शिक्षा के निजीकरण व बाजारीकरण के इस दौर में केन्द्र समेत सभी राज्यों की सरकारें गरीबों के लिये उपलब्ध राज्य-संचालित या प्रायोजित शिक्षा संस्थानों में सीटों की कटौती करके छात्रों को नगरों में निजी शिक्षण संस्थानों में की ओर ठेल रही हैं. पांकी की घटना इसकी ही मिसाल है.
झारखंड के पलामू जिले के पांकी प्रखंड में इंटर की शिक्षा के लिए मजदूर किसान इंटर काॅलेज ही एकमात्र उपयुक्त संस्थान है जहां शिक्षक, प्रयोगशाला आदि सुविधाएं उपलब्ध हैं, नियमित रूप से कक्षाएं चलती हैं. प्रतिवर्ष कला, वाणिज्य व विज्ञान संकाय में लगभग 3200 छात्रों का नामांकन होता है और उसके बावजूद बहुतेरे छात्रा नामांकन करा पाने से वंचित रह जाते हैं। मगर इस वर्ष झारखंड एकेडमिक काउंसिल रांची ने मजदूर किसान इंटर कालेज में सीटों की अप्रत्याशित रूप से कटौती कर दी है, सभी संकायों में सिर्फ 384 छात्रों के नामांकन की अनुमति इंटर कालेज को दी गई है। इस वजह से प्रखंड के छात्रों में अफरातफरी मची है. पांकी पिछड़ा क्षेत्र है, और यहां अधिकांश छात्रा गरीब परिवारों से आते हैं, उनके लिए बाहर जाकर शिक्षा लेना मुश्किल होता है. लेकिन इंटर महाविद्यालय में सीटों की कमी से कितने छात्र प्रभावित होंगे इसकी झारखंड एकेडमिक काउंसिल को कोई फिक्र नहीं है.
आइसा ने इंटर कालेज के प्राचार्य से मिलकर उन्हें समस्याओं से अवगत कराया था और अति शीघ्र सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग की थी। प्राचार्य ने आश्वस्त किया था कि छात्रों की समस्या एकेडमिक काउंसिल के सामने रखी जाएगी लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं हुआ और इधर कालेज में सारी सीटें भर गई हैं. कालेज ने नामांकन लेना बंद कर दिया है. इसी वजह से गुस्साए छात्रों ने गत 24 जून 2019 को आइसा के पांकी प्रखंड अध्यक्ष त्रिलोकी नाथ के नेतृत्व में लगभग 2 घंटा मजदूर किसान इंटर महाविद्यालय गेट को जाम कर दिया. जाम में प्यारे लाल, विकाश कुमार गुड्ड़ू कुमार सुनील कुमार, पूजा गुप्ता, रीमा भारती सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। पलामू में आइसा का आंदोलन
– दिव्या भगत