13 जुलाई 2019 को गड़हनी थाना का घेराव करने की घोषणा से घबराये भोजपुर जिला प्रशासन ने एक दिन पूर्व ही भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता का. सिद्धनाथ राम, युवा नेता व केन्द्रीय कमेटी सदस्य का. मनोज मंज़िल, गड़हनी प्रखंड सचिव का. महेश, स्थानीय नेता का. अवधेश, रामछपित राम, शिवदयाल राम, योगेंद्र राम, भीम पासवान, ओमप्रकाश सिंह और संजित कुमार सिंह पर दर्ज मुकदमा वापस लेने तथा प्रखंड के बगवां गांव की एक महिला के साथ बलात्कार का प्रयास करने वाले बदनाम सामंती अपराधियों को स्पीडी ट्रायल चलाकर सजा दिलाने का लिखित आश्वासन दिया.
इस घटना के खिलाफ व्यापक जनाक्रोश उभरा था और ग्रामीणों ने भाकपा(माले) की अगुआई में जुझारू प्रतिवाद करते हुए गांव से होकर जानेवाले राष्ट्रीय उच्च पथ को घंटों जाम रखा था. स्थानीय गड़हनी थाना पुलिस ने सड़क जाम में जनता का नेतृत्व करने के कारण माले नेताओं समेत 18 लोगों को नामजद करते हुए 70 अज्ञात के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज किया था.
भाकपा(माले) द्वारा गड़हनी थाना का घेराव की घोषणा होते ही स्थानीय पुलिस व जिला प्रशासन को पीछे हटना पड़ा. 12 जुलाई को एसडीएम अरुण प्रकाश, एसडीपीओ पंकज कुमार, गड़हनी सीईओ आदि ने भाकपा(माले) नेताओं के साथ वार्ता करने की पेशकश की. का. निर्मल ग्राम जहां सैकड़ों भूमिहीन गरीबों को पार्टी के नेतृत्व में बसाया गया है, में संपन्न हुई वार्ता के दौरान उस ग्राम के निवासियों को बिजली, पानी और राशन कार्ड आदि समेत अन्य नागरिक सुविधायें देने मांग भी अधिकारियों ने स्वीकार की. जन दबाव को देखते हुए जिला प्रशासन को गड़हनी थाना प्रभारी को भी वहां से हटाना पड़ा है.
नेताओं ने कहा कि यह मुकदमा वापसी जनता के मजबूत एकता व संघर्षों का जीत ह.। भाकपा(माले) दलित-गरीबों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के मान-सम्मान व हक-अधिकार के लिए हमेशा संघर्ष की अगली कतार में खड़ी रहनेवाली पार्टी है और मोदी-नीतीश राज में सामंती-सांप्रदायिक ताकतों द्वारा उन पर किए जा रहे हमलों और समाज में फैलायी जा रही उन्माद व नफरत की राजनीति के खिलाफ यह संघर्ष और भी तेज किया जायेगा.