वर्ष - 28
अंक - 30
13-07-2019

कावेरी के डेल्टा क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन परियोजनाओं के खिलाफ तंजौर में 6जुलाई को खेग्रामस और अखिल भारतीय किसान महासभा ने एक कन्वेंशन आयोजित किया. भाकपा(माले) के राज्य सचिव एनके नटराजन ने इसका उद्घाटन किया. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि मीथेन, स्टरलाइट प्लांट, 8-लेन ग्रीन कोरिडोर जैसी कॉरपोरेट योजनाओं के विरोध में होने वाले शक्तिशाली जन संघर्षों की वजह से ही तमिलनाडु में मोदी व उनके संश्रयकारियों को मजबूती से नकार दिया गया. केंद्र व राज्य सरकारों जनता के साथ गद्दारी तथा कॉरपोरेटों की मदद कर रही हैं, इसीलिए इन जन संघर्षों को इनके तार्किक अंजाम तक पहुंचाना होगा. इस मामले में खेग्रामस और किसान महासभा के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने ग्रामीण मजदूरों और किसानों की जन पहलकदमियों को तेज बनाने का आह्वान किया.

कन्वेंशन में कई प्रस्ताव पारित किए गए. केंद्र में मोदी सरकार और राज्य मे अन्नाद्रमुक सरकार की भर्त्सना करते हुए एक प्रस्ताव में हाइड्रोकार्बन परियोजना को रद्द करने की मांग उठाई गई. अगर इस परियोजना को इजाजत दे दी गई तो इन आठ जिलों में लगभग एक करोड़ लोग प्रभावित होंगे. एक आरंभिक अनुमान के मुताबिक लगभग 14 लाख एकड़ कृषि भूमि और धान का उत्पादन खत्म हो जाएगा. आसपास के कई ऐतिहासिक स्थलों तथा पक्षी अभयारण्यों पर खतरा उत्पन्न हो जाएगा. पेट्रोलियम आयात पर अतिशय निर्भरता से छुटकारा पाने के लिए केंद्र सरकार इस राज्य से धान उत्पादन के भारी नुकसान की कीमत पर भी इस क्षेत्र में तेल उत्खनन के पक्ष में तर्क दे रही है, जिससे राज्य में खाद्य संकट पैदा हो जाएगा.

भारत में तेल और गैस की अनुमानित जरूरत 2000 करोड़ मीट्रिक टन की है, जबकि यहां सिर्फ 22 करोड़ मीट्रिक टन का ही अनुमानित उत्पादन होता है. इस समस्या का कोई किस्म जन-पक्षधर उपाय करने के बजाए इस किस्म की परियोजना से राज्य में 28 लाख मीट्रिक टन धान की पैदावार कम हो जाएगी.

कन्वेंशन को संबोधित करते हुए खेग्रामस के राज्य अध्यक्ष का. बालसुंदरम ने भाकपा(माले) की 50वीं और कामरेड चारु मजुमदार के जन्म की सौवीं सालगिरह के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि अपनी शुरूआत से ही भाकपा(माले) ने सशक्त किसान संघर्षों के लिए भरपूर प्रयास किए हैं. इन संघर्षों की बदौलत ही भारत का चेहरा बदला जा सकता हैं. इाइड्रोकार्बन जैसी बहुराष्ट्रीय कॉरपोरेट परियोजनाओं को रोकने के लिए ग्रामीण गरीबों व किसानों के शक्तिशाली आंदोलनों की जरूरत है. उन्होंने भाकपा और माकपा की आलोचना करते हुए कहा कि इस पार्टियों ने विधान सभा में मंत्री के आश्वासन के बहाने 9 जुलाई को होने वाले प्रतिवाद आंदोलन से पांव पीछे हटा लिया है, जबकि ऐसे आश्वासनों का कोई मायने-मतलब नहीं है. उन्होंने घोषित आंदोलनात्मक कार्यक्रम को कमजोर बनाने की खातिर मंत्री द्वारा किए गए आश्वासन को धता बताते हुए खेग्रामस और किसान सभा को अपना प्रतिरोध जारी रखने के लिए बधाइयां दीं. इस कन्वेंशन की अध्यक्षता किसान महासभा के राज्य महासचिव ए चंद्रमोहन ने की. किसान महासभा के राज्य अध्यक्ष ए सिंपसन, खेग्रामस के राज्य सचिवों राजाशंकर व दावसेल्वन ने भी कन्वेंशन को संबोधित किया. इस मौके पर कई अन्य नेता व कार्यकर्ता भी मौजूद थे.