कहा कि इस दौर में भाजपा ने पश्चिम बंगाल के बहाने वामपंथ को मुख्य निशाना बनाकर कम्युनिस्ट मुक्त भारत बनाने की साजिश रची है जिसके खिलाफ 30 जुलाई को कोलकाता हमारी जोरदार उपस्थिती एक मजबूत जवाब देगी.
इससे पहले पार्टी राज्य सचिव का. जनार्दन प्रसाद द्वारा कन्वेंशन का आधारपत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें सरायकेला में हुए माॅब-लिंचिंग कांड के खिलाफ उभरे व्यापक जनप्रतिवाद को प्रधानमंत्री द्वारा झारखंड को बदनाम करने की साजिश कहे जाने की तीखी भर्त्सना की गई. विरोध की आवाज को दबाने के लिए राज्य दमन तेज करने, फेसबुक पर पोस्ट लिखनेवाले सामाजिक कार्यकर्ताओं पर राजद्रोह का मुकदमा लगाए जाने, बकोरिया फर्जी मुठभेड़ कांड के दोषियों को बचाने की सरकार द्वारा की जा रही कोशिशों समेत भूख से हो रही निरंतर मौतों, निजी कंपनियों के लिए जमीन लूट, ग्रामीणों का राशन बंद किए जाने, आवास योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा बारिश नहीं होने से अकाल के खतरे से निपटने में सरकार की विफलता के मुद्दे उठाये गये.
कन्वेंशन को पार्टी विधायक का. राजकुमार यादव, का. सीताराम सिंह, का. भुवनेश्वर केवट, पच्चू राणा, उस्मान अंसारी, कालीचरन मेहता, मजदूर नेता देवदीप सिंह दिवाकर, पूरन महतो, बिरजू राम, पूनम महतो, भारत यादव, कार्तिक मांझी समेत कई अन्य साथियों ने संबोधित किया. कन्वेंशन ने एक 11 सूत्री राजनीतिक प्रस्ताव भी स्वीकार किया.
का. सुबोध दा समेत अन्य सभी दिवंगत साथियों कि स्मृति में मौन श्रद्धांजलि और झारखंड जन संस्कृति मंच के साथियों द्वारा जनगीत प्रस्तुति के साथ शुरू हुए कन्वेंशन का संचालन का. भुवनेश्वर बेदिया ने किया.