सरकार की आपराधिक लापरवाही के कारण चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की हो रही मौत के सवाल पर भाकपा-माले, इंसाफ मंच, जन संस्कृति मंच, आइसा, इनौस, ऐपवा ने संयुक्त रूप से 22 जून 2019 को मुजफ्फरपुर में “बच्चों को बचाओ” मार्च निकाला। इस प्रदर्शन के जरिये चमकी बुखार को राज्य आपदा घोषित करने, आपराधिक लापरवाही के लिए बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को बर्खास्त करने तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बच्चों की मौत की जवाबदेही को स्वीकार करने की मांग की गई और साथ ही उनकी देखरेख में गांव-पंचायत व प्रखंडों तथा अस्पतालों में युद्ध स्तर पर बचाव व इलाज अभियान चलाने की मांग की गई.
मार्च में जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय महासचिव मनोज कुमार सिंह, भाकपा(माले) जिला सचिव कृष्ण मोहन, सकल ठाकुर, रामबालक सहनी, होरिल राय, इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्ष आफताब आलम, असलम रहमानी, ऐपवा की जिला अध्यक्ष शारदा देवी, प्रमिला देवी, सीता देवी, आइसा के विकेश कुमार, दीपक कुमार, इनौस के संयोजक राहुल कुमार सिंह, संस्कृतिकर्मी स्वाधीन दास, डाॅ शिवप्रिय, माले नगर कमेटी सदस्य सुरेश ठाकुर, विजय गुप्ता सहित बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं. इस दौरान मौत के शिकार बच्चों को अपार दुःख के साथ श्रद्धांजलि भी दी गई.
अगले दिन 23 जून को मुजफ्फरपुर में नागरिक समाज ने इसी सवाल पर शहीद जुब्बा सहनी स्मारक स्थल से कैंडल मार्च निकाला. मार्च कल्याणी चैक पहुंचा जहां बच्चों को श्रद्धांजलि दी गई. कैंडल मार्च में प्रो नंदकिशोर नंदन, प्रो विजय कुमार जयसवाल, प्रो भारती सिन्हा, शिक्षक गुप्तेश्वर प्रसाद, सामाजिक कार्यकर्ता शाहिद कमाल, अशोक भारत, डाॅ बी.के. प्रलयंकर, संस्कृतिकर्मी स्वाधीन दास, इंसाफ मंच के आफताब आलम, जपफर आजम, फहद जमां, अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह, एडवोकेट महेंद्र राय और मुकेश कुमार, भाकपा(माले) जिला सचिव कृष्णमोहन, नगर सचिव सूरज कुमार सिंह, सीपीएम जिला सचिव अब्दुल गफ्फार, सीपीआई जिला सचिव रामकिशोर झा, सीपीआई(एम-एल)-न्यू डेमोक्रेसी के नेता रामवृक्ष राम, रूदल राम, सीपीआई(एमएल) नेता उदय चैधरी, आम आदमी पार्टी के आनंद पटेल, मजदूर नेता शत्रुघ्न सहनी, किसान नेता जितेन्द्र यादव, होरिल राय, रामबालक सहनी, बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, संस्कृतिकर्मी, वामपंथी व सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाएं, छात्र-नौजवान तथा मजदूर शामिल थे.
कैंडेल मार्च के दौरान नागरिक समाज ने अपनी मांगों को दुहराते हुए मुख्यमंत्री की प्रत्यक्ष निगरानी में गांव-पंचायत व प्रखंड स्तर बचाव व चिकित्सा अभियान युद्ध स्तर पर चलाने, मौत के शिकार हुए बच्चों के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की.
नागरिक समाज की ओर से 25 जून को शहीद खुदीराम बोस स्मारक स्थल से काली पट्टी लगा कर मौन जुलूस भी निकाला गया और जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना देकर मुख्यमंत्री के नाम एक स्मार-पत्र सौंपा गया.
पटना के कारगिल चैक पर 25 जून 2019को नागरिक समुदाय ने इसी मुद्दे पर कैंडल मार्च का आयोजन किया. कैंडेल मार्च के उपरांत आयोजित सभा को अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, ऐपवा की पटना नगर सचिव अनिता सिन्हा, रेशमा, रूपम झा, शशांक मुकुट शेखर, अस्मा खान, अंजुम बारी, मृणाल आदि ने संबोधित किया. संचालन कोरस की समता राय ने किया. इस मौके पर भाकपा-माले के अभ्युदय, आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष मोख्तार, इंनौस के राज्य सचिव सुधीर कुमार, नसीम अख्तर, मुर्तजा अली, राखी मेहता एवं दर्जनों की संख्या में छात्रा-युवा नेता, कवि व पटना के नागरिक उपस्थित थे.
का. राजाराम सिंह ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि मुजफ्फरपुर व अन्य इलाकों में जिन लोगों के बच्चे दिल्ली-पटना सरकार की घोर लापरवाही के कारण अकाल मृत्यु के शिकार हुए, उन्हीं के ऊपर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दिया है. जब मुख्यमंत्री के गुजरने की सूचना पाकर हरिवंशपुर के ग्रामीणों ने बुखार के इलाज व पेयजल के सवाल पर सड़क किनारे स्थित रोड का घेराव किया तो सड़क जाम का बहाना बनाकर प्रशासन ने 19 लोगों पर नामजद एफआईआर कर दिया. ऐसे वक्त में भी सरकार दमन-उत्पीड़न से बाज नहीं आ रही है. इस गांव के 7 बच्चों की मौत चमकी बुखार के कारण हुई थी. उन्होंने कहा कि विकास का ढिंढोरा पीटने वाले नीतीश कुमार की असलियत खुल चुकी है और इसी कारण वे बौखला गए हैं. कभी पत्रकारों को धक्का देकर बाहर करवा दे रहे हैं और कभी ग्रामीणों पर एफआईआर करवा रहे हैं लेकिन आईसीयू में बेडों की संख्या बढ़ाकर 200 नहीं करवा रहे हैं.
अन्य वक्ताओं ने कहा कि भाजपा को बिहार व देश की जनता ने और ज्यादा दुर्दिन देखने के लिए वोट नहीं किया है. लेकिन लगता है कि बहुमत प्राप्त कर भाजपा के लोग सत्ता के मद में चूर हो गए हैं. यही वजह है चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की चिंता न तो केंद्र की सरकार को है न बिहार सरकार को. एक ओर जहां मुजफ्फरपुर व अन्य जिलों में चमकी बुखार का कहर है तो दूसरी ओर गया व औरंगाबाद के इलाके में लोग लू से मर रहे हैं. हास्यास्पद यह है कि सरकार लू से बचने के लिए ठोस उपाय करने की बजाए धारा 144 लगा रही है. इन आपदाओं में गरीबों के ही बच्चे मारे जा रहे हैं. नागरिक समुदाय ने बिहार की जनता से इस दुख की घड़ी में मारे गए बच्चों के न्याय के लिए आगे आने का आह्वान किया. दरभंगा में भी 26 जून 2019 को नागरिक समाज की ओर से “बच्चों को बचाओ” कैंडल मार्च निकाला गया व श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई.